'Flashing of past or future in any form or thinking about it even for a moment...is nothing but the 'ego'.'
'भूत या भविष्य का किसी भी स्वरूप में सामने आना या उस बाबत एक क्षण को भी कुछ सोचना ...यही तो ‘अहंकार’ है।'
'Only in India, the Goddess of Wealth is harassed by worshipping her for the sake of prosperity… Perhaps annoyed by such large scale harassment she has turned her back on us. Wouldn't it be better if we further our faith only in our "actions" to prosper in life?'
'समृद्धि के लिए लक्ष्मीपूजन कर लक्ष्मी को परेशान सिर्फ भारत में किया जाता है। ...लगता है इस परेशानी के कारण ही लक्ष्मी भारत से रूठ गयी है। क्या ही अच्छा हो यदि समृद्धि के लिये हम अपने ‘‘कर्मों’’ पर ही आस्था बढ़ाएं।'
Page: 2'In pursuit of auspicious time a lot of people delay the "act" even when the time, situations and conditions are ripe or they tend to act even when circumstances are not in their favour. These are nothing but the "means" which lead you to your own end.'
'कई लोग शुभ-मुहूर्त के चक्कर में समय-संजोग व परिस्थिति बन जाने के बावजूद ‘‘कर्म’’ को टालते हैं, वहीं अन्य कई संजोग न बनने के बावजूद इस चक्कर में कर्म कर डालते हैं। यह सब अपनी मौत मरने के ‘‘गालीबे-Idea’’ अच्छे हैं।'
Page: 3'The refined form of "human" body, mind, culture and consciousness that we witness today is the result of countless unsuccessful efforts spanning over millions of years. We cannot afford to waste such a precious life only on education, marriage, children, chasing wealth and pangs of old age.'
'हम ‘‘मनुष्य’’ के शरीर, संस्कृति व चेतना के जिस Refined स्वरूप को देख रहे हैं, वह अरबों वर्षों के करोड़ों असफल प्रयास के बाद प्राप्त हुआ है। ऐसे मूल्यवान जीवन को सिर्फ शिक्षा, शादी, बच्चे, कमाने व बुढ़ापे के रोने में नष्ट नहीं किया जा सकता।'
Page: 4'Agreed, there cannot be anything in this world more encouraging and exciting than success. But success is achieved only by those, who refuse to relent on their efforts even in trying times.'
'माना इस विश्व में सफलता से ज्यादा उत्साहित करने वाला और कुछ नहीं होता, लेकिन सफलता मिलती सिर्फ उन्हें है जो निराशा के क्षणों में भी अपने प्रयासों में कोई कमी नहीं छोड़ते।'
Page: 5'In today's time, no other ''charity'' is acceptable or practical than the ''wisdom'' that can transform the human life... Meaning the knowledge which can teach a man to climb the ladder of success. '
'आज के समय में मनुष्य के जीवन को बदल के रख देने वाले ‘‘ज्ञान’’ के सिवाय ‘‘चैरिटी’’ ना तो स्वीकार्य है - ना ही व्यावहारिक। ...यानी सिर्फ ऐसा ज्ञान जो मनुष्य को सफलता की सी़ढियां चढ़ना सिखा दे।'
Page: 6'No God in this world can be so narrow-minded that he needs to be appeased by sycophancy or worship, and if he does gets pleased and favours you, then he cannot be God… He can only be the devil.'
'दुनिया का कोई भगवान इतने छोटे मन का नहीं हो सकता कि उसे चापलूसी या पूजा की आवश्यकता पड़ जाए। और ऐसा करने से वह खुश हो जाए या आपका कुछ फायदा करा दे, यह तो संभव ही नहीं। ...ऐसा तो सिर्फ शैतान ही हो सकता है।'
Page: 7'Neither do we have to make the sun or moon rise nor manage gravitation. We do not even have to convert the food that we eat into blood. All that we have to do is, put our own life on the path of peace, bliss and success. Isn't it amusing that we, who claim ourselves to be so intelligent, cannot do even this bit of work?'
'हमें न सूरज-चांद उगाने हैं, न गुरुत्वाकर्षण ही सम्भालना है। हमें तो अपने खाये भोजन का खून तक नहीं बनाना है। हमें तो सिर्फ अपने जीवन को आनंद, शांति व सफलता की राह पर लगाना है। क्या यह हास्यास्पद नहीं कि बुद्धिमानी का दावा करने वाले हमसे इतना तक नहीं होता?'
Page: 8'A ''human being'' is born with far superior potential of sensitivities than animals, trees and plants. But unfortunately, he is unable to utilize it because, instead of living in harmony with nature, he tries to follow his brain. '
'‘‘मनुष्य’’ जानवरों और पेड़-पौधों से ज्यादा संवेदनशीलता की संभावना लेकर पैदा होता है, परन्तु दुर्भाग्य से वह उसका उपयोग नहीं कर पाता है। क्योंकि वह प्रकृति के साथ जीने के बजाय अपनी बुद्धि से जीने की कोशिश में लगा हुआ है।'
Page: 9'One 'beautiful-mind' indeed weighs heavy over thousand creations of nature and that is why from Socrates to Kabir, all hold such great importance. '
'एक ‘सुंदर-मन’ वाकई प्रकृति की हजार रचनाओं पर भारी है; और तभी तो सुकरात से लेकर कबीर तक सबका इतना महत्व है।'
Page: 10'There is nothing wrong in having any kind of fancy in life or any physical act, if done appropriately. Likewise, there is no virtue in visiting temples or worshipping either. The goodness of being human lies in the qualities like compassion, self-confidence, self-dependence and innocence which are tainted by attributes like jealousy, partiality, selfishness and stubbornness.'
'जीवन के कैसे भी शौक या किसी भी शारीरिक कर्म में कोई बुराई नहीं, यदि सलीके से किये गए हों तो। वैसे ही मंदिर जाने या पूजा करने में भी कोई अच्छाई नहीं। मनुष्य की अच्छाई करुणा, आत्मविश्वास, आत्मनिर्भरता व निर्दोषता जैसे गुणों में छिपी हुई है। जबकि सामने स्वार्थ, ईर्ष्या, पक्षपात व जिद्द जैसे अवगुण ही उसकी बुराई है।'
Page: 11'In existence, no human being is perfect. Every person has his own unique nature and individual field of expertise. Even those, whom we know as gods were unaware of the knowledge of science all their life. '
'प्रकृति में कोई भी मनुष्य परफेक्ट नहीं होता है। हर व्यक्ति का अपना एक स्वभाव और अपना एक क्षेत्र होता है। हम जिन्हें भगवान कहते हैं वे भी जीवनभर विज्ञान के ज्ञान से अनजान ही थे।'
Page: 12'The measure in which a person is blind in the field of religion, he is equally blind in understanding all the other truths of life. This is the reason why the world is full of mentally and intelligently blind people.'
'मनुष्य जिस मात्रा में धर्म के विषय में अंधा है ठीक उसी मात्रा में वह जीवन के सारे सत्यों को समझने में भी अंधा होता है। और यही कारण है कि विश्व आंख वाले अंधों से भरा पड़ा है।'
Page: 13'We tend to suppress our anger against each other which ultimately leads to big quarrels some day. If two people have been naturally expressing their differences of opinion or having small arguments on regular basis, they will never have resentment or enmity of a lifetime.'
'हम आपस में एक दूसरे के प्रति आया क्रोध दबाते हैं, इसी कारण एक दिन हमारे आपस में बड़े झगड़े हो जाते हैं। जिन दो व्यक्तियों में रोज थोड़े-थोड़े झगड़े होते रहते हैं उनमें कभी जीवनभर की दुश्मनी नहीं होती।'
Page: 14'An intelligent person is the one who can differentiate between the necessary and the unnecessary things in life. '
'बुद्धिमान मनुष्य वह है जो जीवन में आवश्यक और व्यर्थ वस्तुओं को अलग-अलग पहचानता है।'
Page: 15'Your focus is always on everything else, but you. The biggest proof is, even in dreams, rarely any of you would have seen your own face. Indeed, it is sad that not only in your conscious mind but even in your unconscious mind, your focus is only on others. '
'आपका ध्यान अपने को छोड़ सब पर लगा रहता है। इस बात का सबसे बड़ा सबूत यह कि सपनों में आपमें से किसी ने शायद ही कभी अपनी शक्ल देखी होगी। यह कितने दुःख की बात है कि ना सिर्फ Conscious Mind बल्कि Unconscious Mind में भी आपका ध्यान दूसरों पर ही रहता है।'
Page: 16'God is dead, atleast in the sense that neither can he stop you from achieving what you are capable of, nor can he give you anything more than what you deserve.'
'कम-से-कम इस लिहाज से तो भगवान मर ही चुका है कि वह ना तो आपको आपकी योग्यतानुसार प्राप्त करने से रोक सकता है; और ना ही आपको आपकी योग्यता से ज्यादा कुछ दे ही सकता है।'
Page: 17'Since human consciousness has traversed its journey from an amoeba to a human being on the Principle of Evolution, if you note carefully, each one of us will find many animal instincts within ourselves. To get rid of these instincts is the first and foremost duty of every human being.'
'चूंकि मनुष्य की चेतना ने अमीबा से मनुष्य तक का सफर क्रमशः प्रगति के सिद्धांत पर आधारित होकर ही तय किया है, इसलिये ध्यान देना कि हर कोई अपने में कई जानवरों के गुण पाएगा। और उन गुणों से निजात पाना ही मनुष्य का प्रथम कर्तव्य है।'
Page: 18'The "world" is expanding on the Principle of Evolution. This expansion is not just confined to its time and space but is also taking place at the level of consciousness; which too has gradually traversed from being an amoeba to a human being. '
'यह ‘‘संसार’’ क्रमशः प्रगति के सिद्धांत से फैल रहा है। यह विस्तार ना सिर्फ इसके Time व Space में जारी है, बल्कि चेतना के स्तर पर भी जारी ही है। उसने भी अमीबा से मनुष्य तक का सफर क्रमशः ही तय किया है।'
Page: 19'Linking karma with physical acts is the lowest level of intelligence. This encompasses all the acts right from fasting to rigorous toiling. A wise being links karma with intent. Pure intent is in itself a good karma. But a supremely intelligent being views "karma" in the light of its result. Whatever is the final outcome of your action, is indeed your "true intent".'
'कर्म को शरीर से जोड़कर देखना निम्नतम स्तर की बुद्धि का काम है। इसमें उपवास करने से लेकर कड़ी मेहनत करने जैसी तमाम वस्तुओं का समावेश हो जाता है। श्रेष्ठ बुद्धि कर्म को भाव से जोड़कर देखती है। भाव शुद्ध - कर्म शुभ। परंतु परमज्ञानी ‘‘कर्म’’ को परिणाम से जोड़कर देखता है। आपके कर्म का जो अंतिम परिणाम आया, वही आपकी ‘‘मंशा’’।'
Page: 20'No matter how powerful the person is, however great are his feelings for you…or even if you consider him God; he too, does not hold the authority to guarantee you a permanent solution for your peace, happiness and prosperity. '
'कोई कितना ही शक्तिशाली क्यों न हो, चाहे उसकी आपके प्रति कैसी ही उच्च भावना क्यों न हो...या फिर उसे आप भगवान ही क्यों न मानते हों; उसे भी इतनी सत्ता नहीं कि वह आपके सुख-समृद्धि का कोई स्थायी उपाय कर सके।'
Page: 21'Everyone is proud of his caste and religion. Please for once, observe yourself and the people around you carefully - the pride will disappear by itself. And only then, embracing the world you will be able to tread the path of progress.'
'हर कोई अपनी जाति व धर्म पर गुमान किये फिरता है। मेहरबानी कर एकबार स्वयं को व अपने आसपास वालों को ध्यान से देख लेना - गुमान स्वतः छू हो जाएगा। और तब कहीं जाकर आप विश्व को अपनाकर उन्नति के रास्ते पर लग सकेंगे। '
Page: 22'Every problem that comes in life need not be taken care of by us. Majority of them are best left to nature's justice. '
'कजीवन में आयी हर समस्या से खुद नहीं निपटना होता है। उनमें से अधिकांश को तो कुदरत के न्याय पर छोड़कर चैन से सो जाने में ही हमारी भलाई होती है। '
Page: 23'It is not that Buddha, Krishna, Jesus or Mohammed lacked anything in their compassion. If they could, they would have eliminated the "pains and miseries" of human life long back. But the problem is, in this case we have to help ourselves, no one else can. '
'बुद्ध, कृष्ण, जीसस या मोहम्मद की करुणा में कोई कमी नहीं। वे कर सकते होते तो मनुष्य के ‘‘दुःख-दर्द’’ कब के दूर कर चुके होते। लेकिन दिक्कत यह कि इस हेतु हमें अपनी सहायता स्वयं करनी होती है। '
Page: 24''Being child-like' is the most wonderful quality of a human being which is not worth leaving till the last breath of life. But children who from a very young age are habituated to being serious, even God will refuse to help them.'
'‘बचपना’ मनुष्य का वह सबसे हसीन गुण है जो मरते दम तक छोड़ने जैसा नहीं। लेकिन जो बच्चे बचपन से ही गंभीर रहने के आदी हों, उनका तो भगवान भी मालिक नहीं। '
Page: 25'The amount of knowledge that is hidden in the deep recesses of the mind…the outside world does not have even a fraction more to offer. Of course, the information updates have to be sourced from the outside world… Here, the difference between 'knowledge' and 'information' is worth understanding. '
'यह जगत "Three Dimensions Theory" से अस्तित्व में है। हमारे समेत इस जगत का कण-कण सिर्फ इसी Theory से चलायमान है। हर वस्तु व घटना के तीनों Dimensions को समझना मनुष्य के बुद्धिमत्ता की सबसे बड़ी ऊंचाई है। '
Page: 26'It is difficult to understand, why do people keep doing such things throughout the year, that every year they feel the need to ask for forgiveness by saying "Michchami Dukkadam"? '
'समझ नहीं आता लोग-बाग साल भर ऐसे काम क्यों करते रहते हैं कि ङ्गिर हर वर्ष ‘‘मिच्छामि दुक्कड़म्’’ कहकर उन्हें सबसे क्षमा मांगनी पड़ती है। '
Page: 27'Right from communication, necessity, luxury to ailments of the body, whatever that science has discovered or invented, is actually nothing less than a miracle. In that case, if we can relate the 'blessings of Science' to our mind rather than brain, even nature will become envious of our life.'
'विज्ञान ने Communication, Neccessity, Luxury से लेकर शरीर की बीमारियों के बाबत जो कुछ भी खोजा वह वाकई किसी चमत्कार से कम नहीं। यदि ऐसे में ‘विज्ञान के वरदानों’ का ताल्लुक हम अपनी बुद्धि की जगह मन से बिठा पाएं तो हमारा जीवन देख प्रकृति भी जल उठे। '
Page: 28'Have you ever noticed that our maximum loss of energy occurs when we try to restrain the flow of whatever that is coming from within? '
'क्या आपने कभी गौर किया कि मन के भीतर से जो कुछ भी आ रहा है, उसे रोकने में ही हम अपनी सर्वाधिक शक्ति का नाश कर देते हैं? '
Page: 29'How soon you overcome each incident, good or bad happening with you reveals how deeply you understand life?'
'आप जीवन को कितनी गहराई से समझ रहे हैं इस बात का अंदाजा इससे लग जाता है कि आप अपने साथ घटने वाली अच्छी-बुरी घटना से कितनी जल्दी बाहर निकल आते हैं। '
Page: 30'Only that, which cannot be separated from you even after death is yours; and that cannot be anything other than your "self-contentment" '
'तुम्हारा वही है जो तुमसे मरने के बाद भी न बिछड़े; और वह सिवाय तुम्हारे ‘‘आत्म-संतोष’’ के और कुछ नहीं हो सकता है। '
Page: 31'To be joyous in life, a few bites to eat in peace, pouring rains or cool breeze are sufficient... Whereas for reasons to be sad, you can write thousands of books on it. '
'जीवन में प्रसन्न रहने के लिये चैन के दो निवाले, गिरती बारिश या बहती हवायें ही पर्याप्त हैं। ...जबकि दुःख के कारणों पर तो हजारों किताबें लिखी जा सकती हैं। '
Page: 32'Birth is an illusion, so is death. Truth is the element which makes both these extremes of life meet. The day you recognize it, from then onwards, whenever, whatever and how much ever you desire...you will get it.'
'जन्म असत्य है। मृत्यु भी असत्य है। सत्य तो जीवन के इन दो विरोधाभासी छोरों को मिलाने वाला तत्व है। जिस रोज आप उसे पहचान लेंगे उस दिन के बाद आप जब, जो और जितना चाहेंगे...मिलेगा। '
Page: 33'Love is not proven by empty words or feelings, but by the ultimate outcome of the acts and attitudes exchanged. If everyone around you is happy and healthy - then only your love is true. '
'प्रेम कोरे शब्दों या भावों से नहीं, आपस में करनेवाले व्यवहारों के अंतिम परिणाम से सिद्ध होता है। आपके आसपास सभी प्रसन्न व स्वस्थ - तो आपका प्रेम सच्चा। '
Page: 34'The one who is causing harm to himself is not bad, but the one, who is causing harm to others is… As far as the person himself is concerned, he has always been free. '
'बुरा वह नहीं है जो अपना बुरा करने में लगा हुआ है। बुरा वह है जिससे दूसरों का बुरा हो रहा है। ...अपने पूरता तो मनुष्य हमेशा से स्वतंत्र है। '
Page: 35'No problem ever comes into existence without a solution… Meaning, no matter however complex a problem is, there is always a way to resolve it.'
'इस संसार में कोई भी समस्या बगैर समाधान के पैदा नहीं होती। ...यानी समस्या कितनी ही जटिल क्यों न हो, उसे सुलझाने का एक-न-एक उपाय तो अवश्य होता ही है। '
Page: 36'The human life is not meant for compromises, but to explore and tread the path of life on the basis of your skills and talents. '
'मनुष्य का जीवन Compromise करने के लिये नहीं होता, बल्कि अपनी प्रतिभा के जोर पर अपनी राह खुद प्रशस्त करने के लिए होता है। '
Page: 37'When we are leading a smooth life today depending upon the creations of millions of people...then isn't it our duty to do something before death which can fill the lives of future generations with joy, peace, prosperity and bliss? '
'जब हम अपना जीवन लाखों मनुष्यों द्वारा बनाई वस्तुओं के भरोसे गुजारते हैं, तो क्या यह हमारा कर्तव्य नहीं कि मृत्यु से पहले हम कोई ऐसा कार्य कर जाएं जिससे आनेवाले लाखों मनुष्यों का जीवन सुख, शांति, आनंद और समृद्धि से भर जाए? '
Page: 38'The one and only reason behind all the miseries and failures of our life is our selfishness and the deeds induced by our selfish nature.'
'हमारे जीवन के सारे दुःख व असफलताओं के पीछे मात्र और एकमात्र कारण हमारी स्वार्थी प्रवृत्ति व उससे पैदा होने वाले हमारे स्वार्थजनित कार्य हैं। '
Page: 39'What are we…? Even our ability to see, hear or bear temperature is confined to a certain limit… In such a case, what is the value of the understanding of our brain that we have pinned all our hopes on it for touching the heights of success. If you really wish to make your life successful, it is possible only by understanding the depths of mind and immersing yourself in it. '
'हम हैं क्या...? हमारी तो देखने, सुनने व तापमान सहन करने तक की एक सीमा है। ...ऐसे में हमारी बुद्धि की समझ का अस्तित्व ही क्या, जो उसके भरोसे हम सफलता के शिखर छूने की उम्मीद लगाये बैठे हैं। जीवन सफल बनाना हो तो वह मन की गहराइयों को समझकर व उसमें डूबकर ही बनाया जा सकता है। '
Page: 40'Time is powerful and has millions of facets to it. Only the one who understands and discerns every facet of time can lead a happy and prosperous life.'
'समय बलवान है व समय के लाखों स्वरूप हैं। समय के हर स्वरूप को समझने व पहचानने वाला ही सुख व समृद्धि से भरा जीवन जी सकता है। '
Page: 41'The success of our endeavours does not depend on the quantum of efforts, but the state of mind engaged…at the time of pursuing the task. '
'जीवन में किये गये कार्यों की सफलता हमने कितनी मेहनत की उस पर निर्भर नहीं है, बल्कि हमारे कौन-से मन ने वे कार्य किये...उस पर निर्भर है। '
Page: 42'Our biggest problem is the complete contrast in the nature of brain and mind. Majority of the people do not even realize the separate existence of the two. As a result, their entire life gets crumbled and destroyed in the constant friction between their brain and mind. '
'हमारी सबसे बड़ी परेशानी बुद्धि व मन के स्वभाव का सर्वथा भिन्न होना है। अधिकांश लोग इन दोनों के अलग अस्तित्व तक को नहीं जानते, फलस्वरूप उनका पूरा जीवन उनकी बुद्धि व मन के आपसी संघर्ष में पिसकर नष्ट हो जाता है। '
Page: 43'Your mind functions like a computer. It is only you, who has the authority to enter or delete the data from it. But giving this right to others, you have corrupted the computer of your mind.'
'आपका मन एक Computer की तर्ज पर काम करता है। उसमें Data डालने और Delete करने दोनों के अधिकार आपके पास हैं। आपने यह अधिकार दूसरों को देकर ही अपने मन के Computer को Corrupt कर लिया है। '
Page: 44'Undertaking many tasks at a time distorts the quality of all the tasks. Finishing them one by one, you can bring each one to fruition. '
'एकसाथ कई कार्य हाथ में लेने से सारे कार्य बिगड़ जाते हैं। उन्हें एक-एक कर निपटाने से सभी को अंजाम तक पहुंचाया जा सकता है। '
Page: 45'What are the traits of an awakened person? First, his comings and goings are only as per his wish. Second, no reason of the outside world can influence him and third, whatever he is once determined to do, he breathes only when it is brought to fruition'
'जागृत व्यक्ति के लक्षण क्या हैं? एक तो वह सिर्फ अपनी मरजी से जाता और आता है। दूसरा बाहर की दुनिया के कोई कारण उसे प्रभावित नहीं करते। और तीसरा, वह जो कार्य करने की ठान लेता है, उसे पूरा करके ही दम लेता है। '
Page: 46'Freedom is the ultimate dignity of a human being, please handle it with utmost care. Neither should you interfere in anyone's life nor let any person, religion, society or scripture intervene in your life. Because…you are unique and the only one of your kind. No one like you has ever been born before nor would be. Hence, your only duty as a human being is to safeguard yourself against all and make the journey of your life a truly memorable one.'
'मनुष्य की सबसे बड़ी गरिमा उसकी परम-स्वतंत्रता है, कृपया उसे हमेशा सम्भाल कर रखें। न तो किसी के जीवन में दखल दें और न ही किसी व्यक्ति, धर्म, समाज या शास्त्र को अपने जीवन में दखल देने दें। क्योंकि... आप अकेले, इकलौते व नवीन हैं। आप जैसा कोई न पहले हुआ है और न आगे होगा। अतः आपका एकमात्र कर्तव्य सबसे बचते हुए अपनी इस जीवन-यात्रा को यादगार बनाना है। '
Page: 47'The kind and quantum of what you possess is not the proof of your being rich...but yes, what and how much you still want to attain surely reveals how poor you are'
'आपके पास क्या और कितना है यह आपके धनी होने का सबूत नहीं...पर हां, आप क्या व कितना और पाना चाहते हैं, यह आपकी दरिद्रता को अवश्य दर्शाता है। '
Page: 48'Many a times despite feeling hungry we observe fast and at times inspite of having an urge to play, we go to school… We don't even remember when and how did these teachings to kill the natural desires begin?'
'कभी भूख लगी होने के बावजूद हम उपवास करते हैं, तो कभी खेलने की इच्छा के बावजूद स्कूल चले जाते हैं। ...याद नहीं आता यह स्वाभाविक इच्छाएं मारने की शिक्षाएं कब और कहां से शुरू हुई? '
Page: 49'If a small community shows fanaticism, it is understandable. Their insecurity and inferiority can still be comprehended. But such a large Muslim community, not supporting open progressive thoughts is causing damage to itself.'
'छोटा समुदाय कट्टरता दिखाता है तो समझ में आता है। उनकी Insecurity व Inferiority समझी जा सके, वैसी होती है। पर इतना बड़ा मुस्लिम समुदाय खुले विचारों के साथ खड़ा न होकर अपना नुकसान स्वयं कर रहा है। '
Page: 50'In nature, no one is living with the feeling of selfishness. It is only due to our selfish acts that our ties with nature have been severed.'
'प्रकृति में कोई भी स्वार्थ-भावना से नहीं जी रहा है। हम अपनी स्वार्थ-प्रवृत्ति के कारण ही प्रकृति से टूट चुके हैं। '
Page: 51'Always safeguard yourself from rules and resolves. Machines can be switched on and off at a fixed time regularly, whereas for mind, the dawn is when you wake up. Understand this difference between man and machine and save your life from becoming mechanical.'
'नियम और संकल्पों से हमेशा बचें। मशीनें ठीक वक्त पर चालू और बंद की जा सकती हैं, लेकिन मन के लिए तो जब जागो तब सबेरा है। मन और मशीन का यह फर्क जान अपना जीवन मशीन जैसा होने से बचायें। '
Page: 52'There are only two ways to reach the right decision; either you know everything about it or accept you know nothing… Know for sure, the earlier is just an illusion.'
'सच्चे निर्णय पर पहुंचने के दो ही उपाय हैं, एक या तो उस विषय के बाबत आप सबकुछ जानते हैं या कि यह मान लें कि आप कुछ नहीं जानते। ...यहां पहला भ्रम-मात्र है। '
Page: 53'A human being is the only creature in the universe who can be happy and successful. That is why, he is the only one in the universe who can be unhappy and unsuccessful too.'
'मनुष्य इस ब्रह्मांड का एक मात्र प्राणी है जो सफल और आनंदित हो सकता है । इसीलिये ब्रह्मांड में मनुष्य ही एक मात्र ऐसा प्राणी है जो असफल और दुःखी भी हो सकता है। '
Page: 54'Neither lavish living is a sin nor simple living a virtue; but pretending and portraying other than what we are or what we have, is certainly our hypocrisy'
'न तो शान से रहने में कोई बुराई है और ना ही सादगी से रहने में कोई अच्छाई है; परन्तु जो है उससे विपरीत दीखने और दिखाने की कोशिश ही हमारा पाखंड है। '
Page: 55'The amount of money, time and energy Indians spend on 'religion' in order to attain peace and prosperity, the same if spent on researches in the field of Science, India can really become a happy and prosperous nation.'
'भारतीय, सुख-शांति खोजने हेतु जितना ध्यान, पैसा, समय व शक्ति ‘धर्म’ पर खर्चा किये हुए हैं, उतना ही सबकुछ यदि वे विज्ञान की Researches पर लगाना प्रारंभ कर दें तो भारत वाकई सुखी व समृद्ध हो जाए। '
Page: 56'Science really seems to be delusional with regards to the invention of "Photocopying". Infact, photocopying is an age old concept. Let there be one Buddha or Shankaracharya, and you will immediately find thousands of their photocopies moving in the market.'
'''Photocopy" के आविष्कार के बाबत विज्ञान वाकई भ्रमित है। दरअसल Photocopy का Concept हजारों वर्ष पुराना है। एक बुद्ध या शंकराचार्य हुए नहीं कि उनकी हजारों-लाखों Photocopy बाजार में घूमती नजर आयी नहीं। '
Page: 57'There is no happiness in this world which is not balanced by facing equal amount of sorrow. If you wish to save yourself from sorrows, then bury the feeling of indulgence and separate yourself from the one who is enjoying within you. And this is possible only if you stop taking pride in being a "doer".'
'दुनिया का ऐसा कोई सुख नहीं जिसे भोगने पर बराबरी का दुःख न झेलना पड़ता हो। सो, दुःख से बचना हो तो भोक्तापन का एहसास दफना दो। और यह तभी संभव है जब आप ‘‘कर्तापन’’ का गुमान पालना बंद कर दें। '
Page: 58'The root cause of all the sorrows of life is desire. Desire arises by looking at things around you. Meaning, the one who keeps his eyes fixed only on himself, will never be unhappy.'
'जीवन के सारे दुःखों की जड़ चाह है। चाह नजर बाहर घुमाने से पैदा होती है। यानी जिसकी नजर सिर्फ अपने पर बनी हुई हो वह कभी दुःखी नहीं होता। '
Page: 59'The root cause of all miseries lie hidden in "Me and Mine". If it is my wealth, then the pain of losing it, if it is my body, then the affliction of sickness… Whereas in reality, there is nothing yours other than the feeling of your "Being".'
'दुनिया के सारे दुःखों का मूल "मेरे" में छिपा हुआ है। यदि मेरा धन है तो खोने का दुःख, मेरा शरीर है तो उसकी बीमारी का दुःख। ...जबकि वास्तव में तो आपका अपने ‘‘होनेपन’’ के एहसास के अलावा और कुछ नहीं। '
Page: 60'If something is considered right at a particular place at a particular time, the same thing is rendered useless with the change of place and time. In that case, of what relevance is the list of good and bad deeds that we are working upon?'
'जो वस्तु एक समय पर एक स्थान में योग्य है, वही समय व स्थान बदलते ही अयोग्य हो जाती है। ऐसे में हम अच्छे व बुरे कर्मों की कौन-सी List बनाने में लगे हुए हैं। '
Page: 61'The whole world is a psychology and everything belonging to this world, living or non-living also has its own psychology. No one can ever bring a thing out of the sphere of its psychology.'
'यह पूरा विश्व एक सायकोलोजी है। और यहां की हर सजीव-निर्जीव वस्तु की भी अपनी एक सायकोलोजी है। उसे उसके उस दायरे से बाहर कोई नहीं ला सकता। '
Page: 62'What is there to be so proud in being a vegetarian? If you really want to be proud, then stop using the things invented by non-vegetarians, right from aircrafts, cars, A/C to even blood tests, when you fall ill.'
'आप शाकाहारी हैं तो इसमें इतना तनने की क्या बात है? तनना ही हो तो मांसाहारियों के ईजाद किये हवाईजहाज, गाड़ियों, ए.सी. से लेकर बीमार पड़ने पर ब्लड-टेस्ट तक के उपयोग बंद करके दिखाओ। '
Page: 63'Existence is governed by its own law. Here, the things impermanent by nature are bound to meet their end. Hence, with the passage of time, not only Ravana's Lanka but "Krishna's" Dwarka also sinks.'
'यह प्रकृति अपने नियम से चलती है। यहां नाशवान वस्तु नाश पा ही जाती है। इसीलिये यहां वक्त के साथ रावण की लंका ही नहीं ‘‘कृष्ण’’ की द्वारका भी डूब ही जाती है। '
Page: 64'Future is mysterious and has always been full of uncertainties. It has never been in anyone's control. Therefore, as soon as one thinks of the future, his mind catches the vibes of fear, worries and insecurities.'
'भविष्य रहस्यमय है। भविष्य हमेशा अनिश्चितताओं से भरा हुआ है। वह कभी भी किसी के भी नियंत्रण में नहीं रहा है। इसीलिये भविष्य का विचार करते ही मनुष्य का मन भय, चिंता और असुरक्षा के कंपन पकड़ लेता है। '
Page: 65'The whole world is so-called religious…barring a few intellectuals. But then where does all the anger, miseries, worries, envy, hatred and failure come from? ... Because, conquering all these feelings is only religiousness.'
'पूरा विश्व So-called Religious है...चन्द बुद्धिमानों को छोड़कर। फिर इतने क्रोध, दुःख, चिंता, जलन और नफरत कहां से आ रहे? ...क्योंकि इन सभी भावों पर विजय ही तो धार्मिकता है। '
Page: 66'We are so interested in religion that first we put the person who has come to awaken us to sleep. Then making him God, we establish such a religion around him that we don't face any obstacle in perpetrating the violence, jealousy, partiality, lies, cheating, fraud or pretence as we desire; and simultaneously adhering to few hypocrisies, also remain proud of being religious. '
'हमें धर्म में इतनी रुचि है कि पहले तो जो हमें जगाने आता है, हम उसी को सुला देते हैं। फिर उसी को भगवान बनाकर उसके आसपास ऐसा धर्म रच डालते हैं जिससे हमें हिंसा, ईर्ष्या, पक्षपात, झूठ, छल या दगाबाजी करने में तो कोई बाधा न पहुंचे; पर साथ ही दो-चार पाखंड कर हमें धार्मिक होने का गुमान भी बना रहे। '
Page: 67'Believing life to be of 60 years, we live our entire life considering it to be "One" unit. This is the reason, why memories of the past and fear of the future keep haunting us. Whereas in reality, life is the culmination of billions of moments put together. Hence, each moment - a new moment. And when each moment is a new moment… then which past and whose future?'
'जीवन साठ वर्ष का है, यह मानकर हम पूरे जीवन को ‘‘एक’’ मानकर जीते हैं। इसी कारण भूतकाल की यादें व भविष्य का डर हमें सताता रहता है। जबकि वास्तव में जीवन खरबों क्षणों के जोड़ का नाम है। अतः हर क्षण-नया क्षण। और जब हर क्षण नया क्षण है...तो कौन-सा भूतकाल व किसका भविष्य? '
Page: 68'We are religious gurus. What do we do? Whatever you do, we brand it as a sin… Meaning, despite being dependent on your donations, we abuse you. Still this skill of ours works…because there is no dearth of intelligent people in this world.'
'हम धर्मगुरु हैं। हमारा काम क्या है, जो आप करते हैं उसे पाप बताना। ...यानी आपके द्वारा दी जाने वाली दान-दक्षिणा पर आश्रित होने के बावजूद आपको गालियां देना। हमारी यह कला भी चल जाती है... क्योंकि जगत में बुद्धिमानों की कोई कमी नहीं। '
Page: 69'The biggest trick that we, the religious gurus have played is; the ones who came to destroy us, we placed them only as gods before you. Now say, how could our shutters ever be pulled down?'
'हम धर्मगुरुओं की सबसे बड़ी कारीगरी तो यह कि जो हमें मिटाने आये हमने उन्हीं को आपके सामने भगवान बनाकर पेश कर दिया। अब बताओ, हमारी दुकान बंद हो तो भी कैसे? '
Page: 70'Feeling a sense of pride on accomplishing something, is a proof that you have got more than what you deserve.'
'कुछ पाने पर अहंकार पकड़ना सिर्फ इस बात का सबूत है कि आपको अपनी योग्यता से ज्यादा मिल गया है। '
Page: 71'There is no difference in the principles of our life and business. Both flourish by thinking for the betterment of all. Selfish approach brings both to the brink of devastation..'
'हमारे जीवन व व्यवसाय के सिद्धांतों में कोई फर्क नहीं। दोनों सबके हित की सोचने से ही फलते-फूलते हैं। स्वार्थी प्रवृत्ति से दोनों विनाश के कगार पर आ खड़े होते हैं। '
Page: 72'Garner the strength to keep your 'freedom' intact under any circumstances and protect your mood at any cost; then whatever may happen to anyone...you will surely be seated on the ultimate height of joy and success.'
'आप अपनी ‘स्वतंत्रता’ हरहाल में बरकरार रखने की शक्ति जुटाने व अपने मूड की किसी कीमत पर रक्षा करने की ताकत प्राप्त कर लें; फिर दूसरे का जो होना हो...हो, पर आप आनंद व सफलता के उच्चतम शिखर पर अवश्य विराजमान हो जाएंगे। '
Page: 73'In this world, there is only one way to lead a life of truth - "either you consider everyone dead including yourself or you treat all others at par with yourself."'
'इस संसार में सच्चाई के साथ जीने का एक ही मार्ग है - ‘‘आप या तो अपने समेत सबको मृत समझें, या फिर आप अपने समेत सबको बराबरी का इन्सान समझें।’’ '
Page: 74'Every individual 'ego' wants to reach the top of the world but the beauty of nature is such that only a 'non-egoist' gets to sit on the summit of ego.'
'हर कोई ‘अहंकार’ के ऊंचे शिखरों पर विराजमान होना चाहता है; परंतु कुदरत की लीला ऐसी है कि यहां अहंकार के सर्वोच्च शिखरों पर सिर्फ ‘निःअहंकारी’ ही विराजमान हो पाता है। '
Page: 75'Are these 'Christians' really the followers of Jesus Christ, who for the sake of all had happily embraced crucifixion? Despite speaking the truth, the manner in which Galileo was treated by the Pope and priests in the name of the Bible, it does not seem so'
'क्या ये ‘क्रिश्चियन’ उसी जीसस के अनुयायी हैं जो सबके उद्धार के लिये हंसते-हंसते सूली चढ़ गए? सच बोलने के बावजूद ‘बाइबल’ के नाम पर पादरियों ने गैलेलियो का जो हाल किया था, उसे देखते हुए मुझे तो ऐसा नहीं लगता। '
Page: 76'Denying anything strongly, is nothing but inviting that thing in life, if not today...tomorrow to assume a monstrous form.'
'किसी भी बात का दृढ़तापूर्वक इन्कार करना, आज नहीं कल उस ‘वस्तु’ को जीवन में खतरनाक स्वरूप धारण करने हेतु न्यौता देना है। '
Page: 77'Generally, people believe black colour to be inauspicious, but when their hair grow grey, the same people colour them black. Now how could you call them anything but hypocrites?'
'प्रायः लोग-बाग काले कलर को अशुभ मानते हैं। पर वही लोग अपने सर के बाल सफेद हो जाने पर उन्हें काला करवा लेते हैं। अब इन्हें धोखेबाज नहीं तो और क्या कहें? '
Page: 78'Wonder, why does it take so long for the Muslim community to discard their faulty policies with the changing times? If females could be accorded with voting rights now in Saudi Arabia, why not 50-100 years ago?'
'पता नहीं यह मुस्लिम समाज वक्त के साथ अपनी कुनीतियां छोड़ने में इतना वक्त क्यों लगाता है? अब जब आज सऊदी अरब में स्त्रियों को मताधिकार का हक दिया जा सकता है, तो यह पचास-सौ साल पहले क्यों नहीं दिया जा सकता था? '
Page: 79'Be it life or business - when do they reach their pinnacle? When you do something innovative or create something new. Meaning "power of creativity" is required for both to flourish and prosper.'
'जीवन हो या व्यवसाय - दोनों अपनी ऊंचाइयां कब छू पाते हैं? जब आप परंपरा से हटकर कुछ नया करते या बनाते हैं। यानी "Power of Creativity" दोनों के फलने-फूलने हेतु आवश्यक है। '
Page: 80'Only he can perpetrate violence on others, who knowingly or unknowingly is torturing himself. Otherwise he, who loves himself, can never cause harm to anyone.'
'दूसरों पर हिंसा वही मनुष्य कर पाता है, जो जाने-अनजाने स्वयं को सता रहा हो। बाकी स्वयं से प्रेम करने वाला कभी दूसरों का अहित कर ही नहीं सकता। '
Page: 81'The day you will be able to take your body where your "mind" is, I promise, all your miseries will disappear at that very moment.'
'जिस रोज आप जहां आपका ‘‘मन’’ हो वहीं शरीर को ले जाने में सक्षम हो जाओगे; वादा करता हूँ, जीवन के सारे गम उसी क्षण छू हो जाएंगे। '
Page: 82'All the conclusions derived by science with reference to human body will only be based on 'Ifs and Buts', because the uncertainty of life is the ''play of nature''.'
' मनुष्य के शरीर बाबत Science के सारे तारण हमेशा 'Ifs and Buts' के सहारे ही रहेंगे। क्योंकि जीवन की अनिश्चितता ही ‘‘कुदरत की लीला’’ है। '
Page: 83'If you really want to free yourself from anger, then forget all the useless things you have learnt. The only way to get rid of anger is, whenever or on whosoever you get angry, just keep releasing it. Do not harbour it within.'
'यदि जीवन में आप वाकई क्रोध से छुटकारा पाना चाहते हैं तो व्यर्थ की शिक्षाओं को भूल जाओ। क्रोध से छुटकारा पाने का एक ही उपाय है कि जब, जिस पर जितना क्रोध आए उसे निकालते चले जाओ। '
Page: 84'A 'powerful person' is free to express his anger, whereas a 'weaker person' is compelled to suppress it. Thus in the process, the powerful goes on to become happier, and the weaker, perverted forever.'
'‘ताकतवर आदमी’ क्रोध करने को स्वतंत्र होता है, जबकि ‘कमजोर आदमी’ क्रोध दबाने को मजबूर होता है। इसी से ताकतवर प्रसन्न व कमजोर विकृत होता चला जाता है। '
Page: 85'Since you are born a human being, it is good to have fancies for life and fulfill them. It will surely broaden your mind. But at the level of consciousness, you must harness just one big 'aim'. Buddha, Jesus, Edison, Bill Gates, Shakespeare...all are the result of 'singular orientation' at the level of consciousness.'
'मनुष्य जन्म लिया है तो मन के हजारों शौक पालना व पूरे करना अच्छी बात है। यह आपके मन का विकास ही करेगा। परंतु चैतन्य के स्तर पर ‘ध्येय’ बड़ा व एक ही रखना। बुद्ध, जीसस, एडीसन, बिल गेट्स, शेक्सपीयर...सब चैतन्य के स्तर पर ‘एक-लक्षी’ होने के परिणाम हैं। '
Page: 86'Birth is a moment. Even death is a moment. The chain of moments spent between the two is called life. In that case, time is indeed precious. We can bring an end to all our problems as soon as we analyze... as to where and on what issues we have been wasting our time.'
'जन्म एक क्षण है। मृत्यु भी एक क्षण है। इन दोनों के बीच के क्षणों के जोड़ को ही हम जीवन कहते हैं। इस लिहाज से समय वाकई मूल्यवान है। हम अपना समय कहां व किन बातों में गंवा रहे हैं... यह गौर करते ही हमारी सारी समस्याओं का अंत आ सकता है। '
Page: 87'Things without which our life simply cannot sustain… like air, water and gravitational force; all are equally available to everyone for free. For a man of reason, this holds not one, but thousand implications.'
'जिसके बगैर हमारा जीवन चल ही नहीं सकता...जैसे हवा, पानी व गुरुत्वाकर्षण; वह सभी मुफ्त में समान रूप से सबको उपलब्ध है। समझदार के लिये इसके एक नहीं हजार मायने हैं। '
Page: 88'Nature has not bestowed any such power to a human being that allows him to give permanent happiness to anyone. For that, a person has to work hard and put in efforts himself.'
'प्रकृति से किसी मनुष्य को इतनी सत्ता नहीं कि वह किसी दूसरे मनुष्य के स्थायी सुख का उपाय कर सके। उस हेतु तो हर मनुष्य को स्वयं ही अपने प्रयास करने होते हैं। '
Page: 89'If you can accomplish any great task being absorbed in it and that too without any expectations, believe me, that one act of yours will make you a "historical person".'
'यदि आप कोई बड़ा कर्म डूबकर व बिना किसी आकांक्षा के कर सकें, तो मेरा विश्वास कीजिए कि उस एक कर्म से ही आप ‘‘ऐतिहासिक पुरुष’’ हो जाएंगे। '
Page: 90'Have you ever seen classes where tigers are taught to hunt, monkeys to jump or cows being trained to abstain from eating flesh? Then what are we being preached and why? Do our religious heads and scriptures consider us even worse than animals?'
'क्या कभी आपने शेर को शिकार करते सिखाने की, या बंदरों को उछलना सिखाने की; या फिर गाय को मांसाहार न खाने की सलाह देने वाली Classes देखी है? तो फिर हमें क्या व क्यों सिखाया जा रहा है? कहीं हमारे धर्मगुरु व शास्त्र हमें जानवरों से भी गये-बीते तो नहीं समझ रहे? '
Page: 91'All good and important things in life, happen; they cannot be done. Be it the revolving of the earth or digestion of your food. Be it blowing of the wind or breathing. Be it even making a melody or a discovery.'
'सारे बड़े व महत्वपूर्ण कार्य होते हैं, किये नहीं जा सकते। फिर चाहे वह पृथ्वी का घूमना हो या आपका खाना पचाना। वह चाहे हवाओं का बहना हो या आपका सांस लेना। और चाहे वह कोई मीठी धुन बनाना हो या कोई आविष्कार करना हो। '
Page: 92'There is nothing more "deceitful" than ego in this world. If you want to see, carefully observe the people who unnecessarily show high moral, talk ethics, visit temples or strictly follow rituals. Their entire being reverberates ego, yet they are unaware of it.'
'अहंकार से बड़ा ‘‘धोखेबाज’’ इस संसार में कोई नहीं। देखना हो तो अच्छे शब्द प्रयोग करनेवालों, सदैव अच्छी बात करनेवालों व मंदिर जानेवालों को देख लेना। अहंकार इन लोगों के सर चढ़कर बोलता है व इनको पता तक नहीं चलता। '
Page: 93'There is no discovery of science that the Jain monks do not describe as already mentioned in their scriptures. Then how come despite their scriptures being loaded with facts of knowledge, forget science, no Jaina is seen achieving anything significant in any field on the global scale. I believe, now they should start sending their scriptures for the Noble prize.'
' विज्ञान की कोई ऐसी खोज नहीं जिसे जैन मुनि अपने शास्त्रों में वर्णित न बताते हों। ज्ञान-विज्ञान से इतने परिपूर्ण शास्त्र होने के बावजूद विज्ञान तो छोड़ो, किसी भी क्षेत्र में एक भी जैन विश्व स्तर पर कुछ किया नहीं दिखता। लगता है अब उन्हें Nobel Prize के लिये अपने शास्त्र भिजवाने प्रारंभ कर देने चाहिए। '
Page: 94'The Muslim community spread across the globe is indeed put in a flux. Their name gets affiliated with every terrorist activity and certainly the whole community is bearing the brunt of it. But it is only their inability to raise a voice against fanaticism that is mainly responsible for it.'
'पूरे विश्व में फैले मुस्लिम समुदाय की हालत अजीब हो गयी है। हर आतंकवाद के साथ उनका नाम जोड़ दिया जाता है। निश्चित ही इसका हर्जाना वे भुगत भी रहे हैं। इस हेतु उनका कट्टरता के सामने आवाज न उठा पाना ही प्रमुखता से जवाबदार है। '
Page: 95'In Jain scriptures, the only complete man in the history of the world "Krishna" is also placed in hell. To the extent that even Buddha, who has enlightened the whole world has been mentioned by the Jain monks as the one initiated by "Mahavira". Isn't it the height of their insecurity and inferiority?'
'विश्व इतिहास के एकमात्र सम्पूर्ण व्यक्तित्व के मालिक ‘‘कृष्ण’’ को भी जैन शास्त्रों ने नरक में जगह दी है। यहां तक कि पूरा विश्व जिनके तेज से प्रकाशमान है वैसे बुद्ध को भी जैन मुनि ‘‘महावीर’’ से दीक्षित बताते हैं। क्या यह उनकी Insecurity व Inferiority की Height नहीं? '
Page: 96'Now the time has come for all the open-minded, intelligent Muslims to come forward and form a powerful association. If they themselves don't show courage or care about their fellow brothers...why would someone else?'
'अब वक्त आ गया है जब विश्वभर के सारे खुले विचारों वाले बुद्धिमान मुस्लिम अपना एक तगड़ा Association बना लें। यदि वे ही हिम्मत नहीं दिखाते, उन्हें ही अपने भाई-बंधुओं की नहीं पड़ी...तो दूसरा कब तक उनके पीछे प्रयास करेगा? '
Page: 97'The way you laugh at others when you see them suffer for their mistakes, why don't you laugh at yourself also when you are paying for your foolishness? If you learn this, all your miseries will immediately be 'dispelled'.'
'जैसे आप दूसरों की गलतियों का उसे भुगतते देख उस पर हंस लेते हैं, वैसे ही आप क्यों नहीं अपनी मूर्खताओं का अपने को भुगतते देख हंसते? यह सीख गये तो सारे गम ‘छू’। '
Page: 98'In life, nothing can be costlier than gaining anything by compromising the soul.'
'जीवन में आत्मा बेचकर कुछ भी पाने से महंगा सौदा और कुछ नहीं हो सकता है। '
Page: 99'In the universe, everything has its own individual nature. No element of existence has any confusion with regards to their nature except the intelligent human being, who is absolutely clueless about his own nature.'
'ब्रह्मांड में हर वस्तु का अपना एक स्वभाव है। प्रकृति की किसी भी वस्तु को अपने स्वभाव के बारे में कोई कन्फ्यूजन कभी नहीं होता है। यह मनुष्य ही एक ऐसा बुद्धिमान है जिसे अपने स्वयं के स्वभाव के बारे में कुछ पता नहीं। '
Page: 100'No one feels the necessity to become good or learn something good, but nobody ever misses out on an opportunity to portray oneself good.'
'अच्छा बनने या अच्छा सीखने की आवश्यकता किसी को महसूस नहीं होती, परंतु अच्छा दिखने में कोई रत्तीभर कसर नहीं छोड़ता। '
Page: 101'Is there a rebirth or reincarnation? Definitely yes... But according to the law of nature, if you do not exist at all, then you cannot be 'born'; and if you exist, you cannot be destroyed.'
'क्या पुनर्जन्म होता है? अवश्य...। लेकिन प्रकृति के इस सिद्धांत पर कि यदि आप हैं ही नहीं तो ‘पैदा’ नहीं किये जा सकते; और आप हैं तो मिटाये नहीं जा सकते। '
Page: 102'What is the difference between a theist and an atheist? An atheist is the one who fails to recognize the ultimate supremacy of nature; hence he is trying to enhance life with the help of the knowledge cultivated by his brain. A theist is the one who does not apply his brain at all. He completely surrenders to the existence, allowing nature to make and mould him as it deems right.'
'नास्तिक और आस्तिक में फर्क क्या है? नास्तिक वह है जो प्रकृति की महासत्ता को पहचानता नहीं; अतः स्वयं की बुद्धि से अर्जित ज्ञान के भरोसे जीवन संवारने में लगा हुआ है। आस्तिक वह है जो बुद्धि लगाता ही नहीं। वह स्वयं को उसके अर्पित कर देता है, प्रकृति उसे जैसा व जो बनाना चाहे बना ले। '
Page: 103'Neither the ones who have created enormous wealth under the shade of religion, nor the ones who have relinquished wealth for religion can be called 'free from worldly attachments'.'
'ना तो धर्म के नाम पर जागीर बनाने वाले और ना ही धर्म के नाम पर जागीर छोड़ने वाले ‘मोह-रहित’ कहे जा सकते हैं। '
Page: 104'Is there a rebirth? No, not at all. From the perspective of what you think as your way of being, like your name, your family, your country, society, religion or wealth, all these will surely cease to exist forever with your death. '
'क्या पुनर्जन्म होता है? नहीं और बिल्कुल नहीं। वह इस लिहाज से कि जिसे आप अपना होना मान रहे हैं, जैसे आपका नाम, आपका परिवार, आपका देश, समाज, धर्म या आपकी संपत्ति वह सब तो आपकी मृत्यु के साथ निश्चित ही हमेशा के लिए समाप्त हो जाएगा। '
Page: 105'Only by moving with time, one can attain the best possible heights of his life. On the screen of time, few things are absolutely irrelevant. Mainly two; first, worship and rituals and second, redundant knowledge. It is because of these two, that we get separated from time and its results are right in front of our eyes. '
'समय के साथ चलने पर ही मनुष्य अपने जीवन की श्रेष्ठ ऊंचाइयां पा सकता है। इस समय के परदे पर कई चीजें पूरी तरह अनावश्यक हैं। उसमें दो प्रमुख हैं; एक पूजा-पाठ व दूसरा अनावश्यक ज्ञान। इन दो के कारण हम समय से बिछड़ जाते हैं व उसके परिणाम हमारी आंखों के सामने है। '
Page: 106'Bible, Quran and Vedas have been proven wrong on many instances. It is any day better to devote the precious human life to the cause of humanity living life to the fullest, rather than sacrificing it on their altar. '
'बाईबल, कुरान व वेद तो कई बार कई मौकों पर गलत साबित हो चुके हैं। यह महत्वपूर्ण मनुष्य जीवन मस्ती से जीते हुए उनके बजाय मनुष्यता पर निछावर करना ज्यादा बेहतर है। '
Page: 107'Here, there is no difference in the functioning of 'energy' and 'matter', ultimately even matter exists only because of energy. (Energy meaning 'that' which governs everything including us) '
'यहां ‘तत्व’ व ‘वस्तु’ की कार्यप्रणाली में कोई फर्क नहीं, आखिर वस्तु भी अस्तित्व में है तो तत्व के कारण ही। (तत्व यानी ‘वह’ जिससे हमारे समेत सबकुछ चलायमान है) '
Page: 108'To get enthused about something before it is achieved, always brings undesired grievous results. To realize it, you need not go far, just reflect upon a few incidents of your life…you will understand. '
'किसी भी वस्तु को प्राप्त करने से पहले ही उस बाबत उत्साहित हो जाना हमेशा जरूरत से ज्यादा दुःखद परिणाम लेकर आता है। विश्वास करने हेतु ज्यादा दूर जाने की जरूरत नहीं, अपने ही जीवन की चन्द घटनाओं पर नजर घुमा लें...समझ जाएंगे। '
Page: 109'In this universe sun, air, water, all are busy performing their functions, but have no aspirations. Nothing to gain. When we will also learn to engage ourselves in endeavours without any ambition or expectation, we will reach the ultimate height of satisfaction. '
'इस ब्रह्मांड में सूर्य, पानी, हवा सब अपने कार्य में तो लगे हैं पर इनको आकांक्षा कोई नहीं। पाना कुछ नहीं। जब हम भी बिना किसी आकांक्षा के कार्यों में व्यस्त होना सीख जाएंगे, तो संतोष के परम-शिखर पर जा बैठेंगे। '
Page: 110'The more you co-operate with mind, the more it will co-operate with you. You cannot push your mind against its will. It is only due to the teachings of compelling the mind to function in a certain manner that human being has become so pervert. The one who co-operates with his mind, always attains huge success in life. '
'जितना आप मन का साथ देंगे उतना ही मन आपका साथ देगा। मन के साथ जबरदस्ती नहीं की जा सकती है। मन के साथ जबरदस्ती करनेवाली शिक्षाओं के कारण ही मनुष्य आज इतना विकृत हो चुका है। मन के साथ सहयोग करनेवाला जीवन में हमेशा बड़ी सफलता पा लेता है। '
Page: 111'What great things are we going to accomplish that we apply so much of brain? Imagine, if the earth stops to think even for a second, whether I should revolve or not, what would happen? Wouldn't our very existence be destroyed? '
'हम ऐसा तो क्या कर डालने वाले हैं कि इतनी बुद्धि लगाकर जी रहे हैं? सोचो, यदि पृथ्वी क्षण भर भी यह सोचने रुक गयी कि मैं घूमूं या न घूमूं तो क्या होगा? हमारा अस्तित्व न मिट जाएगा? '
Page: 112'The biggest proof of the presence of "witness" is; while indulging in any wrong doing whether someone knows it or not, there is no such person who himself does not know that what he is doing, is wrong. '
'"द्रष्टा" की उपस्थिति का सबसे बड़ा सबूत तो यह है कि कुछ भी गलत करते वक्त दूसरा कोई जाने या न जाने, ऐसा कोई व्यक्ति नहीं जिसे खुद अपने गलत करने का एहसास न होता हो। '
Page: 113'The soul dwelling within each one of us is the most powerful energy of the universe. And this soul is only the supreme power. Now despite knowing and understanding all this, if we still visit temples, mosques and religious places…then does it show anything other than distrust on our own soul? '
'हमारे भीतर की आत्मा ही इस जगत की सबसे ज्यादा शक्तिशाली शक्ति है। यह आत्मा ही परमात्मा है। यह सब सुनने-समझने के बावजूद हम मंदिर-मस्जिदों में जाते हैं...तो यह सिवाय स्वयं की आत्मा पर अश्रद्धा के और क्या दर्शाता है? '
Page: 114'In today's time, the influence of wealth has increased so much that the wealthy do not need to possess any other good quality in themselves. '
'आज के समय में धन का प्रभाव इतना तो बढ़ गया है कि अब धनवान में अलग से अन्य कोई गुण होने की आवश्यकता ही नहीं रह गयी है। '
Page: 115'To attain the state of non-violence, you need to have an impartial eye. Only if your attitude is like that of a judge towards everyone including yourself, can the violence be minimized in our lives.'
'अहिंसा को उपलब्ध होने के लिए पक्षपात रहित आंख चाहिए। यदि आप अपने समेत सबके साथ न्यायाधीश जैसा व्यवहार कर सकें तो ही आपके जीवन में से हिंसाएं कम होंगी। '
Page: 116'The vast space of this universe doesn't end anywhere. Think, even if it ends, what would lie beyond? That too, can't be anything other than space. In such a certainly infinite universe what sort of things are we worried about? '
'ब्रह्मांड की यह विशाल Space कहीं खत्म नहीं होती। सोचो, यदि खत्म हो तो भी उसके आगे क्या होगा? वह भी सिवाय Space के और कुछ नहीं हो सकता। इतने निश्चित Infinite ब्रह्मांड में हम किन-किन बातों की चिंता पाले हुए हैं? '
Page: 117'The biggest scourges of human life are fear, false hopes and dependency. Thanks to the so-called religious hypocrisies, you do not get anything else but these three. '
'मनुष्य जीवन के लिये सबसे बड़ा अभिशाप भय, झूठी-आशा व निर्भरता है। तथाकथित धार्मिक पांखड के कारण इन तीनों के अलावा आपको और कुछ नहीं मिलता। '
Page: 118'Human life is influenced by seven elements - the laws of existence, his own nature, his brain, mind, heart, DNA and his own set of experiences. No eighth element or reason influences him even a bit. '
'मनुष्य जीवन...कुदरत के नियम, उसका अपना स्वभाव, उसकी बुद्धि, मन, हृदय, DNA तथा उसके अपने अनुभवों समेत की सात वस्तुओं से प्रभावित होता है। आठवीं कोई वस्तु या कारण उसे रत्तीभर प्रभावित नहीं करते। '
Page: 119'Behind all fears of man, there is only one fear, the fear of death. The one who conquers this fear is bound to win over fear itself. '
'मनुष्य के सारे भयों के पीछे सिर्फ मौत का डर है। जिसने इस पर विजय पा ली उसने समझो भय पर विजय पा ली। '
Page: 120'Spontaneous consciousness is such a height of the human mind from where all the peaks of progress can be mounted. This is the reason why a person who thinks too much can never succeed in life. '
'क्षणिक-चेतना मनुष्य के मन की वह ऊंचाई है जहां से प्रगति के सारे शिखर तय किये जाते हैं। इसीलिये ज्यादा सोचने वाला जीवन में कभी सफल नहीं हो पाता। '
Page: 121'There is no dearth of life in this universe. There are few who are similar to us and many who are different. The only obstacle in knowing this, is the infinity of the universe along with the limited progress of life. '
'इस ब्रह्मांड में जीवन की कहीं कोई कमी नहीं। कुछ हमारे जैसे तो कई हमसे भिन्न मौजूद हैं। इसे जानने में बाधा ब्रह्मांड की Infinity के साथ-साथ जीवन के विकास की सीमा के कारण भी है। '
Page: 122'No parallel can be drawn for human love. When an old person is spending his time in loneliness, nobody bothers to check his well-being. But when he falls sick, tens of people visit him in hospital and hundreds of people gather when he dies. '
'मनुष्य के प्रेम का कोई जोड़ नहीं। उम्रदराज हुआ बुजुर्ग जब एकान्त में होता है, तब उसको कोई नहीं पूछता। पर उसके बीमार होते ही पचासों अस्पताल पहुंच जाते हैं व मरने पर पांच-सौ एकत्रित हो जाते हैं। '
Page: 123'If you are a fraud and it is mentioned on your visiting card, how would you be able to cheat anyone?... No one would simply fall in your trap. '
'यदि आप धोखेबाज हैं व आपके Visiting Card पर धोखेबाज लिखा है तो आप कैसे किसी को धोखा दे पाएंगे? ...कोई आपके झांसे में आएगा ही नहीं। '
Page: 124'Nothing is more disastrous for a human being than 'self-reproach'. Right from self-confidence to your existence, it shatters everything. Yet these religious gurus, ignorant of this science of mind, in order to run their businesses keep feeding the feeling of sinfulness in people. '
'आत्मग्लानि’ से बढ़कर मनुष्य का विनाशक कोई नहीं। यह आपके विश्वास से लेकर अस्तित्व तक सबको खत्म कर देता है। फिर भी मन के विज्ञान से पूरी तरह अनजान यह धर्मगुरु सिर्फ अपनी दुकानें चलाने हेतु रोज-रोज मनुष्य को पाप-भाव से भरे जा रहे हैं। '
Page: 125'All the knowledge possessed by science regarding the human body is based on probabilities. Whilst, many cancer patients are the ones who have abstained from tobacco lifelong…majority of the heart attacks are suffered by those who do not have high cholesterol levels. '
'विज्ञान का मनुष्य के शरीर बाबत सारा ज्ञान Probabilities पर टिका हुआ है। जहां अधिकांश कैन्सर के मरीज तम्बाखू से दूर रहने वाले होते हैं...वहीं अधिकांश अटैक Cholestrol High न होने वालों को आते हैं। '
Page: 126'In this world, there cannot be any "remedy" better than true love. '
'इस संसार में सच्चे प्रेम से बढ़कर दूसरी कोई ‘‘औषधि’’ नहीं हो सकती। '
Page: 127'The magic of the depths of the inner mind is such that illiterate Kabir and Kalidas turn out to be "eternally great poets"... And uneducated Edison emerges as a scientist with the highest number of inventions to his credit. Still do you think you will be able to achieve success without understanding the science of the depths of mind? '
'मन की गहराइयों का जादू तो यह कि अनपढ़ कालीदास व कबीर, कवियों के ‘‘महा-कवि’’ हो जाते हैं। ...और अशिक्षित एडीसन सबसे ज्यादा आविष्कार करने वाला वैज्ञानिक हो जाता है। क्या अब भी आप समझते हैं कि मन की गहराइयों का विज्ञान समझे बगैर आप सफलता पा लेंगे? '
Page: 128'What is more valuable, the car or you? Certainly you... Then instead of the car, why don't you wear a necklace of lemon and chillies, as it is you, who is more at risk. '
'आपकी गाड़ी ज्यादा कीमती है या आप? निश्चित ही आप। ...फिर गाड़ी की जगह गले में नींबू-मिरची डालकर क्यों नहीं घूमते, खतरा आप पर ज्यादा है। '
Page: 129'For a week, you just closely observe the vibrations arising in your mind, events unfolding around you and the functioning of nature. You will realize that other than your false hopes and unfounded fears, no one needs "God".'
'आप सिर्फ हफ्ताभर अपने मन में उठ रही तरंगों, आसपास घट रही घटनाओं व प्रकृति की हलचलों को ध्यान से निहारो। आपको समझ आ जाएगा कि आपकी झूठी आशाओं व आपके खोटे डरों को छोड़कर ‘‘ईश्वर’’ की जरूरत किसी को नहीं। '
Page: 130'It is not that the Muslim community is not changing, but the pace is too slow. Why don't they understand that without adapting oneself to the changing world, one cannot really tread the path of progress.'
'यह नहीं है कि मुस्लिम समुदाय परिवर्तित नहीं हो रहा है, पर उसकी गति अत्यंत धीमी है। वे समझते क्यों नहीं कि विश्व के साथ कदम-से-कदम मिलाए बगैर कोई प्रगति की राह पर आगे नहीं बढ़ सकता। '
Page: 131'Quite often in our attempt to solve the problems we end up inching closer to them. Generally problems come and go, there really is nothing much for you to do in it.'
'अक्सर समस्याओं को सुलझाने की कोशिश में आप समस्याओं के निकट पहुंच जाते हैं। प्रायः समस्याएं आती व चली जाती हैं, उसमें आपके करने लायक कुछ नहीं होता है। '
Page: 132'What is the difference between good news and bad news? In both the cases, you are shaken from your slumber. You anyway react in both the cases. A true human being is the one, who cannot be perturbed by any news.'
'बुरी खबर व अच्छी खबर में फर्क क्या है? नींद तो दोनों ही सुरतों में उड़ जाती है। प्रतिक्रिया तो आप दोनों ही सुरतों में देते हैं। व्यक्ति तो वह जिसे कोई खबर हिला ही न सके। '
Page: 133'For a sensible person, the matter worth thinking about is, in the history of past 5000 years, what has been the role of millions of saints, priests and religious agents in the betterment of the world, and in comparison what has been the contribution of 500 scientists?... All that we need to decide is, who is genuinely more compassionate towards mankind? '
'एक समझदार व्यक्ति के लिए सोचने वाली बात यह कि पिछले पांच हजार वर्षों के इतिहास में हुए करोड़ों संत, मौलविओं व पादरियों ने मिलकर जगत का कितना उद्धार किया? और उसके सामने पांच-सौ वैज्ञानिकों ने जगत को क्या दिया? ...हमें सिर्फ यह तय करना है कि मनुष्य के प्रति वास्तविक करुणा से कौन भरा है? '
Page: 134'If you want to understand the teachings of Buddha, Krishna, Jesus or any great philosopher, you will have to learn to differentiate and dissect their sayings in two parts, one, 'eternal truth' and second, 'the truth relevant at that time'. Without distinguishing the two, you will invariably end up misunderstanding their sayings. '
'यदि आपको बुद्ध, जीसस, कृष्ण या किसी भी बड़े Philosophers की बात को समझना है तो, उनकी कही बातों में दो भेद करने का ज्ञान होना आवश्यक है। एक ‘सनातन-सत्य’ व दूसरा ‘समय का सत्य’। इन दोनों में भेद किये बगैर आप उनकी सारी बातों का उलटा अर्थ ही निकालेंगे। '
Page: 135'If there is any planning worth undertaking in human life it is, when one breathes his last neither should he have any guilt nor dissatisfaction... Despite doing everything desired, still if he has any kind of remorse or discontent while bidding goodbye to this world…then what did he do all his life?'
'मनुष्य-जीवन में कोई Planning करने लायक है तो वह एक ही है कि जब वह जीवन की अंतिम सांसें ले रहा हो तब उसे ना तो कोई Guilt होनी चाहिए और ना ही असंतोष का कोई भाव। ...सबकुछ करने के बाद भी यदि दुनिया से विदा लेते वक्त किसी प्रकार का असंतोष या पश्चाताप हो...तो फिर उसने जीवन में किया क्या? '
Page: 136'In life, if anything "unexpected or unforeseen" happens with you or around you, then it is nothing but the manifestation of your foolishness.'
'जीवन में आपके साथ या आपके आसपास कुछ भी ‘‘अप्रत्याशित’’ घटता है तो वह सिवाय आपकी मूर्खता के और कुछ नहीं दर्शाता है। '
Page: 137'The entire past of a person is like a dustbin. Whenever one puts his hand in and tries to take anything out, no matter what it is, it will surely stink. Similarly, all his aspirations for future resemble the desire to fly like a bird, whenever he will try, he is bound to fall hard and hit the ground.'
'मनुष्य का सारा भूतकाल कचरे के डब्बे जैसा है। उसमें हाथ डालकर जब भी और जो भी निकालोगे, बदबूदार ही होगा। वैसे ही उसकी सारी भविष्य की इच्छाएं पक्षी की तरह आसमान में उड़ने की इच्छा के समान है, जब भी कोशिश करेगा - जमीन पर ही गिरेगा। '
Page: 138'Intelligent is not the one who has higher degrees or is knowledgeable about numerous subjects, but the one who knows his limits...meaning who is well aware of his strengths and weaknesses.'
'बुद्धिमान वह नहीं जिसके पास बड़ी डिग्री है या जिसे हजारों विषयों की जानकारी है। बल्कि बुद्धिमान वह है जो अपनी सीमा पहचानता है... यानी जो अपने Pluses और Minuses से अच्छी तरह वाकिफ है। '
Page: 139'The entire human life is driven by mind, and mind functions according to its laws… In that case, what can be more important in human life than knowing and understanding these laws of mind?'
'मनुष्य का पूरा जीवन मन से चलता है, और यह मन नियमानुसार बर्तता है। ...ऐसे में मन के नियम जानने और समझने से ज्यादा महत्वपूर्ण मनुष्यजीवन में और क्या हो सकता है? '
Page: 140'You are a part of the existence, but the problem of your life is; propelled by selfishness, you are trying to create a different world for yourself. '
'आप अस्तित्व का एक हिस्सा हैं, आपके जीवन की परेशानी यह है कि आप स्वार्थवश अपनी एक अलग दुनिया बनाने में लगे हुए हैं। '
Page: 141'It is the law of nature that when adversity strikes, nature invariably provides us with the strength to endure that pain. Look for yourself, we are not that disheartened with the pains of present…but are worried sick about the pains to come in future.'
'कुदरत का यह नियम है कि दुःख पड़ने पर वह मनुष्य को सहन करने की शक्ति दे ही देती है। गौर करना, हम जो दुःख वर्तमान में है उससे इतना दुःखी नहीं...जितना आने वाले दुःखों की सोच-सोच चिंता में दुबले हुए जा रहे हैं। '
Page: 142'To concentrate on one task at a time irrespective of its nature or kind, is 'Yoga'. Likewise, focusing on many tasks at a time is 'Kama', no matter how great or important you may consider them to be.'
'एक बार में एक कार्य पर ध्यान ‘योग’ है, फिर वह कार्य कोई भी क्यों न हो? वैसे ही एक बार में अनेक कार्यों पर ध्यान ‘काम’ है, फिर चाहे वे कार्य आप कितने ही महान या आवश्यक मानकर क्यों न कर रहे हों। '
Page: 143'The person who indulges in self-torturing thoughts like fasting or uprooting his own hair is bound to perform acts that will cause pain to others. Now you say, how can such a person who inflicts pain on others ever be happy?'
'जिस व्यक्ति को उपवास करने या बाल नोचने जैसे खुद को सताने वाले विचार आते हैं, उससे स्वतः ही ऐसे कार्य हो जाते हैं जिससे दूसरों को कष्ट पहुंचे। अब आप ही बताइए कि दूसरों को कष्ट देने वाला ऐसा मनुष्य जीवन में सुखी कैसे रह सकता है? '
Page: 144'Isn't it funny that we never look into the lives of the great people whom we worship, to dispel the miseries from our life and see, how much pain they have endured in their life. The truth is, we fail to understand one simple and basic fact that as long as there is life, there will be pain; no matter however great the person may be… Their greatness is not in having a life without hardship but because of their ability to remain cheerful even when surrounded by miseries.'
'क्या यह हास्यास्पद नहीं कि हम अपने जीवन से कष्टों को दूर करने हेतु जिन महापुरुषों की पूजा करते हैं, कभी उनके जीवन में नहीं झांकते कि उन्होंने जीवनभर कितने कष्ट भोगे हैं। दरअसल हम यह सीधा गणित क्यों नहीं समझते कि जबतक जीवन है तब तक कष्ट रहने ही हैं, चाहे वह कितना ही बड़ा महापुरुष क्यों न हो? ...यानी उनकी महानता कष्ट न मिलने के कारण नहीं; बल्कि कष्ट में भी उनकी हंसते रहने की क्षमता के कारण है। '
Page: 145'There is no complex in existence, it is we who have identified stones and diamonds differently. The day you accept yourself as you are instead of trying to change it, your complex will also disappear… I promise you, that day onwards you will start getting attuned to nature.'
'प्रकृति में कोई Complex नहीं, हीरा और पत्थर हमने भिन्न-भिन्न जाने हैं। जिस दिन आप जैसे हैं उसे बदलने की जगह स्वीकारने में लग जाएंगे, आपका भी Complex जाता रहेगा। ...वादा करता हूँ उस दिन से आपकी प्रकृति से Tuning बैठना चालू हो जाएगी। '
Page: 146'Trusting oneself helps you gain self-confidence whereas leading life depending upon others, be it even God, dwindles your confidence. And only those who are full of confidence become successful in life. '
'स्वयं पर विश्वास करने से आत्मविश्वास बढ़ता है। दूसरों के भरोसे जीने से फिर चाहे वह भगवान ही क्यों न हो, आत्मविश्वास घटता है। और जीवन सफल आत्मविश्वास से भरपूर लोगों का ही होता है। '
Page: 147'Will science ever be able to create life? No way! The question simply does not arise because here, no one has the power to create or destroy.'
'क्या विज्ञान कभी जीवन पैदा कर पाएगा? नहीं, सवाल ही नहीं उठता। क्योंकि पैदा या नष्ट करने की सत्ता यहां किसी के पास नहीं। '
Page: 148'In life, there is nothing that you can simply gain. Here, for every gain, you always have to lose something. Hence, the people who are apprehensive of losing in every small matter…can never gain something big.'
'जीवन में कुछ भी सिर्फ पाया नहीं जा सकता है। यहां हर पाने के लिये कुछ-न-कुछ खोना ही पड़ता है। अतः जिन्हें बात-बात पर खोने का डर सताता है...वे कभी कुछ बड़ा नहीं पा सकते। '
Page: 149'Only that, which influences everyone everywhere equally is the blessing of God like sun, moon, air, water and human life. How could having different scriptures and diverse beliefs for various religions ever be termed as being religious?'
'जो सब जगह सबको समान रूप से प्रभावित करता है वही अल्लाह की नेमत है। जैसे सूरज, चांद, हवा, पानी व मनुष्य का जीवन। ऐसे में अलग-अलग धर्मों के अलग-अलग शास्त्र होना व अपनी भिन्न-भिन्न मान्यताएं होना कैसे धार्मिक हो सकता है? '
Page: 150'Life in other words is to "work" hard for the upliftment of yourself as well as others and as and when opportunity knocks...thoroughly enjoy yourself. There cannot be any other purpose of life.'
'जीवन अपने व दूसरों के उद्धार हेतु पुरजोर ‘‘कर्म’’ करने व जब मौका मिले...दिल खोलकर आनंद लेने का दूसरा नाम है। जीवन का और कोई मकसद होता ही नहीं है। '
Page: 151'What is religion? The science of mind and life. Who are Buddha, Krishna and Christ? The doctors of our mind and life.'
'धर्म क्या है? मन व जीवन का विज्ञान। बुद्ध, कृष्ण, जीसस क्या हैं? हमारे मन व जीवन के Doctor। '
Page: 152'Here in life, the people who set very high goals and intelligently formulate the plan of action to attain the same… usually die utilizing one thousandth of their potential.'
'जीवन में बड़ी मंजिलें तय करने व फिर बुद्धिपूर्वक वहां पहुंचने का मार्ग खोजने वाले...अक्सर अपनी प्रतिभा के हजारवें भाग का कार्य करते-करते मर जाते हैं। '
Page: 153'You know yourself by conscious mind, whereas the roots of all your negativities lie in your subconscious and unconscious mind. Hence, without knowing your subconscious and unconscious mind, you cannot move even a step towards success in life.'
'आप अपने को Conscious Mind से जानते हैं, जबकि आपकी बुराइयों की सारी जड़ें आपके Subconscious व Unconscious Mind में छिपी पड़ी हैं। अतः Subconscious व Unconscious Mind को जाने बगैर आप जीवन में सफलता की ओर एक कदम नहीं बढ़ा सकते। '
Page: 154'On the screen of your mind, every action has an equal and opposite reaction. Then that reaction yields thousands of sub-reactions by itself. Therefore, think thousand times before going against your mind.'
'Reaction की हजारों Sub Reactions अपने आप होती रहती हैं। इसीलिए अपने मन के विरुद्ध जाने से पूर्व हजार बार सोच लेना। '
Page: 155'The one who loves himself, would atleast not worry or be jealous.'
'जिसको स्वयं से प्रेम हो वह कम-से-कम चिंता और ईर्ष्या तो नहीं ही करेगा। '
Page: 156'Only two kinds of deeds can be termed auspicious; one, wherein you get the pleasure but not at the cost of others. (Mind here, it does not include the imaginary or ego-driven losses) and second, the task, which if completed benefits millions of people.'
'दुनिया में दो ही तरीके के कार्यों को शुभ माना जा सकता है। पहला वह जिसमें आपको आनंद की अनुभूति हो रही हो पर दूसरे का कोई नुकसान न हो रहा हो। (ध्यान रहे, इसमें दूसरों के काल्पनिक या अहंकारजनित नुकसान गिनने को नहीं कह रहा) व दूसरा शुभ वह कार्य है जिसे निपटायें तो उससे लाखों लाभान्वित हों। '
Page: 157'Progressing from bullock-carts to aircrafts, we saved a lot on time but failed to learn how and where to utilize this spare time. This is the very reason for the growing frustration in the world.'
'हमने बैलगाड़ियों से हवाईजहाज तक की प्रगति कर समय तो बचा लिया, पर इस समय का उपयोग क्या व कैसे करना यह सीखना रह गया। संसार में बढ़ते Frustration का यही एक कारण है। '
Page: 158'All the goals of life are decided automatically by the combination of your time and space. This is not only the vital proof of nature supporting us at each step… but it also denotes the presence of God in our life.'
'जीवन की सारी मंजिलें आपके Time व Space के Combination से स्वतः ही तय होती चली जाती हैं। यह हमारे जीवन में ना सिर्फ प्रकृति के हमारे सहायक होने का...बल्कि यही हमारे जीवन में ईश्वर की उपस्थिति का सबूत भी है। '
Page: 159'When your destination is long and far and when the odyssey has to be journeyed by crossing many milestones, it is good to be excited by the little accomplishments coming your way, but to lose alertness or become careless because of excitement, will prove to be a deviation from your final destination.'
'जब भी आप की मंजिल लंबी हो, व यात्रा छोटी-छोटी मंजिलें तय कर काटनी हो, तब मार्ग में मिलने वाली सफलताओं से उत्साहित हो जाना तो अच्छी बात है, पर उस उत्साह में होश खो देना मंजिल से भटकाने वाला सिद्ध होता है। '
Page: 160'Haven’t you ever felt the "suddenness" factor of existence in your life? Pay attention, you are trying to remember something, but can't; then suddenly it flashes. You make innumerable attempts to achieve something, but fail… Then one fine day, when even you have forgotten that you wanted to achieve something like this, suddenly you get it'
'क्या आपको जीवन में प्रकृति के ‘‘अचानक’’ का कभी कोई एहसास नहीं हुआ? गौर करो, आप कुछ याद करने की कोशिश करते हैं - याद नहीं आता; फिर अचानक याद आ जाता है। आप कुछ पाने के हजार प्रयत्न करते हैं पर नहीं पा पाते; ...फिर एक दिन जब उस पाने को भूल भी चुके होते हैं कि अचानक पा लेते हैं। '
Page: 161'Be it human life or universe, here everything happens according to a set law… Meaning, the law of nature is one such formula that once understood, you are not even required to do anything. Just apply the formula and get whatever you desire'
'मनुष्य जीवन हो या ब्रह्मांड, यहां सब कुछ नियम से घटता है। ...यानी प्रकृति के नियम एक ऐसा Formula है कि उसको समझने के बाद कुछ करने की आवश्यकता ही नहीं रह जाती। जो चाहो Formula अपना लो व पा लो। '
Page: 162'Here at the most what you can become is, as your nature moulds you in the process of life. Yes, in an effort to become something else, you can always get ruined. So, as long as possible please do not try to tamper with your nature.'
'यहां ज्यादा-से-ज्यादा आप वह बन सकते हैं जो आपका स्वभाव आपको बनाता चला जाता है। हां, अन्य कुछ बनने के प्रयास में आप तहस-नहस अवश्य हो सकते हैं। अतः मेहरबानी कर बने वहां तक अपने स्वभाव से छेड़-छाड़ मत करें। '
Page: 163' There are about 330 million gods and goddesses described in Hindu scriptures. Even on the basis of the population at present, this works out to be around one God for every 3 individuals. Still looking at the conditions prevalent in our country, they seem to be busy elsewhere… I feel rather than relying on them, it is high time that we engage ourselves for the welfare of our countr'
'हिंदू शास्त्रों में 33 करोड़ के करीब देवी-देवता वर्णित हैं। आज की जनसंख्या के आधार पर भी यह तीन मनुष्य पर एक देवता हुए। फिर भी देश की हालत देखने पर वे कहीं और व्यस्त लगते हैं। ...लगता है अब हमें उनके भरोसे रहने के बजाय देश के उद्धार हेतु स्वयं लगना होगा। y.'
Page: 164'Since ages, there has been a nexus between the religious heads and politicians. None of them are artists or scientists. Still oppressing and creating conflicts among people, both have harboured ambitions to become big from the very beginning. It has made their union so strong that they are inseparable now.'
'आदिकाल से धर्मगुरुओं व राजनेताओं की बनती चली आ रही है। दोनों में से कोई ना तो कलाकार है, ना ही वैज्ञानिक। फिर भी सबको दबाकर व लड़वाकर बड़ा बनने की चाह शुरू से ही दोनों में है। इसी से अब उन दोनों का मिलन अटूट हो चुका है। '
Page: 165'When you are doing what everyone else is doing, why cry and crib…? What is happening to all, is happening to you as well.'
'जो सब कर रहे हैं वही आप भी कर रहे हैं। फिर रोते क्यों हैं...? जो सबका हो रहा है वह आपका भी हो ही तो रहा है। '
Page: 166'The person who does not love himself, though he may abstain from meat in the name of non-violence; his mind can never be non-violent.'
'जिस व्यक्ति को अपने से ही प्रेम नहीं, भले ही वह अहिंसा के नाम पर मांसाहार न खाए; परंतु उसका चित्त कभी अहिंसक नहीं हो सकता है। '
Page: 167'A human being is absolutely independent; therefore whatever happens to him is completely his own responsibility. The one who holds others responsible, repeatedly commits the same mistakes again and again.'
'मनुष्य पूर्ण स्वतंत्र है, इसीलिए उसके साथ जो कुछ भी घटता है उसकी जिम्मेदारी उसके स्वयं की होती है। जो व्यक्ति दूसरों को जिम्मेदार ठहराता है, वह लगातार गलतियां दोहराता रहता है। '
Page: 168'In this world, there are only two kinds of people who can be happy and successful. One, who believe that God is almighty…then whatever good - bad, sin - virtue, all is happening as per his will; the matter ends. Second, who believe that God doesn't exist at all and take up all their responsibilities by themselves, again the matter ends. But since all of us are stuck hanging between the two, we end up being sad and unsuccessful.'
'दुनिया में दो ही तरीके के लोग सुखी व सफल हो सकते हैं। एक तो वे जो ईश्वर को सर्वशक्तिमान मान ले...फिर तो अच्छा-बुरा, पाप-पुण्य सब उसकी मरजी से हो रहा है, बात समाप्त हुई। या तो वे जो मान ले कि ईश्वर है ही नहीं और अपनी सम्पूर्ण जवाबदारी स्वयं उठा ले, बात फिर भी समाप्त हो गयी। लेकिन क्योंकि सभी इन दो पाटनों के बीच में झूला झूल रहे हैं, इसलिए दुःखी व असफल हैं। '
Page: 169'Your 'mind' is actually the sum-total of vibrations. So, it will always be beyond the reach of science. And since you experience all your pains and pleasures also on the screen of mind, science can never reveal the amount of pains and miseries hidden in you or where does it come from. Neither will it ever succeed in surgically removing those miseries from your body.'
'आपका ‘मन’ दरअसल तरंगों का जोड़ है। अतः यह कभी भी विज्ञान की पकड़ में नहीं आने वाला। और चूंकि आप अपने सारे सुख-दुःख भी मन के परदे पर ही झेलते हैं, इसलिए विज्ञान कभी भी आपके भीतर कितना दुःख छिपा है या वह कहां से आ रहा है; नहीं बता सकता। ना ही वह कभी Surgery कर उस दुःख को आपके शरीर से अलग कर पाएगा। '
Page: 170'Before teaching, scolding, advising or giving opinion to children, every parent of the world should look deep into their lives and question themselves, are they really successful in their life? Is it not possible that a child, without holding the hand of his parents, has the potential to surpass them purely on the basis of his own decisions and freedom?'
'दुनिया के हर मॉं-बाप को चाहिए कि वह अपने बच्चों को समझाने, डांटने, शिक्षा देने या कोई राय देने से पहले अपने जीवन में झांक ले कि क्या वो वाकई जीवन में सफल हैं? कहीं ऐसा तो नहीं कि बच्चा उनकी उंगली पकड़े बगैर स्वयं के निर्णयों व स्वतंत्रता के दम पर ही उनसे आगे निकलने की संभावना रखता हो। '
Page: 171'If you think even for a moment, how much valuable resources and precious time of the world is being eaten up by these so-called religions in exchange of "false hopes"; then today itself the shutters of all the temples, mosques, churches and other religious places will be pulled down and many schools and hospitals will come up instead.'
'यदि हम सिर्फ एक क्षण को भी सोचें कि यह तथाकथित धर्म ‘‘झूठी-आशा’’ देने के बदले में पूरी दुनिया से मनुष्य के कितने कीमती संसाधन व कितना मूल्यवान समय खा रहे हैं; तो सारे मंदिरों, मस्जिदों व चर्चों पर आज ही ताले लग जायें और वहां स्कूल व अस्पताल खुल जाएं। '
Page: 172'It is true that in each particle of the existence, there is a reflection of God. But then it is difficult to understand, why temples exist separately?'
'यह सच ही है कि कण-कण में भगवान समाया हुआ है। परंतु समझ यह नहीं आता कि फिर अलग से यह मंदिर क्यों? '
Page: 173'There is a deep connection between mind and body. If the acid level rises in the body, it often leaves you worried. At the same time, it is also true that if your nature is negative, even if you eat "fruits", you will feel acidic.'
'मन और शरीर का गहरा ताल्लुक है। शरीर में एसीड बढ़ जाए तो अक्सर चिंताएं पकड़ती हैं। वहीं यह भी सच है कि आपका स्वभाव नकारात्मक हो तो आप ‘‘फल’’ खायेंगे तो भी एसीड पकड़ लेगा। '
Page: 174'Whatever you are at present, is nothing but the result of sum total of your actions in this birth till now. Meaning, had you been acting with awareness right from childhood, you would have been something different today. It also means that even now if you become aware and consciously perform your actions in future…certainly, you can become what you really want to. '
'आप आज जो कुछ भी हैं, वह और कुछ नहीं इस जन्म में आपके किये कार्यों के जोड़ का परिणाम है। इसका अर्थ यह हुआ कि यदि आपने कर्मों के प्रति बचपन से सजगता रखी होती तो आज आप कुछ और होते। इसका अर्थ यह भी हुआ कि यदि अब भी आप आगे के लिए अपने कर्मों के प्रति सजग हो जाएं...तो निश्चित ही आप वो हो सकते हैं जो होना चाहते हैं। '
Page: 175'It is said, 'If God is kind, even a donkey can roar like a lion'… Indeed it is true; but in this world of intelligent men, where is the readiness in many people to become "natural"?'
'कहते हैं, अल्लाह मेहरबान तो गधा पहलवान। ...बात भी सही है; पर बुद्धिमानों की इस दुनिया में ‘‘सहज’’ बनने को ज्यादा लोग तैयार ही कहां होते हैं? '
Page: 176'The human mind and body share a deep bond, a bond so deep that majority of our illnesses are psychological. I would even say, weakening of the mind initiates the process that leads to death.'
'मनुष्य के मन और शरीर में एक गहरा संबंध है। इतना गहरा कि हमारी अधिकांश बीमारियां मन की है। मैं तो कहता हूँ कि मनुष्य को मृत्यु भी मन के कमजोर होने की शुरुआत होने से ही आती है। '
Page: 177'Here the one who walks the path of life instinctively, without being fixated on the direction or thinking of the destination, surely sails many milestones of "success" while enjoying the journey of life.'
'यहां जीवन में बगैर दिशा पकड़े व बिना मंजिल की सोचे मन की मस्ती से चलते राही ‘‘सफलता’’ के कई बड़े मुकाम स्वतः ही सर कर लेते हैं। '
Page: 178'What is the difference between foolishness and deviousness? The consequences of both have to be faced equally, anyway.'
'बेवकूफी व बदमाशी में फर्क क्या है? अन्जाम तो दोनों का बराबरी पर ही भुगतना पड़ता है। '
Page: 179'Earlier our spending was only confined to offerings made at the temples. But now, the greediness of the priests have increased so much that in the name of assurances, they have been robbing people by selling rings, holy threads and religious rites and rituals.'
'पहले तो हम सिर्फ मंदिर में जाकर कुछ चढ़ा आते थे। अब तो पंडितों की लालच इतनी बढ़ गयी है कि वे आश्वासनों के नाम पर अंगूठी, धागे व प्रतिष्ठान भी बेचकर गरीब जनता को लूटने में लग गए हैं। '
Page: 180'Why does a human being have to be a Hindu, Muslim, Christian or Buddhist? Because lacking individuality, he is afraid of standing alone in the crowd… Whereas, being a "Hindu" he feels a sense of security that one billion people are there with him. The same is the psychology of Muslims, Christians and Buddhists too.'
'मनुष्य हिंदू, मुस्लिम, ईसाई या बौद्ध क्यों है? क्योंकि वह व्यक्तित्व-हीनता के कारण भीड़ में अकेले खड़े होने से घबराता है। ...जबकि ‘‘हिंदू’’ बने रहने पर उसे संबल बना रहता है कि उसके साथ सौ-करोड़ लोग हैं। यही सायकोलॉजी मुस्लिम, ईसाई व बौद्धों की भी है। '
Page: 181'What amount of "truth" are you living in can be gauged from the way you perceive the good-bad events happening with you, and how much of it you attribute to yourself and how much to others?'
'आप कितना ‘‘सत्य’’ में जी रहे हैं इसका अंदाजा इस बात से लग जाता है कि आप अपने साथ घटनेवाली हर अच्छी-बुरी घटना में कितना हाथ अपना देखते हैं व कितना दूसरों का? '
Page: 182'Those who are fundamentalists and refuse to listen to anything said against them, we call them terrorists. Don't you find similar traits in majority of our religious heads? If this wasn't true then why were Socrates, Mansoor and Jesus killed?'
'जो कट्टर हैं व अपने विरुद्ध नहीं सुन सकते, उन्हें हम आतंकवादी कहते हैं। क्या इनसे मिलते-जुलते लक्षण हमारे अधिकांश धर्मगुरुओं में नहीं? यदि ऐसा न होता तो सुकरात, जीसस व मन्सूर को मारा क्यों जाता? '
Page: 183'To be absolutely independent in each and every field of life, is your first and foremost duty. If you are burdensome to anyone, for anything…then your life is a complete waste.'
'जीवन के हर क्षेत्र में सम्पूर्ण आत्मनिर्भर होना आपका प्रथम कर्तव्य है। यदि आप किसी भी चीज के लिए किसी पर भी बोझ हैं...तो आपका जीवन व्यर्थ गया। '
Page: 184'Nothing can be worse than expecting anything from anyone, despite being born as a human... The question is, why should someone help you in the first place?'
'मनुष्यजन्म लेने के बाद किसी से किसी भी चीज की अपेक्षा करने से बदतर और कुछ नहीं हो सकता। ...सवाल यह कि दूसरा आपकी सहायता करें ही क्यों? '
Page: 185'Don't know where and when did the concept of God in the form of human, his imaginary powers…and fantasies like heaven and hell begin? Whatever be the case, today they have become a source of livelihood for more than 50 million pundits, priests and maulvis.'
'पता नहीं यह मनुष्यरूपी ईश्वर व उसकी काल्पनिक शक्तियों...तथा स्वर्ग-नर्क जैसी कल्पनाओं की शुरुआत कहां से हुई? चाहे जो हो, आज तो यह पांच करोड़ पंडित, पादरी व मौलवियों को रोजगार दिये हुए है। '
Page: 186'Laxmi, the Goddess of Wealth sits on an 'Ullu' (An owl is called 'Ullu' in Hindi which also means a fool)…but here, 24 x 7 we are busy fooling each other. Even if Laxmi wants to, on whom would she sit?'
'लक्ष्मी उल्लू पर बैठती है। ...पर यहां तो हम सब सुबह-शाम एक-दूसरे को उल्लू बनाने में लगे हुए हैं। लक्ष्मी बैठे भी तो किस पर? '
Page: 187'"Desire" has a very unique quality. You will never get anything that you desire. If you do not believe, then peep into your life, you will realize that you never got what you desired and what you got, you had never desired.'
'‘‘चाह’’ की एक खूबी है। आप जो चाहेंगे वह आपको कभी नहीं मिलेगा। विश्वास नहीं होता तो अपने जीवन में झांक के देख लो। आप पायेंगे कि आपने जो चाहा मिला नहीं व जो मिला वह चाहा नहीं। '
Page: 188'There are many things which are difficult for any wise man to understand… Like the rewards that are bestowed by God in heaven on performing good deeds; the same when done here are condemned by the religious heads, but then who are they to condemn it?'
'कई बातें ऐसी होती हैं जो किसी भी समझदार मनुष्य के लिये समझना मुश्किल हो जाती है। ...जैसे अच्छे कर्म करने पर जो सुविधाएं ईश्वर स्वर्ग में प्रदान करता है, उसे यहां करने पर बुरा कहने वाले ये धर्मगुरु कौन होते हैं? '
Page: 189'There is no such man known in history whose departure from this world has stalled the progress of mankind. Meaning, our consciousness has been growing day by day. But then, why do we still continue to live with the crutches of those who were born thousands of years ago?'
'इतिहास में ऐसा कोई मनुष्य ज्ञात नहीं जिसके जाने के बाद मनुष्य की प्रगति रुक गयी हो। यानी हमारी चेतना का रोज-रोज विकास हो रहा है। फिर क्यों हम आज भी हजारों वर्ष पूर्व पैदा हुए मनुष्यों के आसरे जी रहे हैं? '
Page: 190'If pilgrimages were so sacred then why do thousands of pilgrims become victims of accidents every year? Is God venting his anger on those, who despite being born as human beings continue to harass him?'
'यदि तीर्थ-स्थानों की यात्राएं व जात्राएं इतनी ही शुभ होती तो क्यों उस पर जाने वाले हजारों-लाखों लोग हर वर्ष हादसे का शिकार होते हैं? कहीं मनुष्य जन्म के बावजूद उसे परेशान किये जाने पर भगवान अपना क्रोध तो उन पर नहीं निकाल रहे? '
Page: 191'If any achievement of your life goes to your head and you are gripped by ego…then understand that you have reached your limit to grow. Now there can be only one way to go and that is downwards.'
'जीवन में जिस किसी सफलता से आपको अहंकार पकड़ ले...समझ लेना कि यह आपके बढ़ने की Limit आ गयी। अब आप यहां से सिर्फ नीचे जा सकते हैं। '
Page: 192'Meditation is not an act that has to be done separately or to be achieved in isolation of the forests. It is a quality, which continuously gets enhanced with the habit of doing even the smallest of the tasks with full concentration.'
'ध्यान कोई अलग से लगाने या जंगल में जाकर पाने की वस्तु नहीं, हर छोटे-से-छोटा कार्य ध्यान से करने की आदत से ध्यान अपनेआप स्वतः ही बढ़ता चला जाता है। '
Page: 193'Our mind is full of amazing powers but simultaneously, it has numerous disorders and negativities too. Because we are unable to conquer the negativities, we miss out on its marvellous powers as well.'
'हमारा मन अद्भुत शक्तियों से भरा पड़ा है, साथ ही इसमें हजारों विकार भी हैं। चूंकि हम मन के विकारों को नहीं जीत पाते, इसीलिए उसकी अद्भुत शक्तियों से भी वंचित रह जाते हैं। '
Page: 194'Mahavira had renounced clothing… But then why are majority of the clothing shops owned by the Jains named "Mahavira Vastralaya"?'
'महावीर ने वस्त्रों का त्याग किया था। ...फिर यह अधिकांश जैनों के वस्त्रों की दुकान का नाम ‘‘महावीर वस्त्रालय’’ क्यों है? '
Page: 195'The amount of "freedom" with which you are living your life, can be determined by the extent to which you have to suppress your desires under the pressure from others.'
'आप कितनी ‘‘स्वतंत्रता’’ से जी रहे हैं, यह इससे पता चल जाता है कि दूसरों के डर से किस हद तक आपको अपनी इच्छाएं दबानी पड़ रही है। '
Page: 196'If you would genuinely be satisfied with your feelings, the certificates or opinions of others would hold no significance for you. So much so that being true, you will never have to justify yourself.'
'यदि आप वाकई अपनी भावनाओं से संतुष्ट होंगे तो आपके लिये दूसरों के Certificate कोई मायने नहीं रखेंगे। यहां तक कि सच्चे होने पर आपको सफाई देने की आवश्यकता भी नहीं पड़ेगी। '
Page: 197'Every 100 years a crowd of 5 billion people is born, whereas in 100 years hardly 500 people are born with awareness. Now you have to decide, whether you want to remain a part of the crowd and die; or create your own identity and become immortal in history forever.'
'भीड़ हर सौ साल में 500 करोड़ की पैदा होती है। चेतनाशील व्यक्ति सौ साल में पांच सौ से ज्यादा पैदा नहीं होते। फैसला आपको करना है कि आपको भीड़ में रहना व मरना है; या फिर अपना अलग व्यक्तित्व पैदा कर हमेशा के लिये इतिहास में अमर हो जाना है। '
Page: 198'Science may assert many things authoritatively in the field of Physics and Chemistry, but when it comes to "life", it will always remain dubious.'
'विज्ञान Physics या Chemistry पुरता भले ही अनेक बातें छाती ठोककर कह सकता है, परंतु ‘‘जीवन’’ बाबत तो वह हमेशा भ्रमित ही रहेगा। '
Page: 199'Religion has nothing to do with God, worship, temples, mosques or churches; it is directly related only to the teachings that take the human mind to newer unprecedented heights.'
'धर्म का कोई ताल्लुक ईश्वर, पूजा-पाठ, मंदिर-मस्जिद या चर्चों से नहीं है; धर्म का सीधा ताल्लुक तो सिर्फ मनुष्य के मन को नयी ऊंचाइयां प्रदान करने वाली शिक्षाओं से है। '
Page: 200'The world exists by the "Three Dimensions Theory". Every particle of this world, including us is driven by this theory. To understand all the three dimensions of every substance and event is the ultimate height of human intelligence.'
'यह जगत "Three Dimensions Theory" से अस्तित्व में है। हमारे समेत इस जगत का कण-कण सिर्फ इसी Theory से चलायमान है। हर वस्तु व घटना के तीनों Dimensions को समझना मनुष्य के बुद्धिमत्ता की सबसे बड़ी ऊंचाई है। '
Page: 201'Life is only the present. And in the present, neither there is room for memories of the past nor worries of the future. The root cause of all the miseries of life is the effort to accommodate the past or future in the present.'
'जीवन सिर्फ वर्तमान है। और उस वर्तमान में न तो भूतकाल की यादें समा सकती है, न भविष्य की चिंताएं। जीवन के सारे दुःखों की जड़ ही इस वर्तमान में भूतकाल या भविष्य को समाने की चेष्टा करने के कारण है। '
Page: 202'All the effective knowledge is very much hidden in the deep recesses of human mind. This is the reason, be it melodies of Mozart or Omar Khayyam's rubaiyat, Krishna's Bhagavad Gita or Einstein's formula which transformed the world E=mc2; all of them have stemmed from within.'
'जो भी परिणामकारी ज्ञान है वह मनुष्य के भीतर मन की गहराइयों में ही छिपा पड़ा है। यही कारण है कि मोजार्ट की धुनें हो या उमर खय्याम की रुबाइयां, कृष्ण की भगवद्गीता हो या आईन्स्टाइन का दुनिया बदलकर रख देने वाला सिद्धांत E=mc2; सब भीतर से बाहर निकली चीजें ही हैं। '
Page: 203'The people who are successful in life are not so because they are highly qualified, intelligent or meticulously doing their job, but the secret of their success lies in the fact that they have educated themselves only with the vital, need-based, the most essential knowledge…and they put in just the required effort in any task that they pursue. By doing so, they conserve their precious time and energy which eventually proves to be helpful in leading them to the path of success.'
'जीवन में जो सफल हैं वो इसलिए नहीं कि वे उच्च शिक्षित हैं, बहुत ज्ञानी हैं या कर्मठ होकर कार्य करने वाले हैं। बल्कि उनकी सफलता का रहस्य यह है कि उन्होंने जीवन में सिर्फ अत्यावश्यक ज्ञान व जरूरत पूरती ही शिक्षा ग्रहण की है ...तथा कार्यों में भी वे यथायोग्य चेष्टा ही कर रहे हैं। ऐसा कर वे अपने बहुमूल्य समय व ऊर्जा की बचत करते हैं, और अंत में वही उन्हें सफलता के मार्ग पर लगाने में सहायक सिद्ध होती है। '
Page: 204'The root of complex gets strengthened by competitive teachings. Nothing in this world can be more foolish than comparing two things or two individuals.'
'Complex की जड़ तुलनात्मक शिक्षाओं के कारण मजबूत होती है । दो वस्तुओं या मनुष्यों की तुलना करने से ज्यादा मूर्खतापूर्ण कार्य इस संसार में दूसरा कोई नहीं। '
Page: 205'Success or failure in life depends on our decisions and for the right decision, a calm and blissful state of mind is a must. In that context, the most important teaching of our life is the one that...guides us to attain peace and joy.'
'जीवन में सफलता-असफलता का फैसला हमारे निर्णयों पर आधारित है। और अच्छे निर्णय के लिए आनंद और शांति की मनोदशा आवश्यक है। इस लिहाज से जीवन में सबसे महत्त्वपूर्ण शिक्षा वह है जो हमें आनंद और शांति कैसे पाना...यह सिखाए। '
Page: 206'In reality, what you are is not that important as "are you really what you portray yourself to be?"'
'आप कैसे हैं, यह इतना महत्वपूर्ण नहीं जितना कि ‘‘आप जैसे हैं वैसे दिखते हैं या नहीं।’’ '
Page: 207'If you keep your focus fixed on the 'witness' - the one who is watching rather than the 'ego' - the doer...your identification with the objects, people and acts will be severed. The root cause of all the miseries of the world is our attachment with them.'
'यदि आप अपनी निगाह लगातार करनेवाले यानी ‘अहंकार’ की जगह, देखनेवाले यानी ‘द्रष्टा’ पर बनाये रखेंगे...तो आपका वस्तुओं, व्यक्तियों व कर्मों से तादात्म्य टूट जाएगा। संसार के सारे दुःखों का मूल इस तादात्म्य में ही छिपा हुआ है। '
Page: 208'To enjoy 'what you have' is understandable; but mourning their loss has always been beyond comprehension.'
'जो ‘है’ उसका आनंद लेना तो समझ में आता है; पर उसके बिछड़ने का मातम मनाना हमेशा से समझ के परे रहा है। '
Page: 209'Don't know why religious people and their religious sentiments are so weak that they get hurt every now and then… As such it is understandable, the slightest tremor is enough to cause the debilitated structures to collapse.'
'पता नहीं यह धार्मिक लोग और उनकी धार्मिक भावनाएं इतनी तो कितनी कमजोर होती हैं कि बात-बात पर आहत हो जाती हैं। ...वैसे यह बात समझी जा सके वैसी भी है; जरा-सा भूकंप आया नहीं कि कमजोर इमारतें ढ़ही नहीं। '
Page: 210'No teaching, no society nor any of the so-called religion explains to us the importance of qualities like simplicity, innocence, selflessness or compassion. Whereas the truth is, all the best creations, inventions and arts have stemmed from the "consciousness" of people with these qualities.'
'न शिक्षा, न समाज, न तथाकथित धर्म हमें यह समझा रहे कि जीवन में सरलता, निर्दोषता, स्वार्थहीनता, भोलापन व करुणा इत्यादि का क्या महत्व है। जबकि हकीकत यह है कि संसार की सभी सर्वश्रेष्ठ रचनाएं, सारे आविष्कार व सारी कलाएं ऐसे ‘‘मन’’ वाले व्यक्तियों के जहन से ही निकली है। '
Page: 211'All the best managements, be it of nature, mind, body or business, function most efficiently when in "Automation Mode". We don't have any control over nature, but everywhere else we are paying a heavy price only because of our interference.'
'सारे श्रेष्ठ Management फिर चाहे वह प्रकृति के हों, मन के व शरीर के हों, या व्यवसाय के हों; "Automation Mode" पर ही परिणामकारी होते हैं। प्रकृति पर तो हमारा बस नहीं चलता, पर बाकी सब जगह तो हम अपनी दखलंदाजी के कारण ही भुगत रहे हैं। '
Page: 212'Anything in life can be achieved solely by working towards it. "Action" is the name for a deed performed intelligently. The capable person never leaves it to destiny because he simply cannot believe in it.'
'जीवन में कुछ भी हासिल सिर्फ कार्य करने से किया जा सकता है। "कार्य" बुद्धिमत्तापूर्वक किये कर्म का नाम है। कर्म करने में सक्षम व्यक्ति कभी भाग्य भरोसे नहीं बैठता, क्योंकि वह भाग्य पर विश्वास कर ही नहीं सकता। '
Page: 213'Human intelligence lies in making such choices that whatever he desires or attains out of them…the end result should only be happiness.'
'मनुष्य की बुद्धिमत्ता ऐसे चुनावों में छिपी है जहां से वह जो भी चाहे या पाये...उससे सिर्फ सुख ही उत्पन्न हो। '
Page: 214'When even the smallest of an incident happening to us is a continuity of the millions of events happening past thousands of years, what calculations have you engaged your brains in? The person who understands the calculations of how the occurring events are shaping the circumstances, surely attains whatever he desires, without any efforts as and when he wants.'
'जब हमारे साथ घटने वाली छोटी-से-छोटी घटना भी हजारों वर्षों से घट रही लाखों घटनाओं का जोड़ है, तो ऐसे में आप बुद्धि से क्या गणित बिठाने में लगे हुए हैं? जो व्यक्ति इन घट रही घटनाओं के कारण बदलती परिस्थितियों के गणित को समझता है, वह निश्चित ही बिना कुछ किये जब जो चाहिए पा लेता है। '
Page: 215'"Buddha" is such a wonder of time who was not only born in India but for forty five years he even delivered discourses in India. But just because he opposed the Hindu hypocrisies, India evicted his precious treasure from its soil. In its history of past 2000 years, this is the biggest loss accrued to India.'
'"बुद्ध" समय का वो कमाल है जिनका जन्म भी भारत में हुआ व पैंतालिस वर्षों तक उन्होंने प्रवचन भी भारत में ही दिया। लेकिन उन्होंने हिंदू पाखंडों का विरोध क्या किया, भारत ने उनकी अमूल्य धरोहर को ही भारत से खदेड़ दिया। पिछले दो-हजार वर्ष के भारत के इतिहास में यह उसका सबसे बड़ा नुकसान है। '
Page: 216'The irony is, even the countries who embraced Buddha were no less a wonder. Buddha didn't believe in the concept of God. He was against every kind of worship… But they also made him a God and worshipped him… Who cares how terribly it hurts Buddha?'
'मजा यह कि जिन देशों ने बुद्ध को अपनाया उन्होंने भी कुछ कम गजब नहीं किया। बुद्ध का भगवान में विश्वास नहीं था। वे हर तरह की पूजा के भी विरोधी थे। ...पर उन्होंने भी उन्हें भगवान बनाकर पूज ही दिया। कौन परवाह करता है कि बुद्ध के दिल पर क्या गुजर रही है? '
Page: 217'"The laws of nature" are the supreme authority of the world. Krishna, Buddha and Christ are also the people who accepting and surrendering to the supremacy of nature, have dissolved their individual existence i.e. "ego".'
'इस संसार की सर्वोच्च सत्ता ‘‘प्रकृति के नियम’’ है। कृष्ण, क्राईस्ट व बुद्ध भी वे ही हैं जो उसकी शरणागति स्वीकार कर अपना जाती अस्तित्व यानी "अहंकार" मिटा चुके हैं। '
Page: 218'You have your own religion and God, a nation as well as a society. You are educated also and living with many ambitions and aspirations in mind. You have many well-wishers too in the name of family and friends. But then it is difficult to understand, why there are so many failures and miseries in life? Are you facing the consequences of breaking the ultimate law of nature, "You come alone, go alone?"'
'आपके पास अपना धर्म है व अपने ईश्वर हैं। आपका अपना एक देश व समाज है। आप शिक्षित भी हैं व मन में हजारों महत्वाकांक्षा लिये जी भी रहे हैं। परिवार व मित्रों के नाम पर आपके अपने हजारों हितैषी भी हैं। समझ नहीं आता फिर जीवन में इतनी असफलता व दुःख क्यों है? कहीं आप कुदरत के परम नियम अकेले आने व अकेले जाने को तोड़ने का अन्जाम तो नहीं भोग रहे? '
Page: 219'There exists a harmony in nature, a sense of mutual co-operation. Even all our body parts are well co-ordinated with each other. It is only we, who swagger and proudly claim ourselves to be Hindu, Muslim, Buddhist or Christian. The day we become just human, even we will have harmony amongst us.'
'इस पूरी प्रकृति में एक Harmony है, उनमें एक आपसी सामंजस्य है। हमारे शरीर के भी सारे अंगों में आपसी तालमेल है। सिर्फ हम ही हिंदू, मुस्लिम, बौद्ध या ईसाई बने इतराते फिर रहे हैं। जिस दिन हम सिर्फ इन्सान हो जाएंगे, हममें भी आपसी तालमेल बैठ जाएगा। '
Page: 220'Science is the name for transformation brought in the psychology of substances and religion is the name for the knowledge which transforms the psychology of human beings. Science can provide material comforts to a human being, but for mental well-being, one has to change his psychology. Hence, striking a fine balance between the two is the only way to lead a human being and the world onto the path of progress.'
'विज्ञान वस्तुओं की सायकोलोजी के रूपांतरण का नाम है। धर्म मनुष्य की सायकोलोजी को रूपांतरित करनेवाले ज्ञान का नाम है। विज्ञान मनुष्य को भौतिक सुख तो दे सकता है, परंतु मानसिक सुख हेतु तो मनुष्य को अपनी सायकोलोजी रूपांतरित करनी ही रही। अतः दोनों का यथायोग्य समन्वय मनुष्य व संसार दोनों के उत्थान का मार्ग है। '
Page: 221'Life is such a business, where for every gain you have to lose something. 'Losing less - Gaining more' is what defines success in business here. 'Big loss - Small gain' is a loss making deal in life… At the same time, depriving yourself of the gain, out of fear of loss is utter stupidity. '
'जीवन एक ऐसा व्यवसाय है जहां कुछ खोकर कुछ पाना है। ‘कम खोकर - ज्यादा पाना’ यहां के व्यावसायिक सफलता की परिभाषा है। ‘बड़ा खोकर - छोटा पाना’ जीवन में घाटे का सौदा है। ...वहीं खोने के डर से पाने से ही वंचित रह जाना, कोरी मूर्खता है। '
Page: 222'Why don't you simply understand that events are happening outside and your life is within you. Then whatever happens outside, why should your life be affected by it ? It does, because you forcibly perceive yourself being attached to it.'
'आप सिर्फ इतना क्यों नहीं समझते कि घटनायें बाहर घट रही हैं और आपका जीवन आपके भीतर है। फिर बाहर चाहे जो न क्यों हो जाए, उससे आपका जीवन क्यों प्रभावित होता है? क्योंकि आप उन घटनाओं को जबरदस्ती अपने से जोड़ कर देखते हैं। '
Page: 223'An auspicious time is not something to be looked for in calendars or panchangs. The moment when time, opportunity, circumstances and conditions fall in place, that becomes an auspicious time. It is as simple as "Once the bride and groom are ready, what is the need for a pastor!"'
'शुभ-मुहूर्त कोई अलग से देखने की चीज नहीं। समय-संजोग व परिस्थिति बनी नहीं कि वह घड़ी शुभ हुई नहीं। सीधी बात है, मियां-बीबी राजी तो काहे को काजी? '
Page: 224'The world is full of atheists. The proof being, no one recognizes the combination of time and space as the boundless blessings of nature. This is the reason why everyone is trying to make their life successful depending upon their brain, desires and so-called religious hypocrisies…and the end result is right in front of us.'
'पूरी दुनिया नास्तिकों से भरी पड़ी है। इसका सबूत यह कि कोई भी व्यक्ति प्रकृति की अपार कृपा Time व Space के Combination को नहीं पहचानता है। इसी कारण हर कोई अपनी बुद्धि, इच्छाओं व तथाकथित धार्मिक पाखंडों के भरोसे जीवन को सफल बनाने में लगा हुआ है। ...और इसका अंतिम परिणाम हमारे सामने है। '
Page: 225'In order to lead a successful human life you should have in your nature…a heart of an artist, vision of a scientist, an astute business acumen, pride of self reliance, the art of being joyous, a zest for life and lastly, a self-content nature; you should essentially have a fair mix of all the above mentioned seven qualities.'
'सफल मनुष्य-जीवन जीने के लिए मनुष्य के स्वभाव में...एक कलाकार हृदय, वैज्ञानिक दृष्टि, व्यावसायिक बुद्धि, आत्मनिर्भरता का गुमान, आनंद लेने की कला, जीवन संबंधित सारे शौक व अंतःमस्ती; इन सातों स्वभाव का यथायोग्य मिश्रण होना आवश्यक है। '
Page: 226'Question is, why did the truly "intelligent" people distance themselves from the great personalities like Krishna, Jesus and Buddha? Because, in order to strengthen their individual businesses, religious gurus associated miracles with them. Now, an intelligent person may agree with anything but can never accept 'miracles'.'
'सवाल यह कि कृष्ण, जीसस व बुद्ध जैसे अद्भुत व्यक्तित्व से ‘‘बुद्धिमान’’ दूर क्यों हो गये? क्योंकि अपनी-अपनी दुकानें मजबूत करने हेतु धर्मगुरुओं ने उनके साथ चमत्कार जोड़ दिये। अब बुद्धिमान मनुष्य चाहे जो स्वीकारे पर ‘चमत्कार’ कभी नहीं स्वीकार सकता। '
Page: 227'After helping someone, if you expect a gesture of gratitude from him, then there is no point in helping. If you feel good when he expresses his gratitude, then too helping is useless. In that case, you must understand that your help was merely a means to satiate your ego.'
'किसी की मदद करने के बाद आपने धन्यवाद की आशा रखी, तो बेकार। उसके धन्यवाद देने से आपको अच्छा लगा तो भी सब व्यर्थ। फिर तो समझ लेना कि आपने अहंकार पोसने हेतु ही उसकी मदद की थी। '
Page: 228'Love is possible only step by step. If one loves himself, then only can he love people around him and only if he loves people around him, can he fall in love with the entire mankind… But some people directly fall in love with stones and animals. Difficult to understand, as to who are they trying to deceive?'
'प्रेम सीढ़ी-दर-सीढ़ी ही संभव है। अपने से हो, तो ही मनुष्य आसपास वालों से प्रेम कर सकता है। उनसे प्रेम करे तो सम्पूर्ण मनुष्यता के प्रेम में उतर सकता है। ...पर कई लोग तो सीधे पत्थरों व जानवरों के प्रेम में पड़ जाते हैं। समझ नहीं आता कि यह धोखा वे किसको दे रहे हैं? '
Page: 229'The reach of entire science is within the parameters of time and space… Whereas all the mysteries of the world are beyond time and space. This is the reason why many mysteries will always remain mysteries for science.'
'सम्पूर्ण विज्ञान की पहुंच Time और Space के भीतर है। ...जबकि जगत के सारे रहस्य Time व Space की सीमा के बाहर है। इसलिये कई रहस्य विज्ञान के लिये हमेशा रहस्य ही बने रहेंगे। '
Page: 230'The biggest treasure of a human being is his "power of imagination". Instead of utilizing it for making a discovery or melody or exploring the avenues of business...we waste it on imaginary worries and finding fictitious Gods to resolve it.'
'मनुष्य का सबसे बड़ा खजाना उसकी ‘‘कल्पना-शक्ति’’ है। उसका उपयोग हम नया आविष्कार करने या नया संगीत बनाने या फिर व्यवसाय के नये तरीके खोजने के बजाय...काल्पनिक चिंताएं पकड़ने व उनसे निपटने हेतु काल्पनिक देवता खोजने में नष्ट कर देते हैं। '
Page: 231'The root of all our miseries is not being mentally prepared for a situation. I cannot understand, why don't you accept that what happens to others, can always happen to you as well!'
'हमारे सारे दुःखों की जड़ में हमारा परिस्थिति के लिये मानसिक तौर पर तैयार न होना है। समझ नहीं आता कि जो दूसरों के साथ घटता है वह आपके साथ भी घट ही सकता है, यह आप मानकर ही क्यों नहीं चलते? '
Page: 232'If we stop considering ourselves special on the level of physicalities, half our sorrows will disappear by themselves. From sickness to death, events to accidents; what happens to others, can always happen to us and our beloved ones too… Then what's the point in grieving about them for so long?'
'हम अपने को शरीर के तल पर विशिष्ट मानना छोड़ दें, फिर हमारे आधे दुःख स्वतः ही तिरोहित हो जाएंगे। बीमारी से लेकर मृत्यु व Accident से लेकर हादसे; जो दूसरों के साथ घटते हैं वे हमारे व हमारे प्रियजनों के साथ भी घट ही सकते हैं। ...फिर इन सबका दुःख कब तक पालना? '
Page: 233'For peace, bliss and prosperity in life, what we need is energy, not knowledge. The biggest source of energy is "concentration" and the biggest enemy, "thinking".'
'हमें जीवन में सुख-शांति व समृद्धि के लिए ज्ञान नहीं, ऊर्जा चाहिए। ऊर्जा का सबसे बड़ा स्रोत ‘‘ध्यान’’ है व उसका सबसे बड़ा शत्रु ‘‘सोचना’’ है। '
Page: 234'A religious person knows how to embrace things in a right manner; an irreligious person simply renounces things out of "fear".'
'धार्मिक व्यक्ति चीजों को सलीके से अपनाना जानता है; अधार्मिक मारे ‘‘डर’’ के वस्तुओं का ही त्याग करता फिरता है। '
Page: 235'If I talk about the Hindu religion, all their gods are kings and warriors (kshatriya)… Then when and how did the reins of religion get into the hands of these pundits and sannyasins?'
'हिंदू धर्म की बात करूं तो उनके सभी भगवान राजा व क्षत्रिय हैं। ...फिर धर्म का ठेका इन पंडितों व संन्यासियों के पास कब और कैसे चला गया? '
Page: 236'If you wish to understand mind and life, then religion or institutes will not be able to teach you. For that, you will have to carefully observe all the natural phenomena and events unfolding around you.'
'आप मन और जीवन समझना चाहते हैं, तो वह धर्म या विद्यालय नहीं सिखा पाएंगे। उस हेतु तो आपको अपने चारों तरफ घट रही प्राकृतिक घटनाओं को ध्यान से देखना पड़ेगा। '
Page: 237'If you talk of the Hindu religion, majority of their avatars are worldly people… Then how can these sannyasins be termed religious?'
'हिंदू धर्म की बात की जाए तो उनके अधिकांश अवतार संसारी हैं। ...फिर यह संन्यासी कैसे धार्मिक हो गये? '
Page: 238'Hindu religion, where all gods are "kings" meaning the ones who look after the interests of their subjects; how can that religion consider those who build palatial ashrams from others donations, as religious?'
'हिंदू धर्म जहां के सारे भगवान ‘‘राजा’’ यानी सबको पालने वाले हैं, वह धर्म कैसे दूसरों से मांगकर अपना आश्रम बनाने वाले को धार्मिक मान ले? '
Page: 239'In existence, nothing is futile if embraced from the depths of mind as per the need of time. That is why; Hindu gods and deities loved every creation of nature. Then, in order to hide their weaknesses, the abstinence of which things are being termed as religion by these Hindu sannyasins?'
'प्रकृति में कुछ भी व्यर्थ नहीं, यदि उसे समय के अनुरूप मन की गहराइयों से अपनाया जाए। इसीलिए हिंदू भगवानों व देवताओं ने यहां की हर रचना से प्यार किया। फिर यह हिंदू संन्यासी अपनी कमजोरियां छिपाने हेतु किन चीजों के तिरस्कार को धर्म कह रहे हैं? '
Page: 240'What is the definition of happiness? The feeling that arises when you are acting according to your nature, is called "Happiness".'
'आनंद की परिभाषा क्या है? जब आप अपने स्वभाव के अनुरूप बरत रहे होते हैं तब उससे जो उत्पन्न होता है; उसका नाम ‘‘आंनद’’ है। '
Page: 241'Religious gurus are managing their businesses by misleading the world, but it is a smaller crime. Their greater crime is; not only are they suppressing the qualities and philosophies of great people, but are also running their businesses by linking them to useless miracles'
'धर्मगुरु दुनिया को भ्रमित कर अपनी दुकानें चला रहे, यह तो छोटा गुनाह है। उनका बड़ा गुनाह तो यह कि वे श्रेष्ठ मनुष्यों के गुण व उनकी सोच को दबाकर तथा व्यर्थ के चमत्कारों से उनको जोड़ के अपनी दुकान चला रहे हैं। '
Page: 242'Why are you hell bent on waiting and troubling the almighty for justice to be served on the judgment day? Why don't you take the initiative today itself to curb the unscrupulous activities going on around you?'
'क्यों कयामत के दिन का इन्तजार कर इन्साफ हेतु खुदा को तकलीफ देने पर तुले हुए हो? क्यों नहीं आज ही आसपास चल रहे गलत कार्यों पर स्वयं लगाम लगा देते? '
Page: 243'If God is to be defined in one sentence, then 'God' is the elementary force prevailing with all its three dimensions...that is, law, energy and desire for evolution, in each and every atom of this existence.'
'ईश्वर की परिभाषा यदि एक वाक्य में करनी हो तो ‘ईश्वर’ वह है जो अपने तीनों Dimensions के साथ...यानी नियम, ऊर्जा व क्रमशः प्रगति की चाह के संग संसार के कण-कण में मौजूद है। '
Page: 244'Ego simply doesn't know how to strike a balance. Either it stays immersed in the worldly matters or getting distressed, takes 'sanyas' - renounce the world… But to lead a normal life while being mentally detached from the world is something that it just does not know.'
'अहंकार संतुलन बनाना जानता ही नहीं। वह या तो संसार में डूबा रहता है या फिर घबराकर संन्यास ले लेता है। ...लेकिन संसार में रहकर मन से संन्यासी होना उसे आता ही नहीं...। '
Page: 245'In majority of the problems befalling our way, there is nothing much for us to do. Most of the time they come knocking at others' doors, prompted by fright we unnecessarily interfere and get caught in them'
'हम पर आनेवाली अधिकांश मुसीबतों में हमारे करने लायक कुछ नहीं होता है। अक्सर वे दूसरों को परेशान करने आयी होती हैं, हम तो घबराकर उसमें अपनी टांग फंसाने के कारण उलझ जाते हैं। '
Page: 246'The one who doesn't love himself, can never love anyone else in this world. And if he loves himself, atleast he would not torture or trouble anyone in the name of religion or teachings...'
'जिसे अपने से प्रेम नहीं वह विश्व में किसी से प्रेम नहीं कर सकता। और जिसे अपने से प्रेम हो वह कम-से-कम धर्म या शिक्षा के नाम पर किसी को सताएगा तो नहीं ही...। '
Page: 247'Like other particles of the world even "ego" cannot be destroyed. Yes, it can surely be transformed into soulful qualities… But the moment any "Buddha" attempts it, fearing extinction, ego not only resists but also activates its self-defence mechanism.'
'विश्व के अन्य कणों की तरह ‘‘अहंकार’’ को भी मिटाया नहीं जा सकता है। हां, पर उसका आत्मिक गुणों में रूपांतरण अवश्य हो सकता है। ...पर जैसे ही कोई ‘‘बुद्ध’’ उसकी कोशिश करता है, मिटने के डर से अहंकार प्रतिकार को उतर आता है। '
Page: 248'The "truth" of every moment is new, different and ever changing. Hence, the things said thousands of years ago could be true in the context of "time, situation and circumstances" prevalent at that time, but it is not necessary that they hold relevance even today.'
'‘‘सत्य’’ पल-पल नया व रूपांतरणीय है। अतः हजारों वर्ष पूर्व कही बातें उस वक्त के ‘‘समय, संजोग व परिस्थितियों’’ को देखकर सही हो सकती हैं, पर वे सब आज के भी सत्य हों, कतई जरूरी नहीं। '
Page: 249'Are we Hindu and Indian? Christian and American?… Or a unique human being born on this earth? The choice that you make here will decide the path of your life.'
'क्या हम हिंदू व भारतीय हैं? किश्चियन व अमेरिकन हैं? ...या फिर हम इस पृथ्वी पर आये एक अद्वितीय मनुष्य हैं? आपका यह फैसला ही आपके जीवन की राह तय करनेवाला सिद्ध होगा। '
Page: 250'If you closely observe life, you will find, here with every pleasure there is pain…and with every pain, pleasure. Hence, among all that is happening, if you keep your eyes fixed only at the brighter side of it, you can always be happy.'
'जीवन को गौर से देखने पर पाओगे कि यहां के हर सुख के साथ दुःख... व हर दुःख के साथ सुख जुड़ा ही हुआ है। अतः जो कुछ भी घट रहा है उसमें अपनी निगाह सिर्फ सुख पर बनाये रखने से ही आप सदैव सुखी हो सकते हैं। '
Page: 251'"Truth" is not an act done at the physical level or an act performed driven by emotions. Truth is the outcome of that particular action. If someone has used abusive language for your betterment, then how did he abuse you?... He has only desired a positive change in you.'
'‘‘सत्य’’ शारीरिक तौर पर किया कर्म या भावना में बह के किये कर्म का नाम नहीं। सत्य उस कर्म से आये परिणाम का नाम है। किसी ने यदि आपमें सुधार लाने को गाली दी तो उसने गाली दी ही कहां? ...उसने तो आप में सुधार लाने की चेष्टा की। '
Page: 252'We are quite bizarre ourselves, so are our religious heads too. Merely to satiate our pride we visit them to listen to good things about our religion and they being clever take undue advantage of it, pander to our ego and continue to prosper. This blinds us so much that we stop seeing the negativities of our religion and positive aspects of other religions. You cannot even imagine what a great loss it is for you.'
'हम भी अजीब हैं व हमारे धर्मगुरु भी। हम सिर्फ अपने अहंकार की पूर्ति हेतु अपने धर्म की अच्छाई सुनने उनके पास जाते हैं, व वे सयाने भी इसका ङ्गायदा उठाते हुए हमारा अहंकार सहलाकर अपनी समृद्धि बढ़ाये चले जाते हैं। इससे हम इतने तो अंधे हो जाते हैं कि हमें अपने धर्म की बुराई व दूसरे धर्मों की अच्छाई ही दिखना बंद हो जाती है। यह आपका कितना बड़ा नुकसान है इसकी आप कल्पना तक नहीं कर सकते। '
Page: 253'The foundation of Hindu religion has been laid on the pillar of tolerance. It has revered all the rebels like Buddha, Kabira, Shankaracharya, Chanakya, Dayanand Saraswati who had opposed the prevalent hypocrisies in their times. It didn't kill them the way reformers like Jesus, Socrates or Mansoor were… Then where did this Hindu fanaticism emerge from?... Perhaps in order to make their businesses survive, it is being propagated by the Hindu religious heads.'
'हिंदू धर्म की बुनियाद सहिष्णुता पर रखी हुई है। उसने बुद्ध, कबीर, शंकराचार्य, चाणक्य, दयानंद सरस्वती जैसे उनके वर्तमान पाखंड का विरोध करने वाले सभी का सम्मान किया। ना कि जीसस, सुकरात या मन्सूर जैसे सुधारकों को मारा। फिर यह हिंदू कट्टरता कहां से आयी? ...शायद यह अपनी दुकानें बचाने हेतु हिंदू धर्मगुरुओं द्वारा फैलायी जा रही है। '
Page: 254'If you need to find ways to pass your "time", then understand, your life is heading in the wrong direction. Only if you feel pressed for time to finish your tasks, know for sure that your steps are moving in the right direction.'
'यदि आपको ‘‘समय’’ काटने के रास्ते खोजने पड़ रहे हैं, तो समझ लेना आपका जीवन गलत दिशा में बढ़ रहा है। यदि आपको अपने कार्यों हेतु समय की कमी का एहसास हो रहा है तो ही यकीन जानना कि आपके कदम सही दिशा की ओर बढ़े जा रहे हैं। '
Page: 255'The Hindu world has always accepted 'religion' in its totality; as their 'God' who is free from all attachments has not denied anything, right from wine to dance and violence for the destruction of evil to the worldly life… Then on what grounds, these proprietors of Hindu religion term the 'life fancier' people (the ones indulging in pleasures of life) as sinners and themselves religious?'
'हिंदू जगत ने हमेशा ‘धर्म’ को अपने पूर्ण स्वरूप में स्वीकारा है। क्योंकि मोहरहित ‘भगवान’ ने सोमरस से लेकर नृत्य व पाप के विनाश हेतु हिंसा से लेकर संसार तक किसी का भी तिरस्कार नहीं किया। ...फिर यह हिंदू धर्म के ठेकेदार किस बिना पर संसारी व शौकीनों को पापी व अपने को धार्मिक बता रहे हैं? '
Page: 256'Any task that looks very difficult from a distance, remember...the same once commenced, never proves to be that difficult.'
'कोई भी कार्य दूर से जितना कठिन नजर आता है, ध्यान रहे...प्रारंभ करने पर उतना कठिन कभी सिद्ध नहीं होता। '
Page: 257'In history, we remember and respect only those who have the courage to stand apart from the crowd and speak the "truth". Like Buddha, who despite being born into a Hindu family defied Hindu traditions, its hypocrisies and established Buddhism. Likewise, even Jesus, born into a Jewish family, revolted against Jewish traditions and lost his life, or "Krishna" who not only opposed every prevalent tradition, but even broke them all his life. Do you still wish to continue being a Hindu, Muslim or Christian?'
'इतिहास में याद भी उसे किया जाता है व पूजा भी उसे ही जाता है जो भीड़ से अलग खड़े होकर ‘‘सत्य’’ कहने का साहस जुटाते हैं। जैसे बुद्ध; जिन्होंने हिंदू घर में पैदा होने के बाद भी तमाम हिंदू-परंपराओं व पाखंडों का विरोध कर बौद्ध विचारधारा स्थापित की। वैसे ही जीसस, जिन्होंने यहूदी घर में पैदा होने के बावजूद यहूदी परंपराओं का विरोध करते हुए अपनी जान गंवाई। या ‘‘कृष्ण’’ जिन्होंने ना सिर्फ हर परंपरा का विरोध किया बल्कि उन्हें जीवनभर तोड़ा भी। क्या अब भी आप हिंदू, मुस्लिम, ईसाई बने रहना चाहते हैं? '
Page: 258'How do we even expect our life to change for the better, when the reins of our life are in the hands of those who read our palms for 100 rupees, suggest auspicious time for 200 rupees and sell idols for 500 rupees?'
'हमारा उद्धार हो भी तो कैसे? जब हमारे जीवन की बागडोर ही सौ रुपये में हाथ देखने वाले, दो-सौ में मुहूर्त व पांच-सौ में मूर्तियां बेचने वालों के हाथ में हो। '
Page: 259'The one who recognizes the pulse of 'time' and acts accordingly…his 'time' changes soon.'
'जो व्यक्ति ‘समय’ को पहचानकर उसके अनुरूप बरतता है...उसका ‘समय’ जल्द ही बदल जाता है। '
Page: 260'There are two forces strongly present in you; one, your 'witness' and second, your 'ego'. Ego, the one who is doing the things, and witness, the one who is watching all that happens.'
'आपके भीतर दो आधार मजबूती से उपस्थित हैं। एक आपका ‘द्रष्टा’ व दूसरा आपका ‘अहंकार’। अहंकार वह जो सब कुछ कर रहा है व द्रष्टा वह जो सबकुछ होता हुआ देख रहा है। '
Page: 261'In life, no one can only be bad. Even the worst of human being has many good qualities hidden in him. The one who only looks at the better part of people, lives his life in utter bliss and peace. '
'जीवन में कोई भी मनुष्य सिर्फ बुरा नहीं हो सकता। बुरे-से-बुरे मनुष्य में भी हजार अच्छाइयां तो छिपी ही रहती हैं। मनुष्यों की सिर्फ अच्छाइयों को देखनेवाला परम शांति से जीता चला जाता है। '
Page: 262'The way you are given bitter medicines when you fall sick, the same way you also need psychological treatment when you suffer from a psychological problem. This is the reason why people who only talk sweet and sugary, prove fatal for our life.'
'जैसे शारीरिक बीमारियां होने पर कड़वी दवाइयां पिलायी जाती है, वैसे ही मानसिक बीमारी होने पर कड़ा व्यवहार भी करना ही पड़ता है। यही कारण है कि सिर्फ मीठा व अच्छा बोलनेवाले हमारे जीवन के लिये बड़े घातक सिद्ध होते हैं। '
Page: 263'If putting a 'tilak' on the forehead, wearing a holy thread on the wrist, offering prayers five times a day or visiting a temple, mosque and church, you could attain 'Dharma - the religion', the ultimate height of the world, then nothing is cheaper than religion.'
'यदि सर पे टीका लगाने, हाथ में धागा पहनने या पांच वक्त की नमाज पढ़ने या मंदिर, मस्जिद, चर्च हो आने से विश्व की सबसे बड़ी ऊंचाई ‘‘धर्म’’ हासिल हो जाती हो, तो-तो धर्म से सस्ता कुछ नहीं। '
Page: 264'The religious scriptures are thousands of years old. Don't know since when they have been engaged in the upliftment of mankind. But still, considering the enormity of the pains and problems of human beings, they have been proved miserable failures. Now, it is high time…that new ways of thinking be adopted.'
'धार्मिक शास्त्र हजारों वर्ष पुराने हैं। वे जाने कबसे मनुष्य के उद्धार में लगे पड़े हैं। फिर भी मनुष्य के दुःख-दर्दों को देखते हुए वे पूरी तरह असफल सिद्ध हुए हैं। अब समय आ गया है...जब नये विचारों को अपनाया जाए। '
Page: 265'What do we call brilliancy? An attitude of applying more than required. But then what is the need to apply more than that is needed? That in itself is a kind of foolishness.'
'हम होशियारी किसे कहते हैं? जरूरत से ज्यादा Apply करने को। जरूरत से ज्यादा Apply करने की आवश्यकता क्या है? वह तो अपने-आप में मूर्खता का ही एक स्वरूप हुआ। '
Page: 266'The Jain monks, who claim their scriptures to be more knowledgeable and advanced than science, by walking barefoot and uprooting hair with their own hands, which scientific age prescribed in their scriptures do they want to drive mankind to?'
'अपने शास्त्रों को विज्ञान से ज्यादा जाननेवाले व Advance बतानेवाले ये जैन मुनि नंगे पांव चल व सर के बाल अपने हाथों से नोंच...जगत को अपने शास्त्रों में वर्णित कौन से वैज्ञानिक युग में ले जाना चाह रहे हैं? '
Page: 267'The depths of our mind are forever bright and shining like the sun. It is we who have cast a shadow of the brain and eclipsed it.'
'हमारे मन की गहराइयां सूर्य की तरह सदैव प्रकाशमान है। हमने बुद्धि का साया डालकर उसपर ग्रहण लगा रखा है। '
Page: 268'If you meet people with powerful and positive vibrations, you immediately get charged with energy. Meeting a person with negative thinking instantly drains out our energy… Think, what would be the condition of a person who himself is negative?'
'शक्तिशाली व सकारात्मक विचार वालों से मिलो तो आप तत्काल ऊर्जा से भर जाते हैं। नकारात्मक विचार के व्यक्ति से मिलते ही हमारी शक्ति क्षीण हो जाती है। ...सोचो, जो खुद नकारात्मक हो, उसका क्या हाल होता होगा? '
Page: 269'How profound is your religious depth can be assessed from the number of assurances and blessings you still need for your life.'
'आप धार्मिक तल पर कितने गहरे हैं इसका अनुमान इस बात से लग जाता है कि आपको अपने जीवन हेतु और कितने आश्वासनों व आशीर्वादों की जरूरत है। '
Page: 270'It is not that we sleep only at night. Our day sleep is far deeper than that. We rarely awaken for a moment or two. Being awakened means your body, mind and brain are functioning as per your directions.'
'हम रात को ही सो रहे हैं, ऐसा नहीं है। हमारी दिन की नींद तो उससे भी कहीं गहरी है। हम बमुश्किल कभी-कभार क्षणभर को जागते हैं। जागने का अर्थ है आपके मन, शरीर, बुद्धि द्वारा कार्य आपके निर्देश पर हो रहे हैं। '
Page: 271'The biggest problem of the world is the existence of the 50 million odd priests, monks and the heads of various religious institutions, who in the pretext of being religious, survive at others' mercy without doing anything fruitful themselves. If they are compelled to do even farming, I promise that overnight the rate of grains all across the world will almost be halved.'
'इस विश्व की सबसे बड़ी समस्या वे पांच करोड़ के करीब पंडित, मौलवी, पादरी, मठाधीश या अन्य धर्म के साधु हैं जो धर्म के नाम पर बिना कुछ किये दूसरों के भरोसे जी रहे हैं। यदि उनसे जबरन खेती भी करवा ली जाए तो मैं वादा करता हूँ कि पूरे विश्व में अनाज के भाव रातों-रात आधे हो जाएंगे। '
Page: 272'"There is nothing like a vice or a virtue" and it has been said many a times in the Bhagavad Gita by Krishna himself. Then why do these saints keep frightening us everyday by reading out the long list of vices?'
'"न कुछ पाप है न कुछ पुण्य" यह तो स्वयं कृष्ण ने गीता में कई बार कहा। फिर ये संत क्यों रोज-रोज हमें पापों की फेहरिस्त पढ़ा-पढ़ाकर डरा रहे हैं? '
Page: 273'The person who understands the dynamics of changing circumstances, lives his life satisfied in the present. Of course, he keeps an eye on how things are shaping… As a result, the moment he sees anything ready on a platter, he immediately grabs it with both hands.'
'यहां पर बदलती परिस्थितियों के गणित को समझने वाला वर्तमान में संतुष्ट होकर जीता है। हां, उसकी निगाह बदलती परिस्थितियों पर अवश्य बनी रहती है। ...फलस्वरूप जिस क्षण उसे कुछ भी Ready Platter पर मिलता नजर आता है, वह उस तक को तत्क्षण भुना लेता है। '
Page: 274'Considering only your belief system to be true, you have been supporting it firmly for ages. But why don't you understand that without taking constructive criticism in your stride, it is impossible to tread the right path as per the need of time. It is the law of human consciousness that the more one is open to his own criticism, the more refined he gets. Only because of their own fanaticism, the Muslim brothers all over the world are practically deprived of the immense compassion of "intelligent" people.'
'अपनी ही बात को सच्चा मान उसका दृढतापूर्वक साथ तो आप सदियों से देते आ रहे हैं। लेकिन यह क्यों नहीं समझते कि यथायोग्य आलोचना सहे बगैर वक्त के अनुसार राह नहीं पायी जा सकती। मनुष्य की चेतना का यह नियम है कि जो जितना अपने खिलाफ सुनने को तैयार रहता है, उतना ही वह निखरता चला जाता है। अपनी ही कट्टरता के कारण विश्वभर के मुसलमान भाई ‘‘बुद्धिमानों’’ की इस अपार करुणा से करीब-करीब वंचित हैं। '
Page: 275'In life, whatever you achieve by putting in efforts will never give you happiness, as the pain starts right from the time of making an effort. On the other hand, the tasks that you enjoy doing, persist for long spells; then whatever you gain out of it, the end result will always be both positive and effective for your life.'
'जीवन में जो भी प्रयत्न कर पाया जाएगा वह कभी भी सुख नहीं देगा। क्योंकि दुःख की शुरुआत तो प्रयत्न करने से ही शुरू हो जाती है। जबकि जो कार्य आपसे आनंदपूर्वक होते हैं व होते चले जाते हैं, उससे आप जो भी हासिल करेंगे वे हमेशा ही परिणामकारी व सुखदायी होंगे। '
Page: 276'Tampering with nature and natural substances always costs us dear. We are also bearing the consequences of tampering with our nature only.'
'प्रकृति व प्राकृतिक वस्तुओं से छेड़छाड़ हमेशा महंगी पड़ती है। हम भी अपने स्वभाव में की जाने वाली छेड़छाड़ का ही भुगत रहे हैं। '
Page: 277'In this world, neither does a diamond take pride in shining nor does the stone have any inferiority in being a stone. All the complexes spread across the world are the creations of human brain.'
'विश्व में न तो हीरे को अपने चमकने का गुमान है और न पत्थर को अपने पत्थर होने पर कोई Inferiority ही है। संसार में छाये सारे Complex की जड़ मनुष्य के बुद्धि की उपज है। '
Page: 278'There really is nothing called superiority complex on the level of mind. What we know as superiority complex is nothing, but an act or attitude exhibited by a person to cover up what pinches him the most, deep within.'
'Superiority Complex नाम की कोई वस्तु मन के तल पर होती ही नहीं। मनुष्य को अपने भीतर जिस बात की कमी खटकती है, उसे ढ़ांकने हेतु वह जो व्यवहार करता है उसे ही हम Superiority Complex के तौर पर जानते हैं। '
Page: 279''Paramatma' - the Supreme Being has nothing to do with your good or bad karma. It is the ego which carries out the good or bad karma and bears the consequences for the same too. The "Supreme Being in the form of witness" just has to watch this drama unfold.'
'परमात्मा को आपके अच्छे-बुरे कर्मों से कोई लेना-देना नहीं। अच्छे-बुरे कर्म अहंकार करता है व उसे भोगता भी वही है। ‘‘द्रष्टारूप परमात्मा’’ को तो सिर्फ यह तमाशा देखना-मात्र होता है। '
Page: 280'Be it life or business, it is only freedom that can nurture it. If you want the country to grow, there is no solution other than setting your economy free.'
'जीवन हो या व्यवसाय, स्वतंत्रता ही उसे पनपा सकती है। यदि देश का विकास करना है तो Free Economy के अलावा इसका कोई Solution नहीं। '
Page: 281'Because we suppress our anger against the strong and powerful, we keep venting our anger on the weak, irrespective of the reason.'
'चूंकि हम ताकतवर के सामने क्रोध दबाते हैं, इसीलिए कमजोरों पर मौके-बे मौके क्रोध निकालते रहते हैं। '
Page: 282'The result of any task is not dependent on what and how you performed it but most importantly, how confidently you carried it out. Certainly, 'Vastu' and 'Mahurats' - the auspicious time are the manifestations of lack of confidence. Therefore, their slightest presence in your thoughts is bound to make your endeavours fail.'
'कार्य का परिणाम आपने क्या व कैसे किया, इससे कहीं ज्यादा आपने कितने विश्वास से किया...इस पर निर्भर है। मुहूर्त व वास्तु निश्चित ही अविश्वास के द्योतक हैं, इसीलिए इनके पदार्पण-मात्र से कार्य असफल हो जाते हैं। '
Page: 283'Irrespective of your relation with a person, to an extent possible, you should never interfere in anyone’s personal life because at present, even you don't have an idea of what is good and bad. Till the time you are not aware of the difference between pains and pleasures of the ego and joys and sorrows of the soul, it is better to stay away from others’ lives.'
'चाहे आपका उससे रिश्ता कुछ भी क्यों न हो, बने वहां तक किसी के जाती जीवन में दखल न दें। क्योंकि अभी आपको स्वयं अच्छे-बुरे की पहचान कहां? जब तक आत्मिक सुख-दुःख व अहंकार के सुख-दुःख का आपको भेद नहीं मालूम, दूसरों के जीवन से दूर ही रहें तो अच्छा है। '
Page: 284'Just look at your poor "foresight" and you will realize; the things that you are so keen to achieve, once accomplished, in a matter of few days begin to pinch you like a thorn.'
'आप अपनी कमजोर ‘‘दूरदृष्टि’’ पर गौर तो करें; जिन चीजों को प्राप्त करने हेतु आप इतना उत्साह दिखाते हैं, चन्द दिनों में ही वह आपको कांटों की तरह चुभना प्रारंभ कर देती है। '
Page: 285'Since like a horse you have blind-folded yourself from both the sides, you cannot see anything other than your own religion and culture; and that is why, your religious gurus have been feeding you dry grass covering your eyes with green glasses.'
'चूंकि आपने घोड़े की तरह अपनी दोनों आंखों के Side में पट्टी बांध रखी है, इसीलिये आपको अपने धर्म व संस्कृति के अलावा कुछ दिखायी ही नहीं दे रहा; और यही कारण है कि आपके धर्मगुरु आपको हरा चश्मा पहनाकर सूखी-घास खिलाये चले जा रहे हैं। '
Page: 286'Be it love or business, charity or anger, when you do everything half heartedly, how can you expect a decisive result ?'
'आप प्रेम हो या व्यवसाय, दान हो या क्रोध, सबकुछ आधे-अधूरे मन से ही करते हैं। ऐसे में आप निर्णायक परिणाम की अपेक्षा ही कैसे रख सकते हैं? '
Page: 287'What is the difference between us and Buddha, Krishna and Christ? Firstly, eliminating the negativities of mind, they energized themselves and then they deployed the same energy for the upliftment of the whole world. And look at us, we are so inept that we can't even amass 'energy for our own betterment'.'
'हमारे व बुद्ध, कृष्ण या जीसस में फर्क क्या है? पहले तो वे मन के विकारों से उबरकर उसकी शक्तियों से ओतप्रोत हो गये, और फिर उसी शक्ति को उन्होंने जगत के उद्धार में लगाया। और हम - ऐसे तो निर्गुणी कि खुद ‘अपने उद्धार की शक्ति’ भी नहीं जुटा पा रहे। '
Page: 288'The day you surely find yourself capable of doing and achieving, what any person dead or alive in this world could, understand your human birth has been successful.'
'जिस रोज आप यकीनी तौर पर अपने को इतना गुणी पाएंगे कि विश्व में जीवित या मृत कोई भी मनुष्य जो भी कर सकता है...वह आप भी कर ही सकते हैं; समझ लेना आपका मनुष्य जन्म सफल हो गया। '
Page: 289'Jains insist on having their separate food counters even at others' weddings. It is really difficult to understand, though they seem to be okay otherwise, what problem they have in mingling with people?'
'जैनों को अन्यों की शादियों में भी अपना खाना व अपने खाने के काउंटर अलग से चाहिए। समझ नहीं आता कि वे अच्छे-खासे होने के बावजूद उन्हें इन्सानों के साथ घुलने-मिलने में अड़चन कहां आ रही है? '
Page: 290'What are we? We are the medium between God and the World. If I elaborate further, then we are the screens whose only duty is to bring the producer's film to its viewers.'
'हम क्या हैं? हम भगवान व जगत के बीच के माध्यम हैं। खुल के समझाऊं तो हम Film के वो परदे हैं जिसका कर्तव्य सिर्फ Producer की Film को दर्शक तक पहुंचाना है। '
Page: 291'God has chosen us as the medium between him and the world, so that whatever he sends…we distribute in the world and what he desires…we glean it from the world and deliver it to him.'
'भगवान ने उसके व जगत के बीच हमें माध्यम बनाया है, ताकि हम वह जो भेजे...संसार में बांटें व वह जो चाहें...उसे संसार से बटोरकर उस तक पहुंचाएं। '
Page: 292'Whatever and in whichever form it is in front of you…other than accepting it, a human being has no other option. The faster you accept it and engage yourself in the tasks ahead, the faster you progress.'
'जो और जैसा सामने है...उसे स्वीकारने के अलावा मनुष्य के पास कोई उपाय नहीं। जितनी जल्दी आप स्वीकारके आगे के कार्यों में लग जाते हैं, उतनी ही आप प्रगति करते हैं। '
Page: 293'There is a "point of creativity" lying in the deep recesses of your mind which only gets activated by concentration. And without that point being active, no success can be achieved in life.'
'आपके मन की गहराइयों में एक "Point of Creativity" है। वह सिर्फ Concentration से ही क्रियाशील किया जा सकता है। उसके क्रियाशील हुए बगैर जीवन की कोई सफलता कभी हासिल नहीं की जा सकती। '
Page: 294'If you are dissatisfied or unhappy with any of your act or thinking, then too don't try to change it, you will fail miserably. Transform your nature, your action and thinking will change by themselves.'
'यदि आप ‘‘अपने’’ किसी कार्य या विचारों से असंतुष्ट हैं तो भी उन्हें बदलने की कोशिश मत करना, आप असफल हो जाएंगे। आप अपना स्वभाव बदल दो; कार्य व विचार स्वतः ही बदल जाएंगे। '
Page: 295'Don't be under the wrong impression that you have done something or you can do something... Please be clear, it is your nature that propels you to act, and your each action is nothing but a transpiration compelled by it.'
'आपने कुछ किया है या आप कुछ कर सकते हैं, यह गलतफहमी कभी मत पालना। ...यह स्पष्टरूप से समझ लें कि आपसे सबकुछ आपका स्वभाव ही करवा रहा है। '
Page: 296'Population can be a liability as well as an asset. If every citizen works, only then can population be an asset. When one person earns and supports four, it is dangerous not only for the family, but even for the country... In that case, where is the question of fostering these pundits and sannyasins?'
'जनसंख्या Liability भी हो सकती है व Asset भी। यदि हर वयस्क काम करे तो ही जनसंख्या Asset हो सकती है। एक कमाए व चार खायें, यह परिवार ही नहीं, देश के लिए भी घातक है। ...ऐसे में पंडितों व संन्यासियों को पालने का सवाल ही कहां आता है? '
Page: 297'Only he, who lives freely can enjoy life to the fullest. An egoist can never live freely. And it is also true, how can a person tied up in numerous bondages do anything else but die each moment he lives?'
'मनुष्य-जीवन का आनंद सिर्फ खुलकर जीने वाला ले सकता है। अहंकारी कभी खुल कर नहीं जी सकता। और हकीकत यह भी है कि हजार बंधनों से जीने वाला सिवाय मर-मरकर जीने के और कुछ कर भी नहीं सकता है। '
Page: 298'Our 'mind' is as old as the existence; whereas our brain is of this birth. Hence, the thinking of mind is boundless whereas in the case of brain, it is limited. Since there is no possibility of unanimity of action between the two, we end up living in confusion.'
'हमारा ‘मन’ जन्मों-जन्मांतर का है। हमारी बुद्धि इस जनम की है। अतः मन असीमित सोचता है तो बुद्धि सीमित सोचती है। दोनों में कर्मों का एका हो ही नहीं पाता, इसीलिए हम हमेशा दुविधा में रहते हैं। '
Page: 299'As science needs "energy" to change the form of any matter, even you need energy to transform your nature. If you don't have the energy, even if you desire, you will not be able to bring a change in yourself.'
'जैसे विज्ञान को किसी वस्तु के रूपांतरण हेतु ‘‘ऊर्जा’’ की आवश्यकता पड़ती है, वैसे ही आपको अपना स्वभाव बदलने हेतु भी ऊर्जा की आवश्यकता होती है। यदि आप में ऊर्जा नहीं तो चाहकर भी आप अपने में बदलाव नहीं ला सकते हैं। '
Page: 300'Many a times, a person even feels the presence of "Third Force" in his life, but linking it to God and destiny, he fails to recognize it.'
'मनुष्य को अपने जीवन में "Third Force" की उपस्थिति का कई बार एहसास होता भी है, परंतु वह उसे ईश्वर व भाग्य से जोड़ने के कारण पहचानने में मात खा जाता है। '
Page: 301'Why don't you understand, just because of the fanaticism propagated by a handful of people, no one comes forward to utter anything against the Muslim society or show them the right path. Does anyone have an idea what a huge loss they are bearing for it ?'
'सीधी बात क्यों नहीं समझते कि मुट्ठीभर लोगों की कट्टरता के कारण मुस्लिम समाज के खिलाफ बोलने या उन्हें सच्ची राह दिखाने को कोई आगे नहीं आ रहा। इससे उनको कितना बड़ा नुकसान झेलना पड़ रहा है इसका अंदाजा है किसी को? '
Page: 302'Instead of offering namaz five times a day, it is better to develop the habit of performing five good deeds a day.'
'पांच वक्त की नमाज पढ़ने से तो अच्छा है दिन में पांच अच्छे कार्य करने की आदत डाल लेना। '
Page: 303'A true theist, looks like an atheist; because he fiercely attacks your hypocrisies and religious agents. What can even he do, he gets in direct contact with God.'
'एक सच्चा आस्तिक, नास्तिक-सा भासता है; क्योंकि वह आपके धार्मिक पाखंडों व आपके धर्म के दलालों पर हमले बोलता है। वह भी क्या करे, उसका ईश्वर से Direct Contact जो हो जाता है। '
Page: 304'I would say harbouring negativities and even the acts driven by such emotions are not wrong but what is wrong is, because of them your life gets filled with sorrows and failures.'
'मैं तो कहता हूँ बुरे भावों व उनसे किये जाने वाले कर्मों में भी कोई बुराई नहीं। बुरा तो यह कि उससे आप का जीवन दुःख और असफलता से भर जाता है। '
Page: 305'Nature's creation is such that whatever is worth attaining or beneficial for us, we can get it automatically. But in the race to grab the things which are futile and painful, we miss attaining them only.'
'कुदरत की रचना ऐसी है कि जीवन में जो भी हमारे पाने योग्य है या हमारे लिये सुखदायी है वह हमें स्वतः ही मिल सकता है। लेकिन व्यर्थ व दुःखदायी वस्तुओं को पाने की दौड़ में हम उसे ही पाने से चूक जाते हैं। '
Page: 306'In this world, the smallest of the particle or even a mosquito does not exist without a reason. In this universe, if someone is living without any reason, it is none other than a human being… But then there is no one more intelligent than him either.'
'इस विश्व में छोटे-से-छोटा कण या मच्छर भी अकारण नहीं। यदि इस बह्मांड में कोई बेवजह जिये जा रहा है तो वह मनुष्य के अलावा और कोई नहीं। ...आखिर उससे बुद्धिमान भी तो दूसरा कोई नहीं। '
Page: 307'Before leading your life depending upon God, just check, does he really have the authority to be partial and do any good for you?'
'आप ईश्वर भरोसे जीने से पूर्व यह तो देख लें कि उसे पक्षपात कर आपका कुछ हित करने की Authority है भी या नहीं? '
Page: 308'If you want to recognize your being, peep within yourself for a moment. Right from birth until now, irrespective of the number of ups and downs that have come along the journey of life, there is something which is still the same, and that is the way you feel.'
'आपकी Being को पहचानना हो तो क्षणभर को अपने भीतर झांके। जन्म से आज तक के जीवन के इस लंबे सफर में कितने ही उतार-चढ़ाव क्यों न आये हों; परंतु इन सबके बावजूद आपका एहसास वैसा-का-वैसा ही है। '
Page: 309'What can be said of the human brilliancy? Every day, it comes up with hundreds of schemes to bring upon its own destruction.'
'मनुष्य की बुद्धिमत्ता का तो कहना ही क्या? वह रोज सौ योजनाएं अपने आपको मरवाने हेतु खोज ही लाता है। '
Page: 310'The one who on demand of time, situation and circumstances can carry out an act whenever, whatever, however is necessary for the benefit of all…is religious; the rest all are irreligious.'
'समय, संजोग व परिस्थिति की मांग पर सबके हित में जब, जो और जैसा भी करने योग्य हो...वह करने की क्षमता रखने वाला धार्मिक; बाकी सब अधार्मिक। '
Page: 311'The value of human life lies in doing your "karma" and as long as we are alive, there is absolutely no question of shirking from your duties and responsibilities. Hence, escaping karma and escaping life, both are essentially the same.'
'मनुष्य-जन्म का मूल्य ही ‘‘कर्म’’ करने में है। और कर्तव्य-कर्मों से तो जीते-जी पीछे हटने का सवाल ही नहीं उठता। अतः कर्म से भागना व जीवन से भागना एक ही बात है। '
Page: 312'Once you have commenced the task, then moving your concentration and energies away, prior to its "successful completion" - is like inviting failure yourself.'
'कार्य प्रारंभ करने के बाद उसके ‘‘सफल-समापन’’ से पूर्व ही उस ओर से अपनी चेतना हटाना - असफलता को न्योता देने के समान है। '
Page: 313'At the level of mind, self-confidence and capability are two sides of the same coin. If you have confidence in your mind, the capability is bound to reflect evidently.'
'मन के तल पर आत्मविश्वास व क्षमता एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। मन में विश्वास हो तो बाहर क्षमता झलकती ही है। '
Page: 314'Because we know, we are doing wrong, what others think of us holds so much importance to us.'
'चूंकि हम जानतें हैं कि हम गलत कर रहे हैं, इसीलिए हमारे बाबत दूसरों के विचार हमें महत्वपूर्ण जान पड़ते हैं। '
Page: 315'In this world, the bond of love is possible only between two self-reliant individuals, but the question is, why would two such people live together?'
'इस संसार में प्रेम का रिश्ता सिर्फ दो पूर्णतः आत्मनिर्भर व्यक्तियों के बीच ही शक्य है। सवाल यह कि दो ऐसे व्यक्ति साथ रहेंगे ही क्यों? '
Page: 316'Only he, who has a ''mind devoid of thought'' can live life like a human being. If you have any inhibition, principles, a fixed mindset or an obstinate nature, others will keep using you like an object.'
'‘‘निर्विचार मनोदशा’’ का व्यक्ति ही जीवन में मनुष्य की तरह जी सकता है। लेकिन यदि आपकी कोई जिद है या आपके कुछ सिद्धांत हैं या फिर आपका कोई स्थिर स्वभाव है, तो दूसरे मनुष्य आपका उपयोग वस्तु की तरह करते चले जाएंगे। '
Page: 317'If you always want to be happy in life, toy with troubles as if it were a game. See; whether you defeat the problems or they defeat you.'
'यदि हमेशा आनंद में रहना चाहते हो तो जीवन के संघर्षों से भी एक खेल मानकर उलझो। देखें; संघर्ष हमसे जीतता है या हम संघर्ष से? '
Page: 318'Don't think you are getting worried because it is a matter of 'worry'; as the same news yields different intensities of worries in each person.'
'यह मत समझना कि विषय ‘चिंता’ का है, इसीलिए आपको चिंता पकड़ रही है। क्योंकि समान खबर पर हर व्यक्ति की चिंता की तीव्रता भिन्न-भिन्न होती है। '
Page: 319'Be it life or business, only he grows who not only stands firm wherever he is, but also remains satisfied with it.'
'जीवन हो या व्यवसाय, आगे वही बढ़ता है जो ना सिर्फ जहां खड़ा है वहां दृढ़ता से खड़ा रहता है, बल्कि उसी से संतुष्ट भी रहता है। '
Page: 320'Just as extra energy is required to push the space shuttle out of earth's gravitation, likewise, we also need energy above a certain limit to free the mind from the influence of brain.'
'जैसे Space Shuttles को पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण से बाहर निकलने हेतु एक Limit से ऊपर की ऊर्जा आवश्यक होती है; वैसे ही मन को बुद्धि के प्रभाव से मुक्त करने हेतु हमें भी एक Limit से ऊपर की ऊर्जा आवश्यक होती है। '
Page: 321'The person who knows the functioning of 'his' own mind, can easily understand everyone else's as well, which is why he is able to reign over them. All our life, we unnecessarily engage ourselves in understanding others' minds instead of our own.'
'‘अपने’ मन की कार्यप्रणाली समझने वाला जल्द ही सबके मन समझ जाता है। इसी से वह दूसरों पर राज करता है। हम व्यर्थ ही जीवनभर अपने बजाय दूसरों के मन समझने में लगे रहते हैं। '
Page: 322'Without knowing your own mind, no success can be achieved in life. But to understand the mind, neither books nor teachings are available. This is the sole reason for such a miserable failure of human beings.'
'अपना मन जाने बगैर जीवन की कोई सफलता हासिल नहीं की जा सकती। लेकिन मन समझने हेतु ना तो किताबें उपलब्ध हैं ना शिक्षाएं ही। मनुष्य की इतनी असफलता का यही एक कारण है। '
Page: 323'If you mould yourself according to time and let yourself flow with the changing circumstances, see, what you will soon transform into.'
'समय के अनुरूप आप अपने को ढालते चले जाएं व परिस्थितियों के साथ स्वयं को बहाते चले जाएं, देखिये आप क्या से क्या हो जाते हैं। '
Page: 324'Why don't you look after your parents while they are still alive, so that 'out of guilt' you don't have to perform their Shraddh after their death. (Note: Shraddh is the ritual followed once a year in the memory of the deceased family member)'
'जीते-जी मां-बाप का ध्यान क्यों नहीं रख लेते, जो मृत्यु पश्चात् ‘गिल्टी-वश’ उनका श्राद्ध करना प़ड़ता है। '
Page: 325'Have you ever thought; is there any difference between respect and insult? Respect is what the other gives you and insult is what the other tries to snatch from you. Thus in both cases, the 'doer'- is the other only...how does it matter to you?'
'कभी आपने सोचा कि मान और अपमान में फर्क ही क्या है? मान वह जो दूसरा आपको देता है व अपमान वह जिससे दूसरा कुछ आप में से छीनने की कोशिश करता है। इस तरह दोनों कर्मों का ‘कर्ता’ तो दूसरा ही है... उससे आपका क्या? '
Page: 326'A successful person, be it from any field, is always a master of psychology. The testimony of success lies in his ability to influence others by his talks and acts.'
'सफल व्यक्ति चाहे किसी भी क्षेत्र का हो, वह सायकोलोजी का मास्टर होता है। सफलता का सार-सूत्र ही यह है कि वह अपनी बातों व कार्यों से दूसरों को प्रभावित कर पा रहा है। '
Page: 327'The only truth of human life is; after sixty years he has to depart, bidding a farewell to this world forever… In that case, his only duty which remains, is to leave behind the historical footprints of his existence in this world.'
'मनुष्य जीवन का एक ही सत्य है कि साठ वर्ष बाद उसे इस संसार को अलविदा कहकर जाना है। ....ऐसे में उसका एक ही कर्तव्य बचता है कि वह अपने आने के ऐतिहासिक पदचिह्न इस संसार में छोड़कर ही मरे। '
Page: 328'No matter however dreadful a form the problem manifests itself in, it surely has some or the other definite solution in time or space. All that you need to do is, without panicking, reflect upon it from the depths of your mind.'
'समस्या कितने ही विकराल स्वरूप में प्रकट क्यों न हो जाए, उसका कोई-न-कोई उपाय Time या Space में होता ही है। सवाल बिना घबराये मन की गहराइयों से उसपर चिंतन करने का ही है। '
Page: 329'If taking a bath in the holy Ganges can really wash off your 'sins', then why are poor criminals put behind bars? Giving them a dip in the Ganges, why aren't their 'sins' also washed off?'
'यदि वाकई गंगा में डुबकी लगाते ही ‘पाप’ धुल जाते हैं, तो फिर बेचारे Criminals को क्यों जेलों में ठूंसा जा रहा है। गंगा में डुबकी लगवाकर उनके भी ‘पाप’ क्यों नहीं धो दिये जाते हैं? '
Page: 330'If we stop expecting others to treat us as someone special, all our miseries will be vanquished. When no one understood the great historical legends, right from Buddha to Jesus in their times…why do you expect others to "understand you"?'
'यदि अन्यों से हम अपने को विशिष्ट मानकर व्यवहार करने की अपेक्षा छोड़ दें तो हमारे सारे दुःख तिरोहित हो जायें। जब बुद्ध से लेकर जीसस तक के श्रेष्ठ ऐतिहासिक पुरुषों को अपने समय में किसी ने नहीं समझा तो आप क्यों ‘‘आपको कोई समझे’’...उसकी अपेक्षा किये बैठे हैं? '
Page: 331'Wonder, how can these Jain monks consider all the good things right from sumptuous meals, good clothes to being fresh and fragrant also a taboo? In that case, according to them all the animals should be considered "Pure Jain".'
'समझ नहीं आता कि यह जैन मुनि अच्छे खाने, अच्छे कपड़े पहनने से लेकर अच्छे से नहाने व खुशबूदार रहने को भी कैसे पाप कहते हैं? फिर तो उनके अनुसार सारे जानवर वैसे ही ‘‘पक्के जैन’’ हो गये। '
Page: 332'The more you become natural, the more energy you get from nature. Always remember, your own energy is very miniscule in order to make your life successful.'
'जितना आप प्राकृतिक हो के जीते हैं उतनी ही आपको प्रकृति से ऊर्जा मिलती है। ध्यान रहे कि जीवन को सफल बनाने हेतु आपकी अपनी ऊर्जा बहुत कम पड़ती है। '
Page: 333'If you are able to identify your 'being' and your 'nature' separately, you will have no trouble befalling your way thereafter in life .'
'यदि आप अपने ‘होनेपन’ व ‘स्वभाव’ को अलग-अलग पहचान लेंगे, तो उसके बाद आपके जीवन में कभी कोई समस्या नहीं आएगी। '
Page: 334'We need to understand, what is more helpful for the growth of life; educational qualifications or concentration? Glancing at lives from Buddha to Edison, concentration only seems to be more important.'
'हमें समझना यह है कि जीवन को बढ़ाने के लिये डिग्रियां ज्यादा सहायक है कि Concentration। बुद्ध से लेकर एडीसन तक को देखने पर तो Concentration ही ज्यादा महत्वपूर्ण दिखाई दे रहा है। '
Page: 335'Why did the intelligent people of the world lose interest in religion? Because instead of the talks and teachings of Buddha, Jesus and Krishna, they were presented with the Bible and Vedas concocted by the religious gurus.'
'दुनिया के बुद्धिमानों को धर्म में इतनी अरुचि क्यों हो गयी? क्योंकि बुद्ध, जीसस व कृष्ण के नाम पर उनको इन महापुरुषों की बातों के बदले धर्मगुरुओं ने अपने द्वारा रचित बाइबल व वेद वगैरह उन तक पहुंचाए। '
Page: 336'No matter how much you have been wronged, other than accepting it what option do you have?… If there is, please let me also know.'
'चाहे जितना ही बुरा आपके साथ घट गया हो पर उसे स्वीकारने के अलावा आपके पास उपाय ही क्या है? ...कुछ अन्य उपाय हो तो मुझे भी बताना। '
Page: 337'Nature has no interference in human life. A human being is absolutely free from nature's side. In that case, if not the person himself, who else is responsible for all his happiness and sorrows?'
'प्रकृति का मनुष्य के जीवन में कोई Interference नहीं। प्रकृति की ओर से वह पूर्णरूपेण स्वतंत्र है। इस लिहाज से अपने सुख-दुःख का जिम्मेदार मनुष्य स्वयं नहीं तो और कौन है? '
Page: 338'The root cause of all the miseries of human life is the chaotic activities of his 'mind'. Hence, the only way to eliminate the "pains and miseries" from this world is to properly educate him about the functioning of 'mind'.'
'मनुष्य के सारे दुःख-दर्दों की जड़ उसके ‘मन’ के उपद्रव हैं। अतः विश्व में से ‘‘दुःख-दर्द’’ गायब करने का एक ही उपाय है कि मनुष्य को ‘मन’ की कार्यप्रणाली बाबत ठीक से शिक्षित किया जाए। '
Page: 339'As soon as the aircraft was invented, there were people who came forward to claim that it was possessed by 'Rama' long ago. But the question is, what do we gain out of these claims? Even today, we have to travel in the aircrafts invented by 'Wright Brothers' only.'
'जैसे ही हवाईजहाज का आविष्कार हुआ कि कहने वाले आ गये कि यह हमारे ‘राम’ के पास तो पहले से था। सवाल यह कि इन बातों से हासिल क्या हो रहा? घूमना तो आज भी हमें ‘राईट-ब्रदर्स’ के ईजाद किये हवाईजहाजों में ही पड़ रहा है। '
Page: 340'In the particle called our mind, God is firmly present with all his three dimensions.'
'हमारे मन रूपी कण में ईश्वर अपने तीनों Dimensions के साथ पूरी दृढ़ता से उपस्थित है। '
Page: 341'It is against nature to pre-decide, what is to be done the next moment. But surprisingly, people even decide right from what they aspire to become in future to when should they visit temples and observe fasts. Now, if you act so much against nature, of course you will have to bear the brunt of it.'
'अगले क्षण क्या करना यह इस क्षण तय कर लेना प्रकृति के खिलाफ जाना है। आश्चर्य है लोग-बाग तो बड़े होकर क्या बनना से लेकर कब मंदिर जाना व कब उपवास व रोजे रखना यह भी तय कर लेते हैं। अब प्रकृति के इतने खिलाफ जाओगे तो उसके कोप का भाजन तो बनना ही पड़ेगा। '
Page: 342'What is the definition of joy? When you get an opportunity to do what you really want to, the feeling that you experience then, is called "Joy".'
'मस्ती की परिभाषा क्या है? आप जो करना चाहते हैं वह करने को मिल जाता है, तो उस समय आप जो अनुभव करते हैं उस अनुभव का नाम ‘‘मस्ती’’ है। '
Page: 343'Instead of worshipping Krishna, intelligence lies in understanding the Bhagavad Gita'
'कृष्ण की पूजा करने से भगवद्गीता समझना बुद्धिमत्ता है। '
Page: 344'Be it life or business, "satisfaction" is the biggest key to success. Firstly, being satisfied you don't fall back; secondly, in the absence of greed and ambitions, you do not engage yourself in mindless activities and miserably fail; and thirdly, sitting peacefully, you are able to spot the golden opportunities to grow in life.'
'जीवन हो या व्यवसाय ‘‘संतोष’’ सफलता की सबसे बड़ी कुंजी है। एक तो इससे आपकी पीछे हट नहीं होती, दूसरा लोभ व महत्वाकांक्षा के अभाव में आप उटपटांग कार्यों में लग चारों खाने चित नहीं होते व तीसरा शांति से बैठे होने के कारण आपको आगे बढ़ने के सुनहरे मौके दिखाई भी दे जाते हैं। '
Page: 345'It is against nature to pre-decide, what is to be done the next moment. But surprisingly, people even decide right from what they aspire to become in future to when should they visit temples and observe fasts. Now, if you act so much against nature, of course you will have to bear the brunt of it.'
'अगले क्षण क्या करना यह इस क्षण तय कर लेना प्रकृति के खिलाफ जाना है। आश्चर्य है लोग-बाग तो बड़े होकर क्या बनना से लेकर कब मंदिर जाना व कब उपवास व रोजे रखना यह भी तय कर लेते हैं। अब प्रकृति के इतने खिलाफ जाओगे तो उसके कोप का भाजन तो बनना ही पड़ेगा। '
Page: 346'When the sustenance of our life is so dependent on the thousands of inventions of the scientists and the peace, bliss and happiness is bestowed by the great artists, then how can we revere them any less than Krishna, Buddha or Christ?'
'जब हमारा जीवन वैज्ञानिकों की ईजाद की हुई लाखों वस्तुओं पर निर्भर है, जब हमारे जीवन में सुकून, शांति व आनंद महान कलाकारों की वजह से है; तो उन्हें कैसे हम किसी कृष्ण, बुद्ध या क्राइस्ट से कम आंक सकते हैं? '
Page: 347'Other than our 'mind', what is it that we have, which we can call our own? Everything else is gifted by nature and made usable by science. At the same time, if you talk of joy of mind, it lies in "art". But then it is difficult to understand that in this process, where do we feel the need for these 'so-called religions'?'
'हमारे पास अपना सिवाय अपने ‘मन’ के क्या है? बाकी जो भी है वह प्रकृति का दिया हुआ है। और उसे उपयोग करने लायक विज्ञान ने बनाया है। वहीं यदि मन के आनंद की बात की जाए तो वह ‘‘कला’’ में छिपा पड़ा है। समझ नहीं आता कि इस पूरी Process में हमें ‘तथाकथित धर्मों’ की आवश्यकता ही कहां महसूस हो रही है? '
Page: 348'No matter how grave a problem you are stuck in, to resolve it you must know the difference between 'thinking' and 'worrying'. Reflecting upon it, however complex a problem may be, it soon gets solved; whereas worrying about the problem, you are consumed by it.'
'कितनी ही बड़ी समस्या से आप क्यों न घिरे हों, पर उसे सुलझाने हेतु ‘चिंतन’ व ‘चिंता’ का फर्क मालूम होना आवश्यक है। उसका चिंतन करने से समस्या कितनी ही जटिल क्यों न हो, वह जल्द ही सुलझ जाती है; जबकि समस्या की चिंता करने से समस्या आपको खा जाती है। '
Page: 349'A person who offers namaz five times a day, dot on time, when and how can he ever become an "Edison"?'
'जो घड़ी के साथ पांच वक्त की नमाज पढ़ेगा वह ‘‘एडीसन’’ कब और कैसे हो पाएगा? '
Page: 350'I consider him to be a true believer of God, who no matter what happens…has the capacity to cheerfully accept it there and then, as the will of God.'
'ईश्वर पर भरोसा करने वाला मैं उसे मानता हूँ जो चाहे जो घट जाए... उसे ईश्वर की मरजी मानकर उसी क्षण हंसते-हंसते स्वीकारने की क्षमता रखता हो। '
Page: 351'Anger, worries, fear, worship, insecurity, jealousy and partiality drag you to such darker recesses of the mind from where even a blind person seems clear-sighted. When you have lost the sense to see things in their right perspective, how could you get anything but failure in life?'
'क्रोध, चिंता, भय, पूजा, असुरक्षा, ईर्ष्या, पक्षपात आपको मन के उन विकारों में ले जाते हैं, जहां से आपको अंधा भी आंख वाला नजर आने लगता है। अब जब आपको किसी चीज की पहचान ही नहीं रही तो सिवाय असफलता के जीवन में क्या मिल सकता है? '
Page: 352'When justice is to be served on the judgment day anyway, then by raising arms and killing innocent people today, what is it that these terrorists are trying to justify?'
'जब कयामत के दिन सारे फैसले हो ही जाने वाले हैं, तो फिर आज बंदूक उठाकर व निर्दोषों की हत्या कर ये आतंकवादी कौन-सा फैसला करने में लगे हुए हैं? '
Page: 353'A person ''true by heart'' is free from all the pains of separation that one generally endures. Because he knows that the physical meeting and separation depend upon the circumstances created by nature, then why be unhappy about it? And if separated from someone by heart, then the question of grieving simply doesn't arise.'
'दिल से ‘‘सच्चा-व्यक्ति’’ बिछड़ने के तमाम गमों से हमेशा आजाद रहता है। क्योंकि वह जानता है कि शरीर से मिलना-बिछड़ना कुदरत की बनायी परिस्थितियों पर निर्भर है, सो उसका दुःख क्या पालना? और किसी से मन से भी बिछड़ गए तब तो उसका दुःख पालने का वैसे ही सवाल नहीं उठता। '
Page: 354'Please do not fall in the trap of old and faulty teachings. Clearly understand that suppressing any feeling at the level of mind yields only disastrous results.'
'मेहरबानी कर पुरानी व गलत शिक्षाओं के जाल में न पड़ें। यह स्पष्ट समझ लें कि मन के तल पर कोई भी भाव दबाने के सिर्फ दुष्परिणाम आते हैं। '
Page: 355'In a child's brain, nothing like good - bad, mine - yours or vice - virtue exist. By way of conditioning, all these are fed into his system. Likewise, the child's liver cannot take spicy or fried food, for that too it needs to be trained.'
'बच्चे की बुद्धि में अच्छा-बुरा, मेरा-तेरा या पाप-पुण्य नहीं होता। इन सबकी उसपर कंडीशनिंग की जाती है। वैसे ही बच्चे का Liver तीखा या तेल वाला नहीं खा सकता, उसे भी Trained ही करना पड़ता है। '
Page: 356'Love and anger are two names of the same energy. If you learn to use one properly...the second by itself gets channelized in fruitful tasks.'
'प्रेम और क्रोध एक ही ऊर्जा के दो नाम हैं। एक का ठीक तरीके से उपयोग करना सीख जाओ...दूसरे की ऊर्जा स्वतः ही परिणामकारी कर्मों में लग जाएगी। '
Page: 357''Mind' not only understands all the mysteries of existence but can also reveal their influence, in the life of any individual of this world with the precision of a clock… But then it is difficult to understand that instead of delving into our mind, what sort of trivial tasks have we entangled ourselves in?'
'‘मन’ ना सिर्फ प्रकृति के सारे रहस्यों को समझने वाला है, बल्कि उसके प्रभाव को घड़ी के कांटे के साथ विश्व के किसी भी मनुष्य के जीवन में क्या घट सकता है...बताने में भी सक्षम है। ...फिर समझ नहीं आता कि हम हमारे मन में डुबकी लगाने की बजाय किन-किन कार्यों में उलझे पड़े हैं? '
Page: 358'Certainly there is no delight greater than self-satisfaction in this world… But the feeling of self-satisfaction comes only by doing good to others.'
'निश्चित ही आत्मतृप्ति से बड़ा सुख इस विश्व में कोई नहीं। ...पर आत्मतृप्ति का अनुभव आता ही दूसरों का भला करने से है। '
Page: 359'The decision that we have to make is, what is more important, visiting temples, mosques, churches or eradicating negativities from the mind?'
'हमें फैसला यह करना है कि मंदिर-मस्जिद-चर्च जाना ज्यादा महत्वपूर्ण है कि मन के विकार दूर करना? '
Page: 360'To show the path of life many a times a 'foe'…is far more helpful than friends. Thanks to them, you not only remain alert, but at times they also prove to be a source of encouragement for you… In that case, where is the place for hatred in this world?'
'जीवन को राह दिखाने हेतु अक्सर ‘शत्रु’...मित्रों से कहीं ज्यादा कारगर सिद्ध होते हैं। उनके कारण ना सिर्फ आपकी सतर्कता बनी रहती है, बल्कि प्रायः वे आपका उत्साह बढ़ाने वाले भी सिद्ध होते हैं। ...ऐसे में इस संसार में नफरत को जगह ही कहां? '
Page: 361'If you carefully look at the vastness of the universe or the enormous depths of the ocean with awareness even for a second, all your sorrows will get dissipated; because then you will be left with no pride of being someone "great" or "exceptional"'
'आप एक क्षण को जागकर ध्यान से ब्रह्मांड की विशालता या समुद्र की गहराई को देख लेना, आपके सारे दुःख तिरोहित हो जाएंगे; क्योंकि फिर आपको अपने कुछ ‘‘बड़े’’ या ‘‘विशिष्ट’’ होने का गुमान बचेगा ही नहीं। '
Page: 362'How 'aware' you are by mind, can be judged by the number of people who are able to gauge your reactions on any particular matter. You will always find the reactions of an awakened person to be unexpected.'
'आप मन से कितने ‘जागरुक’ हैं इस बात का पता इससे चलता है कि आप किस बात पर क्या प्रतिक्रिया देंगे, यह कितनों को मालूम पड़ता है? जागरुक व्यक्ति की सारी प्रतिक्रियाएं आप हमेशा अप्रत्याशित ही पाएंगे। '
Page: 363'Among many moral stories told to children by their parents, the stories of obedient children like Rama and Shravana are mostly told with some extra fondness. Are some parents living with the latent desire to get their children's youth sacrificed for the sake of their old age?'
'बच्चों को मां-बाप द्वारा सुनायी जाने वाली हजार शिक्षाप्रद कहानियों में राम व श्रवण जैसे आज्ञाकारी बच्चों की कहानियां अक्सर कुछ ज्यादा ही चाव से सुनायी जाती है। कहीं उनमें से कुछ अपने बच्चों की जवानियां खुदके बुढ़ापे पर निछावर करने की छिपी तमन्ना लिए तो नहीं बैठे हैं? '
Page: 364'Truth has always prevailed and always will, because it is the bridge between all the contradictory powers and emotions of this world. Irrespective of the number of ups and downs that may come, both in the energies and emotions, truth always stands still.'
'सत्य सदैव से है व रहेगा। क्योंकि सत्य विश्व की सारी विरोधाभासी शक्तियों व भावों के बीच के सेतु का नाम है। शक्तियां व भावों में दोनों ओर कितने ही उतार-चढ़ाव आ जाएं, सत्य स्थिर ही रहता है। '
Page: 365'Even science has not remained untouched by the marathon for money. All the commercial successes of the past 200 years are also attributed to the new inventions and innovations offered by science.'
'धन की दौड़ से विज्ञान भी अछूता नहीं। पिछले दो-सौ वर्षों की सारी व्यावसायिक सफलताएं विज्ञान की नयी-नयी खोजों को ही आभारी हैं। '
Page: 366'As in many people, the brain slows down with age, in some cases, even liver functioning slows down or gives up in later years and then they have to eat light and simple food. But here the question is; what about those, who are eating simple and light food at the peak of their youth? Nothing else, the weak liver leaves them prone to many illnesses.'
'जैसे कइयों की उम्र के साथ बुद्धि चलना बंद हो जाती है, वैसे ही उम्र के साथ कइयों का Liver भी जवाब दे ही जाता है। फिर उन्हें सादा खाकर ही जीना पड़ता है। यहां सवाल यह कि जो भरी जवानी में सादा खा रहे हैं उनका क्या? कुछ नहीं, कमजोर Liver उन्हें रोज की पचासों बीमारियां पकड़ा ही देता है। '
Page: 367'If you trust auspicious time and astrology so much, then when a family member suffers from a heart attack, why do you immediately rush him to the hospital? Why don't you first check the auspicious time and then leave for the hospital and get him operated only after his horoscope matches with the doctor?'
'यदि आपको मुहूर्त देखने व राशि मिलाने पर इतना ही भरोसा है तो घर में किसी को ऍटैक आने पर उसे तुरंत अस्पताल क्यों ले जाते हैं? क्यों नहीं पहले मुहूर्त निकलवाकर ही उन्हें घर से निकालते, व Doctor से भी राशि मिलाने के बाद ही उनका Operation करवाते? '
Page: 368'Adverse circumstances bother you only till the time you pay attention to them. The moment you divert your attention onto favourable circumstances, all your troubles vanish.'
'प्रतिकूल परिस्थितियां आपको तभी तक परेशान करती हैं जब तक आप उसपर ध्यान देते हैं। ध्यान अन्य अनुकूल परिस्थिति पर लगाते ही कष्ट छू हो जाते हैं। '
Page: 369'It is not that time only kills. Time also heals the deepest of the wounds. For example, no matter how severe the shock is…with the passage of time a person learns to deal with it and moves on in life.'
'समय सिर्फ घाव देता है ऐसा नहीं है। समय बड़े-से-बड़े घाव भर भी देता है। सबूत के तौर पर कितना ही बड़ा सदमा क्यों न हो...समय के साथ मनुष्य सम्भल ही जाता है। '
Page: 370'Leaving everything else aside, you first have to establish communication between yourself and the supreme power. As soon as the communication is established, all your illusions will be shattered. And the one who doesn't have any "illusion", who can stop him from mounting the pinnacle of success?'
'आपको हजार काम छोड़ आपके व परम-सत्ता के बीच संवाद स्थापित करना है। संवाद स्थापित होते ही आपके सारे भ्रम टूट जाएंगे। और जिसको कोई ‘‘भ्रम’’ ही न रहा उसे सफलता के शिखर छूने से कौन रोक सकता है? '
Page: 371'A religious person is...the one who accepts the responsibility for the success and failures of his life. The one who entrusts it to rituals, worship, astrology, family or friends…is irreligious.'
'जो मनुष्य अपने जीवन के सफलता या असफलताओं की जवाबदारी स्वयं ले...वह धार्मिक। जो यह जवाबदारी पूजा-पाठ, ज्योतिष, वास्तु, परिवार या मित्रों को सौंपे...वह अधार्मिक। '
Page: 372'If brain is the centre of thoughts, liver is the centre of body. As brain becomes inactive when not used, liver gets weak by long term dieting and eating simple food.'
'बुद्धि यदि आपके जीवन के विचारों का केन्द्र है तो Liver आपके शरीर का केन्द्र है। जैसे बुद्धि बिना उपयोग किए जड़ हो जाती है, वैसे ही लगातार सादा व कम खाने से Liver भी कमजोर हो जाता है। '
Page: 373'Nature is all-round balanced by two polar opposites. As there have been mountains on the earth, equal have been valleys. As vast as the space is, equally expansive is time. Here, the measure in which negative energy exists, in the same measure positive energy also exists… It is this balance, which has made nature sustain itself and we are in this situation today, because we have disrupted our balance.'
'यह प्रकृति चारों ओर से दो-विरोधाभासों से संतुलित है। पृथ्वी पर जितने उभार हैं, उतनी ही गहरी खाइयां हैं। जितना विशाल Space है उतना ही विशाल Time है। यहां जितनी Negative शक्ति है उतनी ही Positive शक्ति भी है। ...बस प्रकृति को उसका यह Balance ही उसे टिकाये हुए है। और हमारा यह हाल इसलिए है कि हम अपना यह Balance बिगाड़ चुके हैं। '
Page: 374'It is still in the hands of psychology to free the person from his 'innermost pains and miseries' that he endures at deeper level; but it is not in anyone's hand to help him eliminate his ego-driven sorrows. This is where no one else, but only he can help himself.'
'मनुष्य के ‘आत्मिक दुःख’ दूर कर पाना एकबार को मनोविज्ञान के हाथ में तो है, पर मनुष्य के अपने अहंकार से जनित दुःख दूर कर पाना किसी के वश में नहीं। उसमें तो सिवाय उसके कोई और उसकी सहायता कर ही नहीं सकता। '
Page: 375'There is nothing in life that is absolutely good or bad. Sun gives life, but radiates fierce heat too. If water quenches the thirst, then it also causes devastation by bringing floods. Hence, the one who only embraces the positive aspects of everything goes on being happy forever.'
'जीवन में कोई भी वस्तु सिर्फ अच्छी या सिर्फ बुरी नहीं हो सकती। सूर्य जीवन देता है तो कड़ी धूप भी देता है। पानी प्यास बुझाता है तो बाढ़ लाकर तबाही भी मचाता है। अतः वस्तुओं की अच्छाई पकड़कर अपनाने वाला सुखी होता चला जाता है। '
Page: 376'No matter how adverse the circumstances are, never step back when it comes to "performing your duties" or honouring your responsibilities. If the body wears out, fuel it with the energy of the mind; if the mind also gets exhausted, pull it through with the energy of the soul... But no matter what…finish the task taken in hand.'
'कैसे भी विपरीत हालात क्यों न हो, जीवन में ‘‘कर्मों’’ से पीछे कभी मत हटो। शरीर थक जाए तो उसे मन की शक्ति प्रदान करो। मन भी थक जाए तो उसे आत्मबल से खींचो। ...पर हाथ में लिया कार्य तो निपटाकर ही छोड़ो। '
Page: 377'All your efforts at the end are nothing, but inviting pains and pleasures in life, whereas to be steadfast in your 'being' no effort is required. The best part is, there is only joy and happiness, not just for one but for hundreds of reasons.'
'जीवन के सारे प्रयत्न अंत में जीवन में आने वाले सुख-दुःखों को न्यौता देने के अलावा कुछ नहीं। जबकि आपके ‘होनेपन’ में स्थिर होने हेतु किसी प्रयत्न की आवश्यकता नहीं। और मजा यह कि वहां एक नहीं हजार कारण से सिर्फ आनंद-ही-आनंद है। '
Page: 378'There is only one way to fight adverse circumstances... Whatever you can, you must immediately do and then wait...if even after waiting, you are unable to find a solution, then accept it and think ahead.'
'विकट परिस्थितियों से जूझने का एक ही सिद्धांत है। ...जो कर सकते हैं - हाथोंहाथ करें, उपाय खत्म होते ही इन्तजार करें...और इन्तजार के बाद भी कोई नया उपाय न सूझे तो उसे स्वीकार कर आगे की सोचें '
Page: 379'How can living life to the fullest with much passion, fun and happiness or moving towards success, ever be irreligious? Irreligiousness itself begins with renouncing the things out of fear.'
'जीना, शौक से जीना, आनंदपूर्वक जीना, सफलता की ओर कदम बढ़ाना वगैरह कैसे अधार्मिक हो जाता है? अधर्म की तो शुरुआत ही डर कर वस्तुओं के त्याग करने से होती है। '
Page: 380'In this world, if desires could bring any result - then there is no dearth of desires in anyone.'
'इस जगत में चाह से परिणाम आ जाते होते तो - तो किसी की चाह में कोई कमी नहीं। '
Page: 381'The ups and downs coming in others' life do not make a difference to you; because you know that he is the other. If you wish, you can separate your 'being' from 'yourself' and then like that of others, the ups and downs of your own life will also not affect you.'
'दूसरों के जीवन में उतार-चढ़ाव आने से आपको फर्क नहीं पड़ता; क्योंकि आप जानते हैं वह दूसरा है। आप चाहें तो अपने ‘होनेपन’ को ‘अपने’ से अलग कर देख सकते है, फिर दूसरों की ही तरह आपके जीवन के उतार-चढ़ाव भी आपको प्रभावित नहीं करेंगे। '
Page: 382'Before doing any good unto others, it is necessary for a person to know the difference between soulful happiness and egoistic happiness. If you tamper with someone's ego, then along with him, even you will be badly trapped.'
'दूसरे का कुछ अच्छा करने से पहले मनुष्य को आत्मिक सुख व अहंकार के सुख का फर्क पता होना जरूरी है। यदि दूसरे के अहंकार के साथ छेड़छाड़ की तो उसके साथ-साथ आप भी बुरी तरह फंस जाएंगे। '
Page: 383'Can't you keep the soil of your mind firm? Yes you can, if you shift your focus from the pains and pleasures of life to your "being" and keep it steadfast there.'
'क्या आप अपनी मन-रूपी धरती को स्थिर नहीं रख सकते? रख सकते हैं, यदि आप अपना ध्यान जीवन में आने वाले सुख-दुःखों से हटाकर मात्र अपने ‘‘होनेपन’’ पर स्थिर रख सकें। '
Page: 384'The ultimate height of human intelligence is understanding the ''science of mind''. Intelligence at a secondary level is the understanding of principles of "time and space" and its impact. Surprisingly, even people who know neither of these, still consider themselves to be intelligent.'
'मनुष्य की Intelligence की Highest ऊंचाई ‘‘मन का विज्ञान’’ समझना है। उससे थोड़ा नीचे की Intelligence "Time & Space" के सिद्धांत व उसके प्रभाव समझने में है। आश्चर्य यह कि यह दो न जानने वाले भी अपने को बुद्धिमान मानते हैं। '
Page: 385'You simply understand that here including you, everything just exists, be it happiness - sorrows or vice - virtues. Then rather than favouring one, why don't you just enjoy watching the show?'
'आप सीधा समझें कि यहां आपके समेत सभी चीजें सिर्फ हैं। चाहे वह सुख-दुःख हो या अच्छाई-बुराई। तो फिर आप पक्ष लेने के बजाय यह तमाशा देखने का आनंद क्यों नहीं लूटते? '
Page: 386'No matter how knowledgeable a person is or how compassionate he is; even for him the body does not deviate from its nature. Like us, even their bodies fall sick; when poisoned or crucified on the gallows, even they die... Still weaving miracles around them, isn't it a deliberate attempt to tarnish their personality?'
'कोई भी मनुष्य कितना ही ज्ञानी क्यों न हो, या फिर वह कितनी ही करुणा से क्यों न भरा हो; उसके लिये भी शरीर अपना स्वभाव नहीं छोड़ता है। हमारी ही तरह बीमार उनका शरीर भी पड़ता है; और जहर पिलाये जाने या सूली पर लटकाये जाने पर मृत्यु उनकी भी होती ही है। फिर भी उन्हें चमत्कारों से जोड़ना उनके व्यक्तित्व से खिलवाड़ नहीं तो और क्या है? '
Page: 387'In this world, 'the one' who knows the art of learning from each good - bad incident and who can patiently await the final outcome of each event; 'he' soon realizes that whatever happens here, can never be wrong.'
'इस संसार में ‘जो’ हर घटनेवाली अच्छी-बुरी घटना से सीखने की कला जानता है, व पूरे सब्र के साथ घटनेवाली घटना के अंतिम परिणाम का इन्तजार कर सकता है; ‘वह’ जल्द ही जान जाता है कि यहां बुरा कुछ हो ही नहीं सकता। '
Page: 388'Trust me, 'you' are only a spectator who is watching the ups and downs of everyone’s life including yours. Your problem is; you believe yourself to be the doer.'
'आप मेरा विश्वास करें कि ‘आप’ अपने समेत सबके जीवन के उतार-चढ़ावों को सिर्फ देखने वाले हैं। आपकी दिक्कत यह है कि आप अपने को करने वाला मानते हैं। '
Page: 389'How strange are we? We don't have claws like a tiger, yet we growl at others, don't have venom like snakes, yet harbour animosities; don't have wings like birds, still keep flying in the fantasy world. When you do not possess any human quality, how will you achieve success in life?'
'हम कितने कमाल हैं? हमारे पास शेर जैसे पंजे नहीं फिर भी सबको काटने दौड़ते हैं। सांप जैसा जहर नहीं, फिर भी खुन्नसें पालते रहते हैं। पक्षी जैसे पंख नहीं फिर भी कल्पना लोक में उड़ते ही रहते हैं। जब आपमें इन्सानों के कोई गुण ही नहीं तो जीवन में सफलता कैसे पाओगे? '
Page: 390'The biggest reason for our failure is, we are not able to see the existence of this world in its totality. Here, neither it is possible to fulfill the personal interests of any individual nor of any group.'
'हमारी असफलता का सबसे बड़ा कारण यह है कि हम इस जगत की संयुक्तता को नहीं देखते। यहां ना तो किसी का जाती और ना ही किसी समूह-विशेष का हित साध पाना संभव है। '
Page: 391'Concentration is magic because in concentration, energy moves in circular motion. On the other hand, universal energy also moves in a circular motion. This is the reason, when we work with full concentration, we immediately get attuned to nature. Once the tuning with nature is set, know for sure, your life will be full of peace, happiness and prosperity. Hence, if you wish to achieve great success, you must learn to do even the smallest of the tasks with full concentration.'
'Concentration एक जादू है, क्योंकि Concentration में ऊर्जा सरक्युलर घूमती है। दूसरी तरफ पूरे ब्रह्मांड की ऊर्जा भी सरक्युलर घूमती है। इसीलिये Concentration में हमारी प्रकृति से ट्युनिंग बैठ जाती है। और एक बार प्रकृति से Tuning बैठ गयी फिर जीवन सुख और समृद्धि से भरा ही समझो। अतः यदि बड़ी सफलता पानी हो तो हर छोटे-से छोटा कार्य ध्यान से करना सीखना ही होगा। '
Page: 392'The "Third Force" not only influences the earthquake, rains or gravitation, but is equally affecting our mind, body and society as well… As such it can well be understood; because it too functions in accordance with its laws.'
'"Third Force" ना सिर्फ भूकंप, बारिश या गुरुत्वाकर्षण को प्रभावित किये हुए है, बल्कि यह बराबरी पर हमारे मन, शरीर व समाज को भी प्रभावित कर ही रही है। ...हालांकि यह समझी जा सके वैसी है; क्योंकि यह नियमों के तहत ही क्रियाशील है। '
Page: 393'The "Third Force" not only exists in this world but is also functional in full force. However, it has nothing to do with God or destiny.'
'इस विश्व में "Third Force" ना सिर्फ उपस्थित है बल्कि अपनी पूरी गति से कार्यशील भी है। लेकिन उसका भगवान या भाग्य से कुछ लेना-देना नहीं। '
Page: 394'The philosophy of "Karma" and "Destiny" are two parallel lines…which have never met, nor can they ever meet.'
'‘‘कर्मवाद’’ व ‘‘भाग्यवाद’’ दो समानांतर लकीरें हैं...जो न मिली हैं - ना कभी मिल सकती हैं। '
Page: 395'No vibration emanating from our "mind" can ever be suppressed nor can any vibration be created in mind… they can only be transformed.'
'हमारे ‘‘मन’’ में उठनेवाली कोई भी तरंग ना तो दबायी जा सकती है, और ना मन में कोई तरंग पैदा ही की जा सकती है। ...उनका सिर्फ रूपांतरण हो सकता है। '
Page: 396'In this existence, not even a particle can ever be created or destroyed. Yes, to some extent, it can be transformed…and some transformation happens by itself.'
'इस ब्रह्मांड में एक कण-मात्र भी न तो पैदा किया जा सकता है, ना ही उसे मिटाया जा सकता है। कुछ अंश तक उसका रूपांतरण किया जा सकता है...व कुछ उसका रूपांतरण अपने आप हो रहा है। '
Page: 397'All that your mind absorbs from the external world will prove to be a deterrent, meaning it will push you back in life. Whatever your mind brings forth from within, will only make you grow in life.'
'बाहर की दुनिया से आपका मन चाहे जो ग्रहण करेगा, वह जीवन को सिर्फ पीछे ले जाने वाला सिद्ध होगा। भीतर से आपका मन जो और जितना प्रकट करेगा, वही जीवन को आगे बढ़ाने वाला सिद्ध होगा। '
Page: 398'Intelligent is not the one who knows the formula of water i.e. H2O. But intelligent is the one, who realizes when he is thirsty and knows the amount of water to be consumed to quench it.'
'बुद्धिमान वह नहीं है जिसे पानी का Formula यानी H2O मालूम है। बुद्धिमान वह है जिसे कब प्यास लगी यह मालूम है व कितना पानी पीना इसका एहसास है। '
Page: 399'The depths of our mind has an "auto tuning" with nature. Once a person has started living from these depths…no harm can ever be caused to him'
'हमारे मन की गहराइयों का प्रकृति से "Auto Tuning''है। एक बार जिसने उन गहराइयों से जीना चालू कर दिया...फिर उसका कोई बाल बांका नहीं कर सकता। '
Page: 400'The concept of "God" has come into existence because of fear. ‘Fear’ is the offspring of insecurity and desire… The interesting part is, you don't need either of these after death.'
'The concept of "God" भय के कारण अस्तित्व में आया है। ‘भय’ असुरक्षा व चाह से पैदा हुआ है। ...मजा यह कि इन दोनों की मृत्यु के बाद कोई जरूरत नहीं। '
Page: 401'"Destiny" is nothing more than a good excuse to hide your failure.'
'‘‘भाग्य’’ सिवाय अपनी असफलता छिपाने के एक खूबसूरत बहाने से ज्यादा और कुछ नहीं। '
Page: 402'The secret to take life forward is only known to your 'mind', and mind and brain have no communication. Hence, the matters which your brain thinks will make you grow, know for sure that they will push you back in life and the ones that you feel will push you back in life, understand that these are the matters which will help you sail the summit of success.'
'जीवन को आगे बढ़ाने का रहस्य सिर्फ आपका ‘मन’ जानता है। मन और बुद्धि का कोई Communication नहीं। अतः जो बातें आपकी बुद्धि को आगे बढ़ने वाली जान पड़े, समझ लेना वह पीछे धकेल देगी; व जो पीछे ले जाने वाली मालूम पड़े, समझ लेना उसी के सहारे आप सफलता के शिखर छू पाएंगे। '
Page: 403'The best state of mind is balanced by two extremes. But we, driven by brain, try to embrace one and discard the other. It is this discrimanatory practice that has brought all our good - bad, sin - virtue into existenc'
'मनुष्य के मन की श्रेष्ठ स्थिति दो विरोधाभासों से ही संतुलित होती है। लेकिन हम बुद्धि के चक्कर में एक को अपनाने व दूसरे को छोड़ने के प्रयास में लग जाते हैं। हमारा अच्छा-बुरा, पाप-पुण्य सब इसी से परिभाषित है। '
Page: 404'Only the person who knows how to strike a balance of mind can be happy and successful in life. Sin - virtue, good - bad are the teachings which disturb the equilibrium of our mind and unfortunately, these are the teachings which our religious gurus and scriptures are giving us in abundance. As a result, only one among millions is able to be happy and successful and that too, he who escapes their clutches.'
'जो मनुष्य मन का संतुलन बिठाना जानता है, वही जीवन में सफल व सुखी हो सकता है। पाप-पुण्य, अच्छा-बुरा यह सब हमारे मन के संतुलन बिगाड़ने की शिक्षाएं हैं, और दुर्भाग्य से यही सब हमारे धार्मिक गुरु व शास्त्र हमें धड़ल्ले से देने में लगे हुए हैं। परिणाम यह कि सुखी व सफल लाखों में कोई एक ही हो पा रहा है; और वह भी वो जो उनके चंगुल से बच निकलता है। '
Page: 405'There are millions and billions of people living in this world, who do not worship or visit any temple, mosque or church and the truth is, they are living life much more happily and peacefully. But today, no one in this world is living without the application of "science". Try to live without it and you will realize what 'hell' is.'
'मंदिर-मस्जिद-चर्च न जाने वाले करोड़ों-करोड़ लोग इस विश्व में जी रहे हैं, और हकीकत यह है कि वे ज्यादा चैन व मजे से जी रहे हैं। लेकिन संसार का कोई भी व्यक्ति आज ‘‘विज्ञान’’ के उपयोग के बगैर नहीं जी रहा। जी के देख लें, ‘नर्क’ किसे कहते हैं...पता चल जाएगा। '
Page: 406'In this world of infinite "Time and Space", if you could not decipher the rationale of your 6 feet long body coming into existence for about 60 years, then whatever you did, learnt or achieved is all useless.'
'इस Infinite "Time व Space" के जगत में आपने अपने छः फूट के शरीर का 60 वर्ष के लिए आने का मकसद नहीं जाना, तो बाकी जो भी किया-करा-जाना; सब बेकार। '
Page: 407' The talented people belonging to developing countries have to promote themselves on their own at the international level. In this process, a substantial amount of their energy gets wasted.'
'विकासशील राष्ट्रों के प्रतिभाशाली व्यक्तियों को स्वयं ही खुद को International Level पर Promote करना पड़ता है। इससे बेचारों की अच्छी-खासी शक्ति इसी में व्यर्थ हो जाती है। '
Page: 408'Due to faulty teachings, as we grow we begin to lose the important qualities like self-confidence, enthusiasm, concentration, vision and foresight. Otherwise these are the most natural qualities among children. In that case, don't you think we need to re-evaluate our educational system?'
'हम गलत शिक्षाओं के कारण जैसे-जैसे बड़े होते जाते हैं, आत्मविश्वास, उत्साह, Concentration और दूरदृष्टि जैसे महत्त्वपूर्ण गुण खोते चले जाते हैं। वरना बच्चों के तो यह सब स्वाभाविक गुण होते हैं। ऐसे में क्या हमें अपनी शिक्षा-पद्धति पर दोबारा गौर करने की आवश्यकता नहीं? '
Page: 409''Yes' is theism and 'No' is atheism. In life the number of things that you have firmly abstained from...shows how irreligious you are. The meaning of irreligiousness itself is the denial of God's creations.'
'‘हां’ आस्तिकता है और ‘ना’ नास्तिकता है। आपने जीवन में जितनी चीजों का दृढ़तापूर्वक निषेध कर रखा है...उतने ही आप अधार्मिक। अधार्मिकता का अर्थ ही ईश्वर की रचनाओं का अस्वीकार है। '
Page: 410'Till the time religion, science and education are not seasoned with psychology, they cannot prove to be useful for the true upliftment of a human being in the long run.'
'जब तक धर्म, विज्ञान व शिक्षा अपने में Psychology का तड़का नहीं लगा लेते, वे कभी भी मनुष्य के वास्तविक उत्थान हेतु लम्बे समय तक सहायक सिद्ध नहीं हो सकते। '
Page: 411'In nature, there are only two focal points of energy; one, 'anger' and second, 'love'. But unfortunately, Science simply does not know how to view from the perspective of Psychology. Here the energy is created either by the friction of two things i.e. 'anger' or by the union of two things i.e. 'love'.'
'प्रकृति में ऊर्जा के दो ही केन्द्र बिन्दु हैं, एक ‘क्रोध’ व दूसरा ‘प्रेम’। परंतु दुर्भाग्य से Science... Psychology की दृष्टि से देखना जानता ही नहीं। यहां ऊर्जा उत्पन्न या तो दो वस्तुओं के घर्षण यानी ‘क्रोध’ से होती है, या यह ऊर्जा उत्पन्न दो वस्तुओं के मिलन यानी ‘प्रेम’ से होती है। '
Page: 412'In the past 50 years, what joy and happiness has been offered by the politicians and religious heads to the people of our country? And in comparison, what is it that has not been bestowed by our legendary singers like Mohammed Rafi, Kishore Kumar or Lata - Asha... Thanks to their voices, even today people get to live a life of bliss and serenity for at least two hours a day.'
'भारत के राजनेताओं व धर्मगुरुओं ने पिछले पचास वर्षों में देश की जनता को क्या सुकून पहुंचाया? और उसके सामने हमारे Legendary गायकों जैसे मोहम्मद रफी, किशोरकुमार व लता-आशा ने हमें क्या कुछ नहीं दिया? आज भी कम-से-कम औसत दो घंटे सबको सुकून से जीना उन्हीं की आवाज के सहारे नसीब हो रहा है। '
Page: 413'The principles of our mind and life are far more profound than the principles of science. In fact, all the discoveries or inventions of science are also attributed to the principles of mind and life.'
'हमारे मन व जीवन के सिद्धांत, विज्ञान के सिद्धांतों से कहीं गहरे व ऊंचे हैं। दरअसल विज्ञान की भी सारी खोजें तो मन व जीवन के सिद्धांतों को ही आभारी हैं। '
Page: 414''Fear' and 'greed' are two sides of the same coin. If you manage to save yourself from one...you will automatically be freed from the other.'
'‘भय’ और ‘लोभ’ एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। एक से स्वयं को बचा लो...दूसरे से स्वतः ही छुटकारा मिल जाएगा। '
Page: 415'In any country of the world, the amount of serenity that is endowed by the artists; an equal amount of peace is robbed by the politicians and religious heads of that country.'
'विश्व के किसी भी देश को जितना सुकून कलाकारों ने पहुंचाया है; उतना ही चैन उनका वहां के राजनेताओं व धर्मगुरुओं ने मिलकर लूटा है। '
Page: 416'Any form of art is the manifestation of God. Whereas, in temples and churches someone has just been instated in the name of God.'
'किसी भी प्रकार की कला सीधे तौर पर ईश्वर को प्रकट करती है। मंदिर व चर्चों में तो ईश्वर के नाम पर किसी को बिठा दिया गया है। '
Page: 417'The only principle to bring a task to fruition which you do not know how to do is, completely surrendering to the person who knows it, with full trust.'
'जो कार्य आप करना नहीं जानते उसे अच्छे से पार पाड़ने का एक ही सिद्धांत है, जो जानता है उसके प्रति पूर्ण विश्वास के साथ समर्पण। '
Page: 418'In life, if you observe carefully, no one minds doing the wrong deeds or saying wrong things, but definitely take exception to being understood wrong. Isn't it astonishing?'
'जीवन में गौर करना, गलत बात या कार्य करने से किसी को एतराज नहीं, पर उसे गलत समझा जाए, इससे सबको एतराज है। है न कमाल की बात! '
Page: 419'It is difficult to understand as to who is stopping a person other than himself, to live a life in utter bliss and joy. Nobody. And no one can either. It is just the thousands of rules and fears devised by his brain…that have stopped him.'
'समझ नहीं आता कि मनुष्य को मस्ती और आनंद में जीने से उसके अलावा और कौन रोके हुए है? कोई नहीं। कोई रोक सकता भी नहीं। यह तो उसके उसकी बुद्धि से उत्पन्न किये हजारों नियम व डर ही हैं...जो उसे रोके हुए है। '
Page: 420''Do your karma without worrying about the fruits of your action.' This is the most wonderful shloka recited by the most intelligent man of this world "Krishna", in the most unique granth the "Bhagavad Gita". The irony is, all our worships, rituals, fasting, vastu, astrology are the acts performed with the expectations of desired results.'
''कर्म करो पर फल की चिंता मत करो’ यह विश्व के सबसे बड़े ज्ञानी ‘‘कृष्ण’’ ने विश्व के सबसे अनूठे ग्रंथ ‘‘भगवद्गीता’’ में कहा उनका सबसे अद्भुत श्लोक है। विडंबना यह कि हमारी सारी पूजाएं, यज्ञ, उपवास, वास्तु, ज्योतिष सब फल की आशा से निकले कर्म हैं। '
Page: 421'If you wish to make your life meaningful; every morning spend ten minutes in solitude and think about making today a fruitful day, and before going to bed at night, rewind the day for five minutes and think whether or not the day was wasted. And then, see what you will soon transform into.'
'जीवन संवारना चाहते हो तो रोज सुबह दस मिनट एकान्त में अपने साथ बैठकर आज का दिन सार्थक बनाने हेतु सोचो व रात्रि को सोने से पूर्व पांच मिनट कहीं दिन Waste तो नहीं गया, उस बाबत सोचो। देखिये आप जल्द ही क्या-से-क्या हो जाते हैं। '
Page: 422'Life is another name for "struggle". Sanyas - the renunciation is the name for running away from struggle. If you wish to live like a human being who is truly alive, then you must learn to live amidst struggles.'
'जीवन ‘‘संघर्ष’’ का दूसरा नाम है। संन्यास संघर्ष से भागने का नाम है। जिंदा मनुष्य बनकर जीना चाहते हो तो संघर्षों में जीना सीखना ही होगा। '
Page: 423' It is not that the IQ of an average Indian is lower than that of the people of developed countries. The only difference is, they know how to use it constructively and they also have a conducive environment for the same. Whereas in case of Indians, the entire intelligence gets wasted in image building and in dealing with other's smartness.'
'यह नहीं है कि आम भारतीय के I-Q से ज्यादा I-Q वाले लोग कुछ देशों में है। फर्क सिर्फ इतना है कि वे उसका सकारात्मक उपयोग करना जानते है, व उन्हें वैसा वातावरण भी उपलब्ध है। जबकि भारतियों का पूरा-का-पूरा I-Q अपनी Image बनाने व लोगों की Smartness से निपटने में ही खर्च हो जाता है। '
Page: 424'Every kind of 'jealousy' not only shows your failure but also your lack of confidence. At the same time, you don't realize, but your jealousy motivates the one you envy, to move further in life.'
'हर प्रकार की ‘जलन’ ना सिर्फ आपकी असफलता, बल्कि साथ में आपके अविश्वास को भी दर्शाती है। साथ ही आप यह भी गौर नहीं करते कि आप जिससे जलते हैं... आपकी जलन उल्टा उसे और आगे बढ़ने हेतु प्रोत्साहित ही करती है। '
Page: 425'Generic diseases encountered by a human being in daily life are the consequence of poor immunity. Proper food and a balanced amount of acid–alkaline, do not let the germs spread in the body.'
'मनुष्य को रोज आने वाली छोटी-मोटी बीमारियां उसकी Immunity कमजोर होने के कारण आती हैं। जबकि व्यवस्थित भोजन व Acid-Alkaline का ठीक-ठीक संतुलन शरीर के कीटाणुओं को बढ़ने ही नहीं देते। '
Page: 426'If you carefully look at life, there is always something worth learning in each incident that happens. Our problem is, we get stuck in the incident and miss the opportunity to learn the lesson.'
'जीवन में गौर करना कि हर हादसे में कुछ-न-कुछ सीखने लायक अवश्य होता है। हमारी समस्या यह है कि हम हादसे में ही खोकर रह जाते हैं व सीखने का अवसर गंवा बैठते हैं। '
Page: 427'Any kind of creation and the ability to create is the proof of closeness to God.'
'किसी भी प्रकार का Creation करना व कर पाना ईश्वर के निकट होने का सबूत है। '
Page: 428'Hindu religion has accepted the ones, wearing necklaces of human skulls, having wine and opium, and even dance-lovers as their gods. Because Hindu religion does not believe in abstinence of things but rather, teaching how to have them in moderation and in the right manner.'
'हिंदू धर्म ने नरमुंडों की माला पहनने वालों से लेकर सोमरस, भांग व नृत्य के शौकीनों को भी भगवान स्वीकारा। क्योंकि हिंदू धर्म वस्तुओं का निषेध नहीं, उन्हें ग्रहण करने के सलीके सिखाने में विश्वास करता है। '
Page: 429'Hatred and contempt, be it for a thing or a person, has no place in the 'Hindu' religion... Whereas these so-called Hindu saints are building number of ashrams by inculcating the unnecessary feeling of 'sinfulness' in you. What kind of Hindu are you and what kind of saints are these?'
'नफरत व तिरस्कार, फिर चाहे वह वस्तु से हो या व्यक्ति से; ‘हिंदू’ धर्म में कोई स्थान नहीं। ...जबकि यह So-called हिंदू संत आपमें व्यर्थ के ‘पापभाव’ पैदा कर अपने आश्रम फैलाये चले जा रहे हैं। कैसे तो आप हिंदू व कैसे तो यह हिंदू संत? '
Page: 430'"Time" is such a flow that it puts even an exemplary person like "Krishna" to the deep sleep of death. But the life that he lived and the Bhagavad Gita that he recited, immortalizes him forever. Even you have to die, then why not do something that immortalizes you forever.'
'‘‘वक्त’’ वह धार है जो ‘‘कृष्ण’’ जैसे सर्वश्रेष्ठ व्यक्तित्व को भी मौत की नींद सुला देता है। लेकिन उनका जीया जीवन व उनकी कही भगवद्गीता उन्हें अमर बना देती है। मरना आपको भी है, फिर कुछ ऐसा कर के क्यों नहीं मरते कि मर के भी न मरो। '
Page: 431'Hindus have accepted only them as their gods who destroyed the evildoers. Why don't we also straighten "those" who are busy spreading their web of ashrams with our hard-earned money and bring them on the right path… If you can do this wonder, no one can stop India from being the "number one" country in the world.'
'हिंदूओं ने भगवान ही उन्हें स्वीकारा जिन्होंने पापियों का नाश किया। हम भी क्यों न उन्हें सीधी राह पर ले आएं ‘‘जो’’ हमारे ही खून-पसीने की कमाई से स्वयं के आश्रम फैलाने में लगे हुए हैं। ...यदि आपने यह कमाल कर दिखाया तो आपके भारत को विश्व का ‘‘नंबर-वन’’ राष्ट्र बनने से कोई नहीं रोक सकता। '
Page: 432'If you continuously wish to take best decisions in life, then stop taking decisions out of "greed" of getting something or "fear" of losing something.'
'आप जीवन में लगातार श्रेष्ठ निर्णय लेना चाहते हैं तो कुछ पाने के ‘‘लोभ’’ या कुछ खोने के ‘‘डर’’ से निर्णय लेना छोड़ दें। '
Page: 433'"Act without expectations"...what Krishna said is cent percent true. All he is saying is, whatever you do should generate nothing but happiness. As the action joyously performed is the only act for which the by-product is also joy…and that too instantly, hand-in-hand.'
'‘‘कर्म करो पर फल की चिंता मत करो’’...बात कृष्ण की सौ फीसदी सही है। वे यही कह रहे हैं कि जो करो उससे सिर्फ आनंद उत्पन्न होना चाहिए। क्योंकि आनंदपूर्वक किया कर्म ही एक ऐसा कर्म है जिसके प्रतिफल में भी सिर्फ आनंद ही पैदा होता है...और वह भी हाथों-हाथ। '
Page: 434'The three most important things for a human being and his life are time, energy and money. Religious rites rampantly exploit all three of them.'
'मनुष्य के लिए उसके अपने जीवन हेतु सबसे ज्यादा कीमती समय, शक्ति व धन है। धार्मिक क्रियाएं इन तीनों का जमकर शोषण करती हैं। '
Page: 435'Since we have taken human birth, doing our karma is the only ''worship'' and honouring duties and responsibilities, the only "meditation". Separately worshiping or meditation is performed by those, who have turned their back on duties.'
'मनुष्य जन्म लिया है तो कर्म करना एकमात्र ‘‘पूजा’’ है, और कर्तव्य-कर्म निभाना एक मात्र ‘‘ध्यान’’ है। अलग से पूजा या ध्यान वे लोग करते हैं जो कर्मों से विमुख हो चुके हैं। '
Page: 436'If you wish to lead a healthy life, then till the age of forty, eat to your heart's content and do lots of exercise. This is what our father and forefathers did. It is we, who have recognized the fatty food and acidic food separately and as a result, today’s youth has started eating each morsel with apprehension. Consequently, nowadays it is the parents and elders who have to look after their children.'
'स्वस्थ जीवन जीना चाहते हैं तो चालीस वर्ष तक डटकर खाएं व जमकर व्यायाम करें। हमारे दादा-पापा यही करते थे। हमने चरबी वाले खाने व Acidic Food को अलग से पहचाना और जिसके परिणामस्वरूप आज का युवा डर-डरकर खाने लगा। परिणाम में आजकल बच्चों की सेवा बाप-दादाओं को करनी पड़ रही है। '
Page: 437'It is not that America has the most talented people. Majority of them are the ones who have migrated from other countries and have accepted the US citizenship. While among the rest, there are many who have been promoted well.'
'यह नहीं है कि अधिकांश प्रतिभावान अमेरिका में है। उनमें से अधिकांश तो वे हैं जो दूसरे देशों से आये हुए हैं व जिन्होंने वहां की नागरिकता स्वीकार की हैं। अन्य कई ऐसे हैं जिन्हें अच्छे से प्रॅमोट किया गया है। '
Page: 438'Great tasks are not accomplished driven by great ambitions, but the highest level of concentration and a firm determination.'
'बड़े कार्य ऊंची महत्वाकांक्षाओं के चलते नहीं, बल्कि उच्च कोटि के ध्यान व बड़े पैमाने की कटिबद्धता के सहारे निपटाये जाते हैं। '
Page: 439'Life is only the present. Here, the moment once gone, is gone forever. It can never come back. At the same time, no moment of future arrives with prior intimation. Hence, this travel back and forth in the past and future, is nothing but the manifestation of our fears. There is nothing worthwhile in it.'
'जीवन सिर्फ वर्तमान है। यहां बीता क्षण कभी लौट के नहीं आ सकता। वहीं आने वाला पल भी कभी कुछ कह के नहीं आता। ऐसे में भूत व भविष्य की सारी उड़ानें सिर्फ हमारे भय की द्योतक हैं, यथार्थ इसमें कुछ भी नहीं होता। '
Page: 440'There is no other enemy of a human being except his own nature.'
'मनुष्य का उसके स्वभाव के अलावा कोई शत्रु नहीं। '
Page: 441'I am one of your those religious gurus, who upon realizing that I have no qualities to grow in life like art, science, the spirit of hard work or any qualification have opened a shop of promises and blessings… And see, today I possess the land bank spread over acres, my own ashram and thousands of intelligent followers like you.'
'मैं आपके उन धर्म गुरुओं में से हूँ जिसने जैसे ही पाया कि मुझ में आगे बढ़ने के कोई गुण जैसे कला, विज्ञान, मेहनत करने की लगन या डिग्री कुछ भी नहीं; तो मैंने आश्वासनों व आशीर्वादों की दुकान खोल ली। ...और देखो आज मेरे पास एकड़ों में जमीन, अपना आश्रम व आप जैसे हजारों बुद्धिमान श्रद्धालु हैं। '
Page: 442'Peace, happiness, satisfaction, compassion, freedom, concentration, etc. are the qualities which lead you to those intrinsic powers lying deep within your mind…from where the foundation of you becoming a "historical figure" gets laid.'
'आनंद, शांति, संतोष, करुणा, स्वतंत्रता, ध्यान, वगैरह गुण आपको मन की उन भीतरी कुदरती शक्तियों में ले जाते हैं...जहां से आपके ‘‘ऐतिहासिक व्यक्ति’’ बनने की नींव डलती है। '
Page: 443'Why don't we understand the simple fact that we have to spend the major part of our life with ourselves. Then why do we depend on other people or things and invite sorrows? Obviously, how can a person who is so dependent on others for his happiness, ever be happy?'
'हम यह सीधा सत्य क्यों नहीं समझते कि हमें अपने जीवन का अधिकांश हिस्सा सिर्फ अपने साथ बिताना होता है। फिर क्यों हम किसी मनुष्य या वस्तु पर निर्भर हो दुःख को आमंत्रित करते हैं? भला अपने आनंद हेतु दूसरों पर निर्भर रहने वाला कभी खुश हो ही कैसे सकता है? '
Page: 444'The childishness of a human being is; on one hand, he is competing to take credit for success, on the other hand, he is always seeking out an opportunity to blame someone else for his failure. Consequently, he is never able to analyze any event accurately.'
'मनुष्य का बचपना तो यह कि जहां सफलता का श्रेय लेने की उसमें होड़ लगी रहती है, वहीं असफलता का मटका किसी और पर फोड़ने की फिराक में भी वह लगा ही रहता है। परिणाम यह कि कभी भी वह घटना का ठीक से आकलन कर नहीं पाता। '
Page: 445'How could a person who is busy trying to amass more than a moment, ever be successful in a world which is enlightened by just one facet of time i.e 'present'?'
'समय के सिर्फ एक स्वरूप यानी ‘वर्तमान’ से प्रकाशित इस जगत में कैसे एक पल से ज्यादा बटोरने की कोशिश में लगा कोई व्यक्ति कभी भी सफल हो सकता है? '
Page: 446'If you wish to accomplish your ‘interests’ propelled by selfishness, you will not be able to. If you try to get others' interests fulfilled sacrificing yourself, it will never happen. But yes, if you keep everyone's interests in mind including yours, you will surely be successful.'
'आप स्वार्थवश अपना ‘हित’ साधना चाहते हैं, नहीं साध पाएंगे। आप अपनी कुरबानी देकर दूसरे का हित साधना चाहते हैं तो वह तो बिल्कुल ही नहीं होगा। हां, आप अपने समेत सबका हित ध्यान में रखेंगे तो अवश्य सफल हो जाएंगे। '
Page: 447'Society divided us without realizing our inherent harmony. It endowed us with nation, family, caste and creed. Religion divided us as Hindu, Muslim and Christian whereas in reality, the entire mankind is one and united. Hence, he who believes in groupism, is bound to be unsuccessful.'
'समाज ने संयुक्तता पहचाने बगैर हमें बांटा। उसने हमें देश, परिवार व जाति दी। धर्म ने हमें हिंदू, मुस्लिम, ईसाई में बांटा। जबकि यह पूरी मनुष्यता संयुक्त है। अतः जो भी अलग से समूह में विश्वास करेगा, वह असफल ही होगा। '
Page: 448'Do you know the difference between 'doing' and 'happening'? Whatever that you have to do out of compulsion, shows your lack of power and slavery, and whatever that simply ''happens'' by you is actually the time when you are really alive.'
'क्या आप ‘करने’ और ‘होने’ का फर्क जानते हैं? आपको जीवन में जितना करना पड़ रहा है वह आपकी अशक्ति व गुलामी को दर्शाता है, व जितना आप से ‘‘हो रहा है’’ कायदे से तो बस उतना ही आप जी रहे हैं। '
Page: 449'Edison is Edison because experiments come to him naturally and he lets it flow from his inner being. We are compelled to work, so we are unsuccesful. Whereas Buddha, Krishna and Jesus are the people whose each and every action is a happening induced by nature.'
'एडीसन से प्रयोग होते हैं इसी से वह एडीसन है। हमें कार्य करने पड़ते हैं, इसीलिए हम असफल हैं। जबकि बुद्ध, कृष्ण व जीसस वे हैं जिनसे सबकुछ हो रहा है। '
Page: 450'A king is the one, who is the master of himself. You are just a slave of your religion, caste, creed, society, thinking, desires and worries.'
'राजा वह है जो अपना मालिक स्वयं है। आप तो अपने धर्म, जाति, समाज, विचारों, इच्छाओं व चिंताओं के सेवक हैं। '
Page: 451'The man who claims himself to be super intelligent gives thousands of opinions on others and various subjects as if no other person is more intelligent than him; but ask him about the 'sleep' in which he spends one-third of his lifetime and he is clueless… Isn't it ironical?'
'ज्ञान के बड़े-बड़े दावे करने वाला यह मनुष्य दूसरों के बाबत या दूसरे विषयों पर अपनी हजार रायें ऐसे जाहिर करता है मानो उससे बड़ा ज्ञानी कोई हो ही नहीं; लेकिन ‘नींद’, जिसमें वह जीवन का एक-तिहाई हिस्सा गुजारता है, उस बाबत उसे कुछ नहीं मालूम... क्या यह हास्यास्पद नहीं लगता? '
Page: 452'The marathon for money is so prevalent in the world that in order to sell arms and amunitions, some nations do not let the clouds of war disperse from the world.'
'धन की दौड़ का आलम तो यह है कि कुछ राष्ट्र अपने हथियार बेचने हेतु दुनिया पर से युद्ध के बादल हटने ही नहीं देते। '
Page: 453'Proper food and regular exercise is the most essential need of the human body. Only he, who can strike a balance between the two, can enjoy life. Dieting, only exercise or 'no exercise', either of these is like playing with your body.'
'व्यवस्थित भोजन व नियमित व्यायाम शरीर की सबसे बड़ी जरूरत है। इसमें संतुलन बिठा पाने वाला ही जीवन का आनंद ले सकता है। Dieting, सिर्फ व्यायाम या ‘No व्यायाम’ शरीर के साथ खिलवाड़ है। '
Page: 454'Whoever has achieved great success in life, they have knowingly or unknowingly, firmly opted for one of the four ways of mind; joy, nature, independence or being natural and whatever the path once chosen, irrespective of the circumstances...they have incessantly followed it.'
'जिन्होंने भी जीवन में बड़ी सफलता पायी है, उन्होंने जाने-अनजाने दृढ़तापूर्वक मन की चार में से कोई एक राह पकड़ी ही हुई है; आनंद, स्वभाव, सहजता या स्वतंत्रता। और जो पकड़ी है...फिर उसका हरहाल में लगातार साथ दिया है। '
Page: 455'Many a times, our unessential understanding becomes the cause of our problem, yet we can't resist applying our brain in every trivial matter.'
'अक्सर अनावश्यक समझदारी हमारे लिए मुसीबत का कारण बन जाती है। फिर भी हम छोटी-से-छोटी व अनावश्यक-से-अनावश्यक वस्तुओं में भी बुद्धि लगाने से बाज नहीं आते। '
Page: 456'A detached human being is the one who is neither in the race to achieve something nor is anxious to renounce anything.'
'मोह रहित मनुष्य वह है जो ना तो कुछ पाने को दौड़ रहा, और ना ही कुछ छोड़ने पर मचल रहा। '
Page: 457'There is no dearth of talent in India. The problem is that the Indian government simply does not know how to pursue 'Personality Promotion' at the international level.'
'भारत में प्रतिभावान व्यक्तियों की कोई कमी नहीं। दिक्कत यह है कि Indian Government को International Level पर 'Personality-Promotion' करना आता ही नहीं। '
Page: 458'Even if science works hard for thousands of years, it cannot formulate anything like a blood test that could detect our feelings and emotions lying deep within, because this is the subject of Psychology and Psychology is far beyond the reach of Physical Science.'
'विज्ञान अगले लाख वर्ष कोशिश कर ले तो भी Blood Test की तरह हमारे भीतर छिपे ‘‘भावों के Test’’ हेतु कुछ नहीं खोज सकता। क्योंकि यह सायकोलोजी का विषय है, और पदार्थ विज्ञान की पहुंच सायकोलोजी तक कतई नहीं। '
Page: 459'Today, the entire mankind swears and survives by the support of wealth only. Now, even religious, political and social institutes are deeply involved in this blind race of wealth. In such a case, how could any wealth be left for the common man?'
'आज पूरी मनुष्यजाति सिर्फ धन के आसरे व सहारे जी रही है। अब तो धन की इस अंधी दौड़ से धर्म, राजनीति व सामाजिक संस्थाएं भी पूरी तरह ओत-प्रोत हैं। ऐसे में आम-मनुष्य के पास धन बचे भी तो कैसे? '
Page: 460'There is such a blind race going on for money in this world that few nations are even harbouring terrorism to receive regular financial aids from other countries.'
'धन की दुनिया में इतनी अंधी दौड़ चल पड़ी है कि कुछ राष्ट्र नियमित Aids लेने हेतु आतंकवाद तक को बढ़ावा देते हैं। '
Page: 461'Edison, without binding himself to the boundaries of nationality and religion, desired the betterment of each human being, and invented light bulb; he became successful. Buddha and Jesus defying their religion and caste worked for the betterment of all and they too became immortal forever.'
'एडीसन ने बिना देश-धर्म की सीमा में बंधे सबका हित चाहा व बल्ब का आविष्कार किया; वह सफल हो गया। बुद्ध व जीसस ने अपने ही धर्म-जाति का विरोध कर सबका हित चाहा और वे भी सदैव के लिये अमर हो गये। '
Page: 462'The unsuccessful person falls for the ritualistic hypocrisies of religion. Such hypocrisies give birth to false hopes, and false hopes lead to performing wrong deeds. Wrong karma induces more sorrows; and more the miseries, more the person falls for religious hypocrisies. Such a sorry state of human beings is solely owed to being trapped in this vicious circle.'
'असफल मनुष्य धर्म के पाखंड को अपनाता है। यह पाखंड झूठी आशाएं पैदा करता है। झूठी आशाएं खोटे कर्म करवाती हैं। गलत कर्म से ज्यादा दुःख उत्पन्न होता है। ज्यादा दुःख के कारण मनुष्य ज्यादा धर्म के पाखंड अपनाने लगता है। मनुष्य की इतनी असफलता सिर्फ इस कुचक्र में फंसे होने को आभारी है। '
Page: 463'The people who work for 'fame' and 'money', reach nowhere in life... But the one who simply does it because he enjoys it, ends up achieving both "fame and money".'
'जो ‘नाम’ और ‘दाम’ के लिये काम करते हैं वे जीवन में कहीं नहीं पहुंच पाते। ...पर जो अपनी ही धुन में सिर्फ काम के लिए काम करता है, वह ‘‘नाम और दाम’’ दोनों पा जाता है। '
Page: 464'DNA and Genes influence your body, not your mind.'
'DNA व Genes आपके शरीर को असर करते हैं, मन को नहीं। '
Page: 465'Time has taken such a turn that the definition of saints and businessmen has completely changed. The ones, looting millions of people in the name of hypocrisy, have come to be known as 'saints'. Whereas, true saints are those, who have established and expanded businesses by their assiduity and have given employment to millions of people.'
'वक्त ने ऐसी करवट ली कि संतों और व्यवसायियों की परिभाषा ही परिवर्तित हो गयी। पाखंड के नाम पर लाखों को लूटने वाले व्यवसायी आजकल ‘संत’ बने बैठे हैं। जबकि वास्तविक संत तो वे हैं जो अपनी कर्मठता से व्यवसाय फैलाकर लाखों को रोजगार दिये हुए हैं। '
Page: 466'People who have become historical figures are the ones, who have done something new. Then let that innovation be in the field of science, religion, business, music, literature or even movie-making. The matter worth thinking about is; is there anything new, in all that we are being offered in the name of 'religion and education' or are we just blindly swallowing it up?'
'जो भी ऐतिहासिक मनुष्य हुए हैं, वे वो हैं जिन्होंने कुछ नया किया है। फिर नया उन्होंने चाहे विज्ञान, धर्म, व्यवसाय, संगीत, साहित्य या फिर Movie-making में ही क्यों नहीं किया हो? सोचना यह है कि ‘धर्म व शिक्षा’ के नाम पर हम जो ग्रहण कर रहे हैं, उसमें कुछ नया है भी या ऐसे ही ग्रहण किये चले जा रहे हैं? '
Page: 467'All the struggles of life are less dependent on circumstances and more on our state of mind. This is the reason why "a resolute mind" is easily able to conquer even the toughest of the problems.'
'जीवन के सारे संघर्ष परिस्थितियों पर कम व हमारी मनोदशा पर ज्यादा निर्भर करते हैं। यही कारण है कि ‘‘दृढ़-मन’’ बड़े-से-बड़े संघर्षों पर भी आसानी से फतह पा लेता है। '
Page: 468'The extent to which you depend on the capabilities of your own mind or on the external knowledge and situation to resolve any issue, shows how deep a mind you dwell in.'
'आप कितनी गहराइयों से जी रहे हैं इसका अंदाजा इस बात से लग जाता है कि आप किसी भी समस्या से निपटने हेतु कितना स्वयं के मन की शक्तियों पर निर्भर हैं, व कितना बाहरी ज्ञान व परिस्थिति पर। '
Page: 469'Have we gone so crazy that despite repeatedly failing in endeavours initiated in auspicious time…we still keep visiting pundits to check the auspicious time again and again.'
'क्या हम इतने पागल हो गये हैं कि शुभ-मुहूर्त में कार्य करने पर भी बार-बार असफल होने के बावजूद...हम फिर-फिर पंडित से शुभ-मुहूर्त निकलवाने पहुंच जाते हैं। '
Page: 470'How intelligent are you, can be known by the amount of unexpected happenings in your life.'
'आप कितने बुद्धिमान हैं इसका अंदाजा इस बात से लग जाता है कि कितना आपके साथ Unexpected घटता है। '
Page: 471'If you wish to experience the ego of having done something great in life, then you will have to do away with all those small petty egos you tend to carry day in and day out.'
'यदि जीवन में कुछ बड़ा कर दिखाने के अहंकार का अनुभव करना हो तो सुबह-शाम करने वाले छोटे-मोटे पचासों अहंकारों को छोड़ना पड़ेगा। '
Page: 472'If you really wish to strengthen your individuality and accomplish something great in life, then recognize the presence of "witness". Only because it is there, you can feel that you are working.'
'यदि आप वाकई अपना व्यक्तित्व निखारकर जीवन में कोई अद्भुत कार्य करना चाहते हैं तो अपने ‘‘द्रष्टा’’ की उपस्थिति को पहचानें। वह है, तभी तो आपको कार्य करने का आभास हो रहा है। '
Page: 473'Before doubting anyone, we must understand that it is our own vibes of suspicion that incite others to cheat.'
'किसी पर भी शंका करने से पूर्व हमें यह समझ लेना चाहिए कि हमारे ही शंकाओं के कंपन दूसरों को धोखा देने पर उकसाते हैं। '
Page: 474'A successful life is the one which has no desires left in the mind at the time of death.'
' सफल जीवन वह है, जिसके मन में मृत्यु के समय कोई ‘चाह’ नहीं रह जाती। '
Page: 475'The horse who wins the race, but does not know the difference between dry and green grass, for how long can he sustain himself in the race? Same is the case with people who attain higher degrees or are scholars, but still do not understand the realities of life.'
'जो घोड़ा Race में First आता हो पर उसे सूखी व हरी घास का फर्क ही न मालूम हो, वह कब तक रेस में दौड़ पाएगा? जीवन की वास्तविकता न समझने वाले इन High Percentage से डिग्री प्राप्त करने वालों का भी यही हाल है। '
Page: 476'When the entire world is running the race of wealth, how could doctors protecting the human body lag behind? All the parameters of our blood tests have been devised in such a manner that some or the other irregularity would surely appear in the report, so that their medicines continue to sell.'
'जब पूरा विश्व ही धन की दौड़ में भाग रहा है तो मनुष्य शरीर की रक्षा करने वाले Doctors कैसे पीछे रह जाएं? हमारे सारे Blood Test की Border Lines ही ऐसी बनायी गयी है कि एक नहीं तो दूसरी बढ़-घट किसी-न-किसी चीज में आ ही जाए, ताकि उनकी दवाइयां बिकती रहें। '
Page: 477'The science of mind is completely contrary to the knowledge of the brain. At the level of mind, as we regret doing the wrong deed, we repeatedly commit the same act. Hence, at the level of mind, it is advisable to understand, not repent.'
'मन का विज्ञान हमारे बुद्धि के ज्ञान से सर्वथा उलटा है। मन के तल पर चूंकि हम गलत कार्य कर पछताते हैं, इसीलिए उसी कार्य को फिर-फिर दोहराते हैं। अतः मन के तल पर पछताना नहीं, समझना हितकर है। '
Page: 478'If carefully seen, when shocked or hurt, if you are able to express your feelings, you are relieved of it and the same when mistakenly suppressed; then that pain in its perverted form becomes your destiny.'
'गौर करना, सदमा पहुंचने पर यदि आप दुःख की अभिव्यक्ति कर लेते हैं तो उससे छूट जाते हैं, और गलती से दबा दिया तो वह दुःख अपने विकृत स्वरूप में आपका भाग्य हो जाता है। '
Page: 479'Be it Jesus or Buddha - Krishna or Socrates, there is no such person in this world whose life and thinking can't be understood; because in the end they are also nothing more than our "best possible form".'
'जीसस हो या बुद्ध - कृष्ण हो या सुकरात, दुनिया का कोई व्यक्ति ऐसा नहीं जिसका जीवन व सोच पकड़ी न जा सके। क्योंकि अंत में तो वे भी हमारे संभावित ‘‘श्रेष्ठ-स्वरूप’’ से ज्यादा कुछ नहीं। '
Page: 480'The ''awakened person'' is the one, in whose presence not only the people around him, but even the existence and the circumstances feel compelled to fulfil his desires... And to be so awakened is not a difficult task.'
'‘‘जागृत-व्यक्ति’’ वो है, जिसकी उपस्थिति में उसके आसपास के मनुष्य ही नहीं, घटनायें व कुदरत भी वही करने को मजबूर हो जाए जो वह चाहता है। ...ऐसा जागृत हो जाना कोई बहुत बड़ी बात नहीं। '
Page: 481'The person who is being fooled is at no lesser fault than the one who fools him. The only difference is; one is punished by the court of law...whereas the other gets punished on his own.'
'जितनी गलती ‘मूर्ख’ बनाने वाले की होती है, उससे कम गलती मूर्ख बनने वाले की नहीं होती। फर्क सिर्फ इतना है कि एक को सजा कानून देता है...जबकि दूसरा सजा स्वतः ही पा लेता है। '
Page: 482'In life, if you wish to save yourself from going insane, set your anger and love free... Suppressing them, both get perverted and assume monstrous forms.'
'जीवन में मानसिक तौर पर पागल होने से बचना चाहते हो तो अपने प्रेम व क्रोध को खुला छोड़ दो। ...यह दोनों दबाने से विकृत हो जाते हैं। '
Page: 483'The existence of life and its beauty, both are hidden in the "uncertainties" of life.'
'जीवन का अस्तित्व और उसका मजा दोनों उसकी ‘‘अनिश्चितताओं’’ में ही छिपा हुआ है। '
Page: 484'No matter how much ever your brain understands, ultimately it is the "mind" that needs to be transformed. Because of wrong decisions being taken in an enraged state of mind, the brain may decide n-number of times not to get angry again, yet, as soon as there is an inkling of anger in the mind, you will invariably end up being angry. '
'बुद्धि लाख समझे कुछ नहीं होता, समझना ‘‘मन’’ को होता है। क्रोध में गलत निर्णय होने के कारण बुद्धि लाख निर्णय कर ले कि अगली बार क्रोध नहीं करना, पर मन ने क्रोध भेजा नहीं कि मनुष्य क्रोधित हुआ नहीं। '
Page: 485'In families, where there is freedom of speech and anger, there may be few trivial fights or arguments on daily basis, but there will never be a big quarrel. The root cause of all the bitterness of life is the anger which is suppressed in people.'
'जिस परिवार में बोलने व क्रोध करने की स्वतंत्रता है, वहां भले ही छोटे-मोटे झगड़े रोज होते होंगे पर उनमें बड़ा झगड़ा कभी नहीं होगा। जीवन की सारी कड़वाहटों की जड़ सिर्फ मनुष्य का दबा हुआ क्रोध ही है। '
Page: 486'The act which gives you happiness, which even the mind gets excited to do…how could it be a 'sin'? After death, anyway you will not be able to do anything.'
'जो कर्म आपको सुख देता है, जो करने को मन भी मचलता है...वह ‘पाप’ कैसे हो सकता है? मृत्यु पश्चात् तो यूं भी आप कुछ नहीं कर पाने वाले। '
Page: 487'Sin - virtue, respect - disrespect, good - bad, success - failure, are all divisions created by the brain. At the level of mind, they are nothing but useless notions.'
'पाप-पुण्य, मान-अपमान, अच्छा-बुरा, सफलता-असफलता यह सब बुद्धि के किये विभाजन हैं। मन के तल पर तो यह सिवाय व्यर्थ के उपद्रवों के और कुछ नहीं। '
Page: 488'"Anger" and "Love"…are the only two centres of energy in human life. Religion, education and society have killed both these in a human being which is why, the entire mankind is compelled to lead a life of helplessness.'
'‘‘क्रोध’’ व ‘‘प्रेम’’...मनुष्य जीवन में ऊर्जा के यही दो केन्द्र हैं। धर्म, शिक्षा व समाज ने मिलकर इन दोनों को ही मनुष्य में से खत्म कर दिया है। इसी से पूरी मनुष्य जाति मर-मरकर जीने को मजबूर है। '
Page: 489'Any physical inhibition is of no value. Valuable is the intelligence which can transform your mind.'
'कोई भी शारीरिक प्रतिबंध दो-कौड़ी का है। महत्वपूर्ण वह प्रज्ञा है जिससे आपका मन परिवर्तित हो जाए। '
Page: 490''Joy' emanates only from those actions which bear fruits instantly. 'Act' today and 'result' tomorrow, such karmas can only impart pains and pleasures.'
'‘आनंद’ सिर्फ उन कर्मों से उत्पन्न होता है, जिनका फल हाथोंहाथ मिलता है। ‘कर्म’ आज व ‘फल’ कल, ऐसे कर्मो से केवल सुख-दुःख उत्पन्न होते हैं। '
Page: 491'Ultimate freedom means to live life freely with ''self-discipline''. Ego means living by the thousands of disciplines borrowed from vice - virtues, religion and society.'
'परम स्वतंत्रता का अर्थ है ‘‘स्व-अनुशासन’’ से खुलकर जीना। अहंकार का अर्थ है धर्म, समाज व अच्छे-बुरे के हजारों उधार लिये अनुशासन से जीना। '
Page: 492'The one who accepts defeat, before he is defeated or gives up before death, how can he be considered alive?'
'जो हारने से पहले हार मान ले व मरने से पहले मर जाए वह जीवित ही कहां है? '
Page: 493'Brain understands the things by dissecting them because all it knows is the tangible objects. But mind does not recognize the tangible objects differently; it only understands the vibrations and their intensities and depths. It is only due to our inability to establish a mutual communication between the two, that we all are total failures.'
'बुद्धि तोड़कर देखती है, क्योंकि उसे सिर्फ वस्तुओं की पहचान है। जबकि मन वस्तुओं को अलग से जानता ही नहीं; वह तरंगों व उनकी गहराइयों को ही समझता है। बस इन दोनों में आपसी Communication न बिठा पाने के कारण ही सभी पूरी तरह असफल हैं। '
Page: 494'If you have full confidence in your personality, the respect and insults of others will have no effect on you.'
'यदि आपको अपने व्यक्तित्व पर पूरा भरोसा हो तो आप पर दूसरे के मान-अपमान का कोई असर नहीं होगा। '
Page: 495'The despair, anger, worries, frustration, etc. hidden in your mind can only be eliminated by understanding the "science of mind".'
'आपके मन में छिपे दुःख, क्रोध, चिंताएं व Frustration वगैरह को सिर्फ ‘‘मन का विज्ञान’’ समझकर ही दूर किया जा सकता है। '
Page: 496'It is not that the world has deteriorated today. You perceive the world as you are. The world has been the same from the very beginning; neither has there been a virtuous age (Dharma yuga) nor a sin age (Papi yuga). Here, everything has always been dependent on an individual's perspective with which he looks at it.'
'विश्व खराब हो गया है, ऐसा नहीं है। आप जैसे हैं, विश्व आपको वैसा ही नजर आता है। विश्व शुरू से ऐसा है; ना यहां पर धर्म-युग कभी आया है न पापी-युग। यहां का सबकुछ सदैव से सिर्फ मनुष्य की दृष्टि पर निर्भर रहा है। '
Page: 497'The act which has the right balance of love, concentration, knowledge and karma is positive, whatever else you do, the results are bound to be negative.'
'जिस कर्म में प्रेम, ध्यान, ज्ञान व कर्म का यथायोग्य समन्वय हो वह शुभ, अन्यथा चाहे जो करो, परिणाम नकारात्मक ही आएंगे। '
Page: 498'A true 'lover' is the one, in whom his beloved can find not only a lover, but also a friend, father, guru, brother, son, all of them.'
'एक सच्चा ‘प्रेमी’ वह है जिसमें उसकी प्रेमिका को प्रेमी ही नहीं, दोस्त, पिता, गुरु, भाई, पुत्र सब नजर आए। '
Page: 499